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'कांग्रेस सिंह' से स्वतंत्र देव सिंह बनने की कहानी, सुनिए RSS प्रचारक की जुबानी

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Published : Jul 17, 2019, 10:25 PM IST

Updated : Jul 18, 2019, 2:37 AM IST

भाजपा ने स्वतंत्र देव सिंह को उत्तर प्रदेश का अध्यक्ष बनाया है. योगी सरकार में परिवहन मंत्री रहे स्वतंत्र देव पहले कांग्रेस सिंह के नाम से जाने जाते थे. सभी शैक्षणिक प्रमाण पत्रों में भी उनका नाम कांग्रेस सिंह ही था. आरएसएस के दिनों में उनके सहयोगी रहे पवन पुत्र ने ईटीवी भारत से उनके स्वतंत्र देव सिंह बनने की कहानी साझा की.

यूपी बीजेपी अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह.

लखनऊ: भाजपा ने स्वतंत्र देव सिंह को उत्तर प्रदेश की कमान सौंपी है. दिलचस्प बात यह है कि नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह का पहला नाम कांग्रेस सिंह था. जब 1980 के दशक में वह मिर्जापुर से उरई आए और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े तो उनका नाम स्वतंत्र देव सिंह कर दिया गया. उनके शैक्षणिक प्रमाण पत्रों में भी उनका नाम कांग्रेस सिंह लिखा रहा, लेकिन बाद में उनकी सामाजिक और राजनीतिक यात्रा शुरू हुई तो यह नाम बदलकर स्वतंत्र देव सिंह कर दिया गया.

ईटीवी भारत से बातचीत करते आरएसएस के वरिष्ठ कार्यकर्ता पवन पुत्र.

क्या है पूरी कहानी आरएसएस के वरिष्ठ कार्यकर्ता और प्रचारक पवन पुत्र बादल ने ईटीवी भारत से बातचीत में यह राज खोला. पवन पुत्र बताते हैं कि 1980 में स्वतंत्र देव अपने बड़े भाई के साथ मिर्जापुर से उरई आए. यहां आते ही वह आरएसएस के संपर्क में आ गए. तब से लेकर अब तक वह संगठन की धारा में ही रहते हुए काम कर रहे हैं. शुरू से ही वह संगठन निर्माण में लगे रहे. उनका संगठन के किसी भी हद तक जाकर कार्य करने का जज्बा रहा है. शुरुआत में हम सब मिलकर उन्हें कांग्रेसी कहते रहे. बाद में कुछ कार्यकर्ताओं ने कहा कि यह नाम ठीक नहीं है और फिर संगठन के बड़े लोगों ने मिलकर तय किया कि यह नाम बदला जाए. उनके व्यक्तित्व पर कांग्रेस सिंह की बजाय स्वतंत्र देव सिंह नाम ज्यादा फिट बैठता था. इसी आधार पर सामूहिक रूप से तय करके उनका नाम स्वतंत्र देव सिंह रख दिया गया.

लखनऊ: भाजपा ने स्वतंत्र देव सिंह को उत्तर प्रदेश की कमान सौंपी है. दिलचस्प बात यह है कि नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह का पहला नाम कांग्रेस सिंह था. जब 1980 के दशक में वह मिर्जापुर से उरई आए और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े तो उनका नाम स्वतंत्र देव सिंह कर दिया गया. उनके शैक्षणिक प्रमाण पत्रों में भी उनका नाम कांग्रेस सिंह लिखा रहा, लेकिन बाद में उनकी सामाजिक और राजनीतिक यात्रा शुरू हुई तो यह नाम बदलकर स्वतंत्र देव सिंह कर दिया गया.

ईटीवी भारत से बातचीत करते आरएसएस के वरिष्ठ कार्यकर्ता पवन पुत्र.

