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देवबंद से हुंकार भरेगा गठबंधन, 7 अप्रैल को होगी सपा-बसपा की संयुक्त रैली

लोकसभा चुनाव को लेकर सभी दलों ने तैयारी शुरू कर दी है. पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पहले चरण का मतदान होना है. ऐसे में गठबंधन ने कमर कस ली है. बता दें कि सात अप्रैल को देवबंद में सपा-बसपा गठबंधन की पहली चुनावी रैली होनी है.

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Published : Mar 14, 2019, 6:52 PM IST

सात अप्रैल को करेंगे पहली चुनावी जनसभा को संबोधित.

लखनऊ: समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने अपने संयुक्त रैली का प्लान तैयार कर लिया है. पहली रैली पश्चिम उत्तर प्रदेश के देवबंद में सात अप्रैल को होने जा रही है. इस रैली के जरिए कांग्रेस और भाजपा को पश्चिमी उत्तर प्रदेश में घेरने का फैसला लिया गया है.

सात अप्रैल को करेंगे पहली चुनावी जनसभा को संबोधित.


सपा और बसपा ने चुनावी बिगुल फूंकने का ऐलान कर दिया है. 7 अप्रैल को देवबंद से होने वाली चुनावी रैली में दोनों ही दलों के नेता अपने विरोधियों को घेरेंगे. पहले चरण का चुनाव पश्चिम उत्तर प्रदेश में हो रहा है. ऐसे में मुस्लिम मतदाताओं की दृष्टि से बेहद अहम समझे जाने वाले देवबंद को रैली के लिए चुना गया है.


देवबंद से मुस्लिम मतों की दिशा तय होती है, ऐसे में मायावती और अखिलेश यादव वहां पहुंचकर बताएंगे कि किस तरह भाजपा और कांग्रेस ने अब तक मुस्लिम भावनाओं के साथ खिलवाड़ किया और उनके खिलाफ क्या-क्या साजिशें रची गईं. पार्टी नेताओं का मानना है कि सपा-बसपा की संयुक्त रैली भाजपा और कांग्रेस का सूपड़ा साफ करने के लिए काफी है.


पश्चिम उत्तर प्रदेश में सपा केवल कैराना और गाजियाबाद सीट पर चुनाव लड़ रही है, जबकि बसपा का बड़ा राजनीतिक हित दांव पर लगा है. पश्चिम उत्तर प्रदेश में ही कांग्रेसी भी इमरान मसूद को लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी बनाकर बड़ा दांव खेलने की कोशिश में है. ऐसे में सपा-बसपा की इस रैली को कई मायनों से खास माना जा रहा है.


2017 के विधानसभा चुनाव में पश्चिमी उत्तर प्रदेश की सीटों पर भाजपा और बसपा के बीच टक्कर हुई थी. वहीं रालोद भी पश्चिमी उत्तर प्रदेश की दो सीटों बागपत और मुजफ्फरनगर पर चुनाव लड़ रहा है. ऐसे में सपा-बसपा-रालोद का यह त्रिशंकु क्या गुल खिलाएगा, यह तो 23 मई को साफ होगा. फिलहाल इतना तो तय है कि पहली रैली के लिए देवबंद का चयन कर सपा-बसपा ने अपना रुख साफ कर दिया है.

लखनऊ: समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने अपने संयुक्त रैली का प्लान तैयार कर लिया है. पहली रैली पश्चिम उत्तर प्रदेश के देवबंद में सात अप्रैल को होने जा रही है. इस रैली के जरिए कांग्रेस और भाजपा को पश्चिमी उत्तर प्रदेश में घेरने का फैसला लिया गया है.

सात अप्रैल को करेंगे पहली चुनावी जनसभा को संबोधित.


सपा और बसपा ने चुनावी बिगुल फूंकने का ऐलान कर दिया है. 7 अप्रैल को देवबंद से होने वाली चुनावी रैली में दोनों ही दलों के नेता अपने विरोधियों को घेरेंगे. पहले चरण का चुनाव पश्चिम उत्तर प्रदेश में हो रहा है. ऐसे में मुस्लिम मतदाताओं की दृष्टि से बेहद अहम समझे जाने वाले देवबंद को रैली के लिए चुना गया है.


