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कैदियों की वैक्सीनेशन को लेकर जस्टिस संजय यादव ने की वर्चुअल बैठक

शुक्रवार को प्रदेश भर के जेलों में बंद कैदियों के वैक्सीनेशन को लेकर दो बैठकें हुईं. इसमें जेलों में भीड़ कम करने व बंदियों को पैरोल पर छोड़ने के साथ ही कोविड व्यवस्थाओं को लेकर विस्तार से चर्चा की गई.

वैक्सीनेशन को लेकर हुई चर्चा.
वैक्सीनेशन को लेकर हुई चर्चा.
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Published : May 22, 2021, 1:56 PM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश की जेलों में बंद कैदियों को कोरोना संक्रमण से बचाने व वैक्सीनेशन को लेकर शुक्रवार को दो बैठक आयोजित की गई. पहली बैठक हाईकोर्ट के गठित कमेटी के अध्यक्ष जस्टिस संजय यादव की अध्यक्षता में वर्चुअली संपन्न हुई. इसमें जेलों में भीड़ कम करने पर विस्तार से चर्चा की गई. वहीं दूसरी बैठक देर शाम आयोजित हुई. यह बैठक अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी की अध्यक्षता में हुई.

बंदियों को पैरोल पर छोड़ने पर सुझाव
पहली बैठक में मुख्य सचिव गिरी गोपन अवनीश अवस्थी, पुलिस महानिदेशक एमए गणपति, डीजी जेल आनंद कुमार व सचिव राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण अशोक कुमार शामिल थे. इस बैठक में बंदियों को कोरोना से बचाने के लिए कारागारों में ओवर क्राउडिंग कम करने के उद्देश्य से चर्चा हुई. जिसमें रिहाई के पात्र बंदियों को पैरोल और अंतरिम जमानत पर छोड़ने का सुझाव दिया गया.

बैठक में DG जेल आनंद कुमार ने जेलों में बंदियों को कोविड संक्रमण से बचाने के लिए किए जा रहे कार्यों से जस्टिस संजय यादव को अवगत कराया. उन्होंने बताया कि वर्तमान में प्रदेश की 71 जेलों में 1,06,724 बंदी निरुद्ध हैं. नए बंदियों से कारागारों में संक्रमण न फैले, इसके लिए प्रदेश भर में 51 अस्थायी कारागार बनाए गए हैं. यहां 14 दिन रखने के बाद बंदियोंं का कोविड टेस्ट होता है. इसके बाद रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद ही उन्हें मुख्य कारागार भेजा जात है. वहां भी 14 दिनों तक क्वॉरंटाइन किया जाता है. रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद ही सामान्य बंदियों के साथ रखा जाता है. इन उपायों के परिणाम स्वरूप जेलों में कोविड-19 के प्रसार पर काफी हद तक नियंत्रण पाया जा चुका है. वर्तमान में कारागारों में कोविड के सक्रिय मरीजों की संख्या घटकर 824 रह गई है.

जेल में टीकाकरण की स्थिति
45 साल से ज्यादा उम्र के पात्र पाए गए 26,312 बंदियों में से 24,255 बंदियों को कोविड-19 का टीका लगाया जा चुका है. बैठक में यह भी बताया गया कि माननीय उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के अनुपालन में वर्तमान में कुल 7,767 विचाराधीन बंदियों को अंतरिम जमानत पर और 1,284 सिद्धदोष बंदियों को पैरोल पर रिहा किया जा चुका है. जस्टिस संजय यादव ने सिद्धदोष बंदियों को पैरोल और अंतरिम बेल पर विचाराधीन बंदियों की रिहाई प्रकिया में तेजी लाने के निर्देश दिए.

इसे भी पढ़ें : कोरोना का असर : तिहाड़ जेल से 3350 कैदियों को अंतरिम जमानत पर छोड़ा गया

दूसरी बैठक में इन मुद्दों पर हुई बात
कारागार मुख्यालय के कमांड सेंटर में अपर मुख्य सचिव गृह एवं कारागार अवनीश अवस्थी की अध्यक्षता में दूसरी बैठक हुई. इस बैठक में डीजी जेल आनंद कुमार उपस्थित रहे. जबकि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सभी 71 जेलों के वरिष्ठ जेल अधीक्षक एवं अधीक्षक भी उपस्थित रहे.

