लखनऊ: हिंदू समाज पार्टी के नेता कमलेश तिवारी की हत्या के मामले में आईजी रेंज एसके भगत के नेतृत्व में एसआईटी का गठन कर दिया गया है. एसके भगत के साथ एसआईटी की टीम में एसपी क्राइम दिनेश पुरी और एसपी एसटीएफ पीके मिश्रा को भी शामिल किया है. एसके भगत के नेतृत्व में एसआईटी पूरे मामले की जांच करेगी और कमलेश तिवारी के हत्यारों को पकड़ने के लिए प्रयास किए जाएंगे.
प्रमुख सचिव गृह और पुलिस महानिदेशक ने जानकारी देते हुए बताया कि हिंदू समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष कमलेश तिवारी की हत्या के मामले में शीघ्रता से खुलासा करने के लिए एसआईटी का गठन कर दिया गया है. एसआईटी में लखनऊ के आईजी रेंज एसके भगत, एसपी क्राइम दिनेश पुरी, एसपी एसटीएफ पीके मिश्रा को शामिल किया गया है. पुलिस ने बताया कि हत्यारों की तलाश के लिए टीमें गठित कर दी गई हैं. सीसीटीवी फुटेज के आधार पर व्यक्तियों के खिलाफ जानकारी जुटाई जा रही है. पुलिस ने बताया कि हत्यारों के बारे में महत्वपूर्ण सुराग मिले हैं.
पुलिस महानिदेशक ने जानकारी देते हुए बताया कि कमलेश तिवारी को सुरक्षा उपलब्ध कराई गई थी. कमलेश तिवारी को जहां गनर दिया गया था तो वहीं लोकल पुलिस भी उनकी सुरक्षा में रहती थी. घटना के दौरान मौके पर तैनात गनर ने हत्यारों को कार्यालय के अंदर जाने से रोका था. कमलेश तिवारी ने अंदर आने की इजाजत दी उसके बाद हत्यारों को अंदर जाने दिया गया. मामले की गंभीरता से जांच की जा रही है. जल्द ही किसी नतीजे पर पहुंचेंगे.
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कमलेश तिवारी की हत्या के बाद राजधानी लखनऊ में माहौल काफी गर्मा गया है. कमलेश तिवारी के समर्थक सड़कों पर उतर आए और जमकर नारेबाजी भी की. एक वीडियो शेयर करते हुए कमलेश तिवारी ने ट्विटर पर लिखा है, ‘हिंदू समाज पार्टी का राम मंदिर आंदोलन जो लगातार दो साल सड़कों पर चला. सुप्रीम कोर्ट में भी हिंदू महासभा के पक्षकार के तौर पर कमलेश तिवारी ने लड़ाई जारी रखी. राम मंदिर को लेकर उन्हें कई बार फेसबुक और फोन पर धमकाया गया था. ऐसे में पूरे मामले के दौरान हिंदू-मुस्लिम विवाद बढ़ने को लेकर भी संकाएं बनी रहीं.
इसी बीच सोशल मीडिया की एक पोस्ट में अल-हिंद-ब्रिगेड ने दावा किया है कि कमलेश तिवारी की हत्या के पीछे उसका हाथ है. कमलेश तिवारी की फोटो के साथ पोस्ट करते हुए जिहादी ग्रुप अल-हिंद-ब्रिगेड ने लिखा है कि कमलेश तिवारी लंबे समय से उनके निशाने पर थे और इस्लाम के विरोध में लिखने के चलते उनकी हत्या की गई, जिसकी जिम्मेदारी अल-हिंद-ब्रिगेड लेता है. हालांकि पुलिस सूत्रों का कहना है कि यह फर्जी है.
आतंकियों से मिली थी धमकी
पैगंबर मोहम्मद साहब पर अमर्यादित टिप्पणी को लेकर कमलेश तिवारी को आईएसआईएस के दो आतंकी उबैद मिर्जा और कासिम सिबरवाला ने मार डालने की बात कही थी. इन दोनों आतंकियों को गुजरात एटीएस ने गुजरात से 24 अक्टूबर 2017 को गिरफ्तार किया था. एटीएस की चार्जशीट में भी इस बात का जिक्र है कि दोनों आतंकियों ने कमलेश तिवारी को मारने की बात कही थी. वहीं हत्या के दौरान सुराग लगे हैं उसमें गुजरात कनेक्शन तलाशा जा रहा है, क्योंकि बदमाश जिस मिठाई के डिब्बे में असलहा छिपाकर लाए थे वह गुजरात के सूरत के उद्योग नगर उधना स्थित धरती फूड्स प्राइवेट लिमिटेड का था. पुलिस सूत्रों ने बताया कि मौके पर एक रसीद मिली है, जो बुधवार रात मिठाई खरीदने की है. सूरत से 2 दिन पहले खरीदी गई मिठाई के डिब्बे में असलहा छिपाकर लाने से हत्या का कनेक्शन आईएसआईएस से भी जोड़कर देखा जा रहा है.
पत्नी ने दर्ज कराई एफआईआर
कमलेश तिवारी की हत्या के बाद पत्नी किरण ने नाका थाना में बिजनौर के उलेमा इमाम मौलाना अनवारुल हक और मुफ्ती नईम समेत तीन के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कराया है. दोनों पर पैगंबर साहब के लिए अमर्यादित टिप्पणी के विरोध में कमलेश का सिर कलम करने का फतवा जारी करने और 51 लाख रुपये का इनाम देने का आरोप लगाया गया है.
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कमलेश ने की थी पैगंबर साहब पर अमर्यादित टिप्पणी
पैगंबर मोहम्मद साहब पर अमर्यादित टिप्पणी कर धार्मिक भावनाएं भड़काने के खिलाफ 4 सितंबर 2015 को रासुका लगा कर कमलेश तिवारी को जेल भेज दिया गया था. इसके बाद हाईकोर्ट से कमलेश तिवारी को राहत मिली थी और रासुका हटा दी गई थी. वहीं इस घटना के बाद कमलेश तिवारी के समर्थक परिवार को सुरक्षा उपलब्ध कराने और एक करोड़ रुपये सहायता राशि और परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की मांग कर रहे हैं.