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कोरोना का असर : कुशल मजदूरों की गांव वापसी से उद्योगों पर पड़ रहा असर - स्किल्ड लेबर की गांव वापसी

कोरोना काल और लॉकडाउन की वजह से स्किल्ड मजदूरों की गांव वापसी का असर उद्योंगों पर भी पड़ा है. लॉकडाउन के दौरान निर्माण कार्यों से जुड़ी परियोजनाएं जारी हैं और उन्हें कुशल श्रमिकों के अभाव का सामना करना पड़ रहा है.

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स्किल्ड मजदूरों की कमी
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Published : May 25, 2021, 5:42 PM IST

लखनऊ : लॉकडाउन और कोरोना संक्रमण के खौफ की वजह से स्किल्ड मजदूरों की गांव वापसी से उद्योग पर बड़ा असर पड़ रहा है. मार्च माह में गांव की तरफ गये श्रमिक वापस आने से डर रहे हैं. कोरोना संक्रमण के खतरे के डर से श्रमिक अभी वापस नहीं आये हैं. ऐसे श्रमिकों के शहर छोड़ने से सबसे ज्यादा असर निर्माण क्षेत्र से जुड़े उद्योगों पर पड़ रहा है. यह इसलिए क्योंकि सरकार ने लॉक डाउन के दौरान भी निर्माण परियोजनाओं को जारी रखने के निर्देश दिये हैं. इस क्षेत्र से जुड़ी छोटी-छोटी इंडस्ट्री काम करना चाहती हैं लेकिन उन्हें श्रमिकों के अभाव का सामना करना पड़ रहा है.

कुशल मजदूरों की कमी
लखनऊ में ही करीब एक लाख एमएसएमई इकाई

यूपी में एमएसएमई सेक्टर की 90 लाख इकाइयां हैं. राजधानी लखनऊ की बात करें तो यहां करीब एक लाख इकाइयां काम कर रही हैं. सरकार ने इस दौरान इंडस्ट्री को चलाने की छूट दे रखी है. इसमें फुटकर बाजार में जो उद्योग बंद हैं, उनसे जुड़ी इंडस्ट्री उत्पादन नहीं कर रही है. उन्हें डर है कि उत्पादन के बाद अपने उत्पादों को वो बेचेंगे कहां. निर्माण से जुड़ी इंडस्ट्रीज चल रहे हैं. उनके सामने तमाम समस्याओं के साथ सबसे बड़ी समस्या श्रमिकों की है. उसमें भी स्किल्ड लेबर के नहीं मिल पाने से उद्योग प्रभावित हो रहा है.

कुशल श्रमिक बड़ी समस्या

ऑर्गेनो टेक्नोलॉजिज प्राइवेट लिमिटेड के मैनेजर सलिल बताते हैं कि उनकी कम्पनी फिनिशिंग उत्पाद बनाती है. इसमें प्लास्टर, पुट्टी जैसे उत्पाद हैं. इसका बाजार बंद है. निर्माण कार्य कुछ जगहों पर चल रहा था. वहां सप्लाई की जा रही थी. लेबर की कमी की वजह से निर्माण कार्य प्रभावित हुआ है. अब हमारा उत्पाद भी नहीं जा रहा है. कोरोना ने उद्योग जगत के सामने बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है.

कोरोना से उद्यमियों को बड़ी चोट

स्मॉल इंडस्ट्री मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (सीमा) के चेयरमैन शैलेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि लॉकडाउन से एमएसएमई सेक्टर बहुत प्रभावित हुआ है. उद्यमी परेशान हैं. डर की वजह से सारे उद्यमी खुलकर नहीं बोल पा रहे हैं. सच्चाई यह है कि उद्योग ठप पड़ गया है. सरकार ने निर्माण कार्य को जारी रखने की छूट दी है लेकिन इंडस्ट्री कैसे चलेगी, इस पर सरकार कुछ नहीं कर रही है. सरकारी परियोजनाएं भी संचालित हो रही हैं. निर्माण कार्य से जुड़े ढलाई, सरिया व अन्य कार्य के लिए श्रमिक चाहिए. बहुत से श्रमिक पंचायत चुनाव और कुछ होली के दौरान गांव गए थे. अभी तक वो वापस नहीं लौटे हैं. इस तरह के श्रमिक दूसरे राज्यों से भी हैं. बिहार के तो जितने भी श्रमिक गए, वे वापस नहीं आये. नुकसान का आंकलन किया जा रहा है. कैसे भरपाई की जाएगी, इस पर भी मंथन चल रहा है. हमारा संगठन वर्चुअल माध्यम से एमएसएमई सेक्टर के उद्यमियों से लगातार बात कर रहा है.