अपर मुख्य सचिव ने बारी-बारी से सभी जेल अधीक्षकों को निर्देशित किया कि सिद्धदोष बंदियों की पैरोल पर रिहाई के लिए संबंधित जिलों के जिलाधिकारी एवं पुलिस अधीक्षक स्तर से अधिकतम एक दिन के अंदर बैठक कर पात्र बंदियों की संस्तुतियों को भेजें. इस प्रक्रिया में यदि जिलाधिकारी स्तर से कहीं कोई समस्या उत्पन्न हो रही हो तो उन्हें तत्काल अवगत कराया जाए.

लखनऊ: उत्तर प्रदेश की जेलों में बंद कैदियों को कोरोना संक्रमण से बचाने व वैक्सीनेशन को लेकर शुक्रवार को दो बैठक आयोजित की गई. पहली बैठक हाईकोर्ट के गठित कमेटी के अध्यक्ष जस्टिस संजय यादव की अध्यक्षता में वर्चुअली संपन्न हुई. इसमें जेलों में भीड़ कम करने पर विस्तार से चर्चा की गई. वहीं दूसरी बैठक देर शाम आयोजित हुई. यह बैठक अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी की अध्यक्षता में हुई.

बंदियों को पैरोल पर छोड़ने पर सुझाव
पहली बैठक में मुख्य सचिव गिरी गोपन अवनीश अवस्थी, पुलिस महानिदेशक एमए गणपति, डीजी जेल आनंद कुमार व सचिव राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण अशोक कुमार शामिल थे. इस बैठक में बंदियों को कोरोना से बचाने के लिए कारागारों में ओवर क्राउडिंग कम करने के उद्देश्य से चर्चा हुई. जिसमें रिहाई के पात्र बंदियों को पैरोल और अंतरिम जमानत पर छोड़ने का सुझाव दिया गया.

बैठक में DG जेल आनंद कुमार ने जेलों में बंदियों को कोविड संक्रमण से बचाने के लिए किए जा रहे कार्यों से जस्टिस संजय यादव को अवगत कराया. उन्होंने बताया कि वर्तमान में प्रदेश की 71 जेलों में 1,06,724 बंदी निरुद्ध हैं. नए बंदियों से कारागारों में संक्रमण न फैले, इसके लिए प्रदेश भर में 51 अस्थायी कारागार बनाए गए हैं. यहां 14 दिन रखने के बाद बंदियोंं का कोविड टेस्ट होता है. इसके बाद रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद ही उन्हें मुख्य कारागार भेजा जात है. वहां भी 14 दिनों तक क्वॉरंटाइन किया जाता है. रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद ही सामान्य बंदियों के साथ रखा जाता है. इन उपायों के परिणाम स्वरूप जेलों में कोविड-19 के प्रसार पर काफी हद तक नियंत्रण पाया जा चुका है. वर्तमान में कारागारों में कोविड के सक्रिय मरीजों की संख्या घटकर 824 रह गई है.

जेल में टीकाकरण की स्थिति
45 साल से ज्यादा उम्र के पात्र पाए गए 26,312 बंदियों में से 24,255 बंदियों को कोविड-19 का टीका लगाया जा चुका है. बैठक में यह भी बताया गया कि माननीय उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के अनुपालन में वर्तमान में कुल 7,767 विचाराधीन बंदियों को अंतरिम जमानत पर और 1,284 सिद्धदोष बंदियों को पैरोल पर रिहा किया जा चुका है. जस्टिस संजय यादव ने सिद्धदोष बंदियों को पैरोल और अंतरिम बेल पर विचाराधीन बंदियों की रिहाई प्रकिया में तेजी लाने के निर्देश दिए.

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दूसरी बैठक में इन मुद्दों पर हुई बात
कारागार मुख्यालय के कमांड सेंटर में अपर मुख्य सचिव गृह एवं कारागार अवनीश अवस्थी की अध्यक्षता में दूसरी बैठक हुई. इस बैठक में डीजी जेल आनंद कुमार उपस्थित रहे. जबकि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सभी 71 जेलों के वरिष्ठ जेल अधीक्षक एवं अधीक्षक भी उपस्थित रहे.

अपर मुख्य सचिव ने बारी-बारी से सभी जेल अधीक्षकों को निर्देशित किया कि सिद्धदोष बंदियों की पैरोल पर रिहाई के लिए संबंधित जिलों के जिलाधिकारी एवं पुलिस अधीक्षक स्तर से अधिकतम एक दिन के अंदर बैठक कर पात्र बंदियों की संस्तुतियों को भेजें. इस प्रक्रिया में यदि जिलाधिकारी स्तर से कहीं कोई समस्या उत्पन्न हो रही हो तो उन्हें तत्काल अवगत कराया जाए.

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