लखनऊ: भाजपा ने स्वतंत्र देव सिंह को उत्तर प्रदेश की कमान सौंपी है. दिलचस्प बात यह है कि नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह का पहला नाम कांग्रेस सिंह था. जब 1980 के दशक में वह मिर्जापुर से उरई आए और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े तो उनका नाम स्वतंत्र देव सिंह कर दिया गया. उनके शैक्षणिक प्रमाण पत्रों में भी उनका नाम कांग्रेस सिंह लिखा रहा, लेकिन बाद में उनकी सामाजिक और राजनीतिक यात्रा शुरू हुई तो यह नाम बदलकर स्वतंत्र देव सिंह कर दिया गया.
क्या है पूरी कहानी आरएसएस के वरिष्ठ कार्यकर्ता और प्रचारक पवन पुत्र बादल ने ईटीवी भारत से बातचीत में यह राज खोला. पवन पुत्र बताते हैं कि 1980 में स्वतंत्र देव अपने बड़े भाई के साथ मिर्जापुर से उरई आए. यहां आते ही वह आरएसएस के संपर्क में आ गए. तब से लेकर अब तक वह संगठन की धारा में ही रहते हुए काम कर रहे हैं. शुरू से ही वह संगठन निर्माण में लगे रहे. उनका संगठन के किसी भी हद तक जाकर कार्य करने का जज्बा रहा है. शुरुआत में हम सब मिलकर उन्हें कांग्रेसी कहते रहे. बाद में कुछ कार्यकर्ताओं ने कहा कि यह नाम ठीक नहीं है और फिर संगठन के बड़े लोगों ने मिलकर तय किया कि यह नाम बदला जाए. उनके व्यक्तित्व पर कांग्रेस सिंह की बजाय स्वतंत्र देव सिंह नाम ज्यादा फिट बैठता था. इसी आधार पर सामूहिक रूप से तय करके उनका नाम स्वतंत्र देव सिंह रख दिया गया.