इसे भी पढ़ें - सीएम योगी नवनिर्वाचित ग्राम प्रधानों से 28 मई को करेंगे संवाद, आदेश जारी

लखनऊ : लॉकडाउन और कोरोना संक्रमण के खौफ की वजह से स्किल्ड मजदूरों की गांव वापसी से उद्योग पर बड़ा असर पड़ रहा है. मार्च माह में गांव की तरफ गये श्रमिक वापस आने से डर रहे हैं. कोरोना संक्रमण के खतरे के डर से श्रमिक अभी वापस नहीं आये हैं. ऐसे श्रमिकों के शहर छोड़ने से सबसे ज्यादा असर निर्माण क्षेत्र से जुड़े उद्योगों पर पड़ रहा है. यह इसलिए क्योंकि सरकार ने लॉक डाउन के दौरान भी निर्माण परियोजनाओं को जारी रखने के निर्देश दिये हैं. इस क्षेत्र से जुड़ी छोटी-छोटी इंडस्ट्री काम करना चाहती हैं लेकिन उन्हें श्रमिकों के अभाव का सामना करना पड़ रहा है.

कुशल मजदूरों की कमी
लखनऊ में ही करीब एक लाख एमएसएमई इकाई

यूपी में एमएसएमई सेक्टर की 90 लाख इकाइयां हैं. राजधानी लखनऊ की बात करें तो यहां करीब एक लाख इकाइयां काम कर रही हैं. सरकार ने इस दौरान इंडस्ट्री को चलाने की छूट दे रखी है. इसमें फुटकर बाजार में जो उद्योग बंद हैं, उनसे जुड़ी इंडस्ट्री उत्पादन नहीं कर रही है. उन्हें डर है कि उत्पादन के बाद अपने उत्पादों को वो बेचेंगे कहां. निर्माण से जुड़ी इंडस्ट्रीज चल रहे हैं. उनके सामने तमाम समस्याओं के साथ सबसे बड़ी समस्या श्रमिकों की है. उसमें भी स्किल्ड लेबर के नहीं मिल पाने से उद्योग प्रभावित हो रहा है.

कुशल श्रमिक बड़ी समस्या

ऑर्गेनो टेक्नोलॉजिज प्राइवेट लिमिटेड के मैनेजर सलिल बताते हैं कि उनकी कम्पनी फिनिशिंग उत्पाद बनाती है. इसमें प्लास्टर, पुट्टी जैसे उत्पाद हैं. इसका बाजार बंद है. निर्माण कार्य कुछ जगहों पर चल रहा था. वहां सप्लाई की जा रही थी. लेबर की कमी की वजह से निर्माण कार्य प्रभावित हुआ है. अब हमारा उत्पाद भी नहीं जा रहा है. कोरोना ने उद्योग जगत के सामने बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है.

कोरोना से उद्यमियों को बड़ी चोट

स्मॉल इंडस्ट्री मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (सीमा) के चेयरमैन शैलेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि लॉकडाउन से एमएसएमई सेक्टर बहुत प्रभावित हुआ है. उद्यमी परेशान हैं. डर की वजह से सारे उद्यमी खुलकर नहीं बोल पा रहे हैं. सच्चाई यह है कि उद्योग ठप पड़ गया है. सरकार ने निर्माण कार्य को जारी रखने की छूट दी है लेकिन इंडस्ट्री कैसे चलेगी, इस पर सरकार कुछ नहीं कर रही है. सरकारी परियोजनाएं भी संचालित हो रही हैं. निर्माण कार्य से जुड़े ढलाई, सरिया व अन्य कार्य के लिए श्रमिक चाहिए. बहुत से श्रमिक पंचायत चुनाव और कुछ होली के दौरान गांव गए थे. अभी तक वो वापस नहीं लौटे हैं. इस तरह के श्रमिक दूसरे राज्यों से भी हैं. बिहार के तो जितने भी श्रमिक गए, वे वापस नहीं आये. नुकसान का आंकलन किया जा रहा है. कैसे भरपाई की जाएगी, इस पर भी मंथन चल रहा है. हमारा संगठन वर्चुअल माध्यम से एमएसएमई सेक्टर के उद्यमियों से लगातार बात कर रहा है.

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