देवबंद से मुस्लिम मतों की दिशा तय होती है, ऐसे में मायावती और अखिलेश यादव वहां पहुंचकर बताएंगे कि किस तरह भाजपा और कांग्रेस ने अब तक मुस्लिम भावनाओं के साथ खिलवाड़ किया और उनके खिलाफ क्या-क्या साजिशें रची गईं. पार्टी नेताओं का मानना है कि सपा-बसपा की संयुक्त रैली भाजपा और कांग्रेस का सूपड़ा साफ करने के लिए काफी है.


पश्चिम उत्तर प्रदेश में सपा केवल कैराना और गाजियाबाद सीट पर चुनाव लड़ रही है, जबकि बसपा का बड़ा राजनीतिक हित दांव पर लगा है. पश्चिम उत्तर प्रदेश में ही कांग्रेसी भी इमरान मसूद को लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी बनाकर बड़ा दांव खेलने की कोशिश में है. ऐसे में सपा-बसपा की इस रैली को कई मायनों से खास माना जा रहा है.


2017 के विधानसभा चुनाव में पश्चिमी उत्तर प्रदेश की सीटों पर भाजपा और बसपा के बीच टक्कर हुई थी. वहीं रालोद भी पश्चिमी उत्तर प्रदेश की दो सीटों बागपत और मुजफ्फरनगर पर चुनाव लड़ रहा है. ऐसे में सपा-बसपा-रालोद का यह त्रिशंकु क्या गुल खिलाएगा, यह तो 23 मई को साफ होगा. फिलहाल इतना तो तय है कि पहली रैली के लिए देवबंद का चयन कर सपा-बसपा ने अपना रुख साफ कर दिया है.

Intro:लखनऊ .समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने अपने संयुक्त रैली का प्लान तैयार कर लिया है. पहली रैली पश्चिम उत्तर प्रदेश के देवबंद में 7 अप्रैल को होने जा रही है. कांग्रेस और भाजपा को पश्चिम उत्तर प्रदेश में घेरने के लिए रैली का फैसला किया गया है.


Body:समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने अप्रैल के पहले हफ्ते में चुनावी बिगुल फूंकने का ऐलान कर दिया है 7 अप्रैल को देवबंद से होने वाली चुनावी रैली में दोनों ही दलों के नेता अपने विरोधियों को घेरेंगे। पहले चरण का चुनाव पश्चिम उत्तर प्रदेश में हो रहा है ऐसे में मुस्लिम मतदाताओं की दृष्टि से बेहद अहम समझे जाने वाले देवबंद को रैली के लिए चुना गया है। देवबंद से चूँकि मुस्लिम मतों की दिशा तय होती है ऐसे में बसपा और सपा के दोनों नेता मायावती और अखिलेश यादव वहां पहुंचकर बताएंगे कि किस तरह भाजपा और कांग्रेस अब तक मुस्लिम भावनाओं के साथ खिलवाड़ करते रहे हैं उनके खिलाफ क्या-क्या साजिशें की गई हैं । पार्टी नेताओं का मानना है समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी की संयुक्त रैली भाजपा और कांग्रेस दोनों का सूपड़ा साफ करने के लिए काफी है और देवबंद से जो एलान होगा उसका असर पूरे उत्तर प्रदेश की राजनीति पर पड़ेगा ।
बाइट डॉक्टर राजपाल कश्यप प्रवक्ता समाजवादी पार्टी

पश्चिम उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी केवल कैराना और गाजियाबाद सीट पर चुनाव लड़ रही है जबकि बहुजन समाज पार्टी का बड़ा राजनीतिक हित दांव पर लगा है पश्चिम उत्तर प्रदेश में ही कांग्रेसी भी इमरान मसूद को लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी बनाकर बड़ा दांव खेलने की कोशिश में है ऐसे में सपा बसपा की रैली भी बहुत मायने रखती है 2017 के विधानसभा चुनाव में पश्चिम उत्तर प्रदेश की सीटों पर भाजपा और बसपा के बीच टक्कर हुई थी। राष्ट्रीय लोक दल भी पश्चिम उत्तर प्रदेश की 2 सीटों बागपत और मुजफ्फरनगर पर चुनाव लड़ रहा है ऐसे में सपा बसपा रालोद की यह रैली क्या गुल खिलाएगी यह तो 23 मई को स्पष्ट होगा लेकिन इतना तय है पहली रैली के लिए देवबंद का चयन कर सपा-बसपा ने अपने इरादे साफ कर दिए हैं और रैली की गूंज दूर तक जाएगी।

पीटीसी अखिलेश तिवारी


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