लखनऊ : मदरसा बोर्ड परीक्षाओं को देखते हुए फिलहाल मदरसे की जांच को टाल दिया गया है. मदरसों की जांच के लिए अल्पसंख्यक कल्याण बोर्ड ने आदेश दिए थे, जिसके लिए कमेटी भी बनी थी,. जिसके बाद मदरसा बोर्ड जांच को टालने का प्रयास कर रहा था. इसके लिए मदरसा बोर्ड के चेयरमैन इफ्तिखार जावेद अहमद ने अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री धर्मपाल को पत्र लिख कर जांच को स्थगित करने की मांग की थी. फिलहाल मदरसों की जांच को स्थगित कर दिया गया है. पत्र में अनुदानित और मान्यता प्राप्त मदरसों की जांच स्थगित की मांग की गई थी.
मदरसों का अवैध कहने से दुख : मदरसा बोर्ड के चेयरमैन इफ्तिखार अहमद जावेद ने सीएम योगी को लिख कर यूपी के मदरसों के सर्वे का किया ज़िक्र करते हुए जल्द जल्द मान्यता देने का आग्रह किया. उन्होंने कहा कि ग़ैर मान्यता मदरसों का सर्व हुए एक साल हो गए, लेकिन अभी तक मदरसों को मान्यता नहीं दी गई. पिछले आठ वर्षों से नहीं मदरसों की मान्यता का मामला अटका हुआ है. साढ़े आठ हजार मदरसों का सर्वे हो चुका है. इन मदरसों में साढ़े सात लाख बच्चे पढ़ते है. इन बच्चों का भविष्य हो रहा अंधकारमय हो गया है. मदरसों में 90-95 प्रतिशत बच्चे पसमांदा समाज के है. गैर मान्यता प्राप्त मदरसों का अवैध कहने से दुख होता है. मदरसों को मान्यता देकर इन बच्चों को मुख्यधारा में शामिल किया जाए. उन्होंने कहा कि मोदी का एक हाथ में कुरान व एक हाथ में कंप्यूटर का सपना साकार करने में मदरसा बोर्ड प्रयासरत है. सबका साथ सबका विकास सबका विश्वास के मूल मंत्र के साथ मदरसा बोर्ड काम कर रहा है.
हर साल परीक्षार्थियों की घट रही संख्या : प्रदेश में बोर्ड से तहतानिया कक्षा 1 से 5, फौकानिया कक्षा 5 से 8 और आलिया व उच्च आलिया स्तर यानी हाई स्कूल या इससे ऊपर के 16,460 मदरसे मान्यता प्राप्त हैं. इनमें सरकार से आर्थिक सहायता प्राप्त 560 मदरसे हैं. इन मदरसों में मुंशी-मौलवी हाईस्कूल समकक्ष, आलिम इंटर समकक्ष, कामिल स्नातक और फाजिल परास्नातक के समकक्ष पढ़ाई होती है, लेकिन मदरसा बोर्ड की परीक्षाओं में हर साल परीक्षार्थियों की संख्या घटती जा रही है. इस साल प्रदेश भर के मदरसों से सिर्फ एक लाख 72 हजार आवेदन आए थे. इसकी वजह मदरसा बोर्ड के नए नियम को माना जा रहा है. इसके तहत अन्य बोर्ड के विद्यार्थियों के लिए आलिम में आवेदन करने के लिए हाईस्कूल और कामिल में आवेदन करने के लिए इंटरमीडिएट या समकक्ष परीक्षा में उर्दू/अरबी/फारसी से उत्तीर्ण होना अनिवार्य कर दिया है.
मान्यता के मानक : मदरसा नियमावली 2016 के मुताबिक तहतानिया से मुंशी-मौलवी तक की मान्यता के लिए मदरसे में कम से कम डेढ़ सौ विद्यार्थियों का होना अनिवार्य है. इनमें मुंशी-मौलवी में 30 से कम विद्यार्थी नहीं होने चाहिए. इसके अलावा आलिम, कामिल और फाजिल की मान्यता के लिए कम से कम 10 विद्यार्थियों का परीक्षाओं में शामिल होना जरूरी है.
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