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लोहिया संस्थान में लाखों की दवाएं खराब, जांच शुरू - चिकित्सा शिक्षा के सचिव डी एस प्रियदर्शी

लोहिया संस्थान में विभिन्न रोगों की दो लाख से अधिक दवाएं खराब मिली. इसके चलते डिप्टी सीएम ने नाराजगी जताते हुए जांच के आदेश जारी किए थे. वहीं, शुक्रवार से इस मामले की जांच पड़ताल शुरू हो गई है.

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डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक
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Published : May 13, 2022, 11:03 PM IST

लखनऊ: लोहिया संस्थान में डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने गुरुवार को निरीक्षण किया था. इस दौरान विभिन्न रोगों की दो लाख से अधिक दवाएं खराब मिली जिनकी कीमत 50 लाख से अधिक आंकी गई. संस्थान द्वारा की गई इस बड़ी लापरवाही को देख डिप्टी सीएम भी हैरान रह गए है. इसके बाद उन्होंने मौके पर ही संबंधित अधिकारियों को जांच के आदेश जारी किए थे. इसके चलते शुक्रवार से मामले की पड़ताल शुरू हो गई है.

दरअसल, डिप्टी सीएम गुरुवार को 12 बजे के करीब लोहिया संस्थान पहुंचे थे. यहां ओपीडी में पर्चा काउंटर, इमरजेंसी व्यवस्था को देखकर उन्होंने नाराजगी जताई थी. वहीं, जब संस्थान में दवा उपलब्धता का ब्यौरा तलब किया तो डिप्टी सीएम भी हैरान रह गए क्योंकि इस दौरान दो लाख से अधिक दवाएं खराब मिली. इनमें बड़ी तादाद में महंगे इंजेक्शन और टैबलेट थीं जो रखे-रखे खराब हो गए. इनकी कीमत लगभग 50 लाख रूपये है.

यह भी पढ़ें- कन्नौज की खुशबू समेत यूपी के इन उत्पादों से ऐसे जीतेंगे दुनिया का दिल

वहीं, इस बड़ी लापरवाही को देख डिप्टी सीएम ने कड़ी नाराजगी जताते हुए मौके पर ही अधिकारियों को जांच के आदेश जारी कर दिए थे. चिकित्सा शिक्षा के सचिव डीएस प्रियदर्शी को जांच अधिकारी बनाया था. इसी कड़ी में उन्होंने दवाओं की खरीद, खपत, एक्सपायरी का पूरा ब्योरा तलब किया है. यह ब्यौरा 2017 से 2022 तक का मांगा गया है.

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लखनऊ: लोहिया संस्थान में डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने गुरुवार को निरीक्षण किया था. इस दौरान विभिन्न रोगों की दो लाख से अधिक दवाएं खराब मिली जिनकी कीमत 50 लाख से अधिक आंकी गई. संस्थान द्वारा की गई इस बड़ी लापरवाही को देख डिप्टी सीएम भी हैरान रह गए है. इसके बाद उन्होंने मौके पर ही संबंधित अधिकारियों को जांच के आदेश जारी किए थे. इसके चलते शुक्रवार से मामले की पड़ताल शुरू हो गई है.

दरअसल, डिप्टी सीएम गुरुवार को 12 बजे के करीब लोहिया संस्थान पहुंचे थे. यहां ओपीडी में पर्चा काउंटर, इमरजेंसी व्यवस्था को देखकर उन्होंने नाराजगी जताई थी. वहीं, जब संस्थान में दवा उपलब्धता का ब्यौरा तलब किया तो डिप्टी सीएम भी हैरान रह गए क्योंकि इस दौरान दो लाख से अधिक दवाएं खराब मिली. इनमें बड़ी तादाद में महंगे इंजेक्शन और टैबलेट थीं जो रखे-रखे खराब हो गए. इनकी कीमत लगभग 50 लाख रूपये है.

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वहीं, इस बड़ी लापरवाही को देख डिप्टी सीएम ने कड़ी नाराजगी जताते हुए मौके पर ही अधिकारियों को जांच के आदेश जारी कर दिए थे. चिकित्सा शिक्षा के सचिव डीएस प्रियदर्शी को जांच अधिकारी बनाया था. इसी कड़ी में उन्होंने दवाओं की खरीद, खपत, एक्सपायरी का पूरा ब्योरा तलब किया है. यह ब्यौरा 2017 से 2022 तक का मांगा गया है.

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