क्या है पूरी कहानी आरएसएस के वरिष्ठ कार्यकर्ता और प्रचारक पवन पुत्र बादल ने ईटीवी भारत से बातचीत में यह राज खोला. पवन पुत्र बताते हैं कि 1980 में स्वतंत्र देव अपने बड़े भाई के साथ मिर्जापुर से उरई आए. यहां आते ही वह आरएसएस के संपर्क में आ गए. तब से लेकर अब तक वह संगठन की धारा में ही रहते हुए काम कर रहे हैं. शुरू से ही वह संगठन निर्माण में लगे रहे. उनका संगठन के किसी भी हद तक जाकर कार्य करने का जज्बा रहा है. शुरुआत में हम सब मिलकर उन्हें कांग्रेसी कहते रहे. बाद में कुछ कार्यकर्ताओं ने कहा कि यह नाम ठीक नहीं है और फिर संगठन के बड़े लोगों ने मिलकर तय किया कि यह नाम बदला जाए. उनके व्यक्तित्व पर कांग्रेस सिंह की बजाय स्वतंत्र देव सिंह नाम ज्यादा फिट बैठता था. इसी आधार पर सामूहिक रूप से तय करके उनका नाम स्वतंत्र देव सिंह रख दिया गया.

Intro:एंकर
लखनऊ। शायद ही कुछ लोगों को पता होगा कि यूपी बीजेपी के नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह का पहले नाम कांग्रेस सिंह था, लेकिन जब 1980 के दशक में वह मिर्जापुर से उरई आए और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संपर्क में रहे तो उनका नाम कांगरे सिंह से बदलकर स्वतंत्र देव सिंह कर दिया गया और तब से लेकर अब तक वह स्वतंत्र देव सिंह के नाम से जाने गए पहले के शैक्षणिक प्रमाण पत्रों में भी उनका नाम कांग्रेस सिंह लिखा रहा, लेकिन बाद में सामाजिक और राजनीतिक यात्रा उनकी शुरू हुई तो यह नाम बदलकर स्वतंत्र देव सिंह कर दिया गया।



Body:जब वह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के संगठन मंत्री बने तो पूरा ही के आर एस एस प्रचारक रहे रामाशीष व अन्य आरएसएस से जुड़े लोगों में हरिओम उपाध्याय, पवन पुत्र बादल सहित तमाम अन्य लोगों ने उन्हें नाम बदलने की सलाह की और उनका नाम बदलकर कांग्रेस सिंह से स्वतंत्र देव सिंह कर दिया गया। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक रहे बुंदेलखंड विकास बोर्ड के सदस्य पवन पुत्र बादल ने स्वतंत्र देव सिंह के नाम बदलने को लेकर ईटीवी भारत से चर्चा की।

बाईट
पवन पुत्र बादल, सदस्य बुंदेलखंड विकास बोर्ड
आपने जो नाम बदलने को लेकर प्रश्न किया वह पूरी तरह से ठीक है जब वह मिर्जापुर से उरई आए अपने बड़े भैया के साथ तो पूरा ही आते ही वह संगठन के संपर्क में आ गए तब से लेकर अब तक वह संगठन की धारा में ही रहते हुए काम कर रहे हैं अभी वह प्रदेश अध्यक्ष बने हैं शुरू से ही उन्होंने बहुत अच्छा काम किया और संगठन निर्माण में शुरू से लगे रहे उनका संगठन के लिए कुछ भी करने का जज्बा रहा है शुरुआत में हम सब लोग मिलकर उन्हें कांग्रेसी कहते रहे हैं बाद में कुछ कार्यकर्ताओं ने ने कहा कि यह नाम ठीक नहीं है और फिर संगठन के बड़े लोगों ने मिलकर तय किया कि यह नाम बदला जाए कांग्रेस सिंह के बजाय स्वतंत्र देव सिंह नाम ज्यादा फिट बैठता है और फिर सामूहिक रूप से तय करके उनका नाम स्वतंत्र देव सिंह रख दिया गया। तब से लेकर अब तक वह स्वतंत्र देव सिंह के नाम से ही जाने जा रहे हैं वह लगातार संगठन निर्माण में लगे हुए हैं उन्हें जो नेतृत्व की तरफ से दिशा-निर्देश और काम दिया जाता है वह उसी अनुरूप काम कर रहे हैं उन्हें नए दायित्व की बहुत-बहुत बधाई और शुभकामना





Conclusion:ध्यानार्थ डेस्क सहयोगी, स्वतंत्रत देव सिंह की सियासी सफर वाली डिटेल इस कॉपी में प्रयोग कर लें, धन्यवाद
Last Updated : Jul 18, 2019, 2:37 AM IST
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