लखनऊ: अयोध्या में राम मंदिर का उद्घाटन और रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम 22 जनवरी 2024 को होना है. प्राण प्रतिष्ठा की पूरी प्रक्रिया काशी के विद्वान पंडित करवाएंगे. लेकिन, उनके साथ लखनऊ यूनिवर्सिटी के एक प्रोफेसर भी होंगे. लखनऊ विश्वविद्यालय के प्राच्य संस्कृत विभाग के असिस्टेंट प्रफेसर डॉ. श्यामलेश कुमार तिवारी देश के एकमात्र प्रोफेसर हैं जो प्राण प्रतिष्ठा की पूजा कराएंगे. उनको काशी के विद्वान गणेश्वर शास्त्री द्राविड़ और पूजा के विधान का नेतृत्व करने वाले लक्ष्मीकांत दीक्षित की ओर से प्राण प्रतिष्ठा में सम्मिलित होकर पूजा विधान कराने का निमंत्रण मिला है.
डॉ. श्यामलेश कुमार तिवारी ने बताया कि वह एकमात्र प्रफेसर हैं जिन्हें यह निमंत्रण मिला है. प्रदेश के अन्य विश्वविद्यालयों से किसी और प्रफेसर को यह सौभाग्य नहीं मिला है. उन्होंने कहा कि अयोध्या नगरी में रामलला के नवीन मंदिर में नूतन विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम 16 जनवरी से शुरू होगा. 22 जनवरी तक प्राण प्रतिष्ठा में विभिन्न क्रियाओं को किया जाएगा.
कब हो सकेंगे रामलला के दर्शन: 22 जनवरी को मुर्हुत के समय में स्वर्ण शलाका से नूतन विग्रह की आंख से पट्टी हटाकर शहद का अंजन (काजल) करने की क्रिया होगी. इसके बाद नूतन विग्रह को दर्पण दिखाया जाएगा. प्राण प्रतिष्ठा से जन्मी विग्रह में ऊर्जा व तरंगों को भगवान के अतिरिक्त कोई नहीं देख सकता. विग्रह की आंख खुलते ही दर्पण से मिलने पर दर्पण चकनाचूर होगा. इस पूरी क्रिया को नेत्रोन्मिलन कहते हैं. इसके बाद रामलला के सभी को दर्शन प्राप्त होंगे.
कैसी होगी रामलला की मूर्ति: डॉ. श्यामलेश कुमार तिवारी ने बताया कि नवीन राम मंदिर में स्थापित होने वाली रामलला की मूर्ति पांच से छह वर्षीय एक बालक के सामान होगी. लड्डू गोपाल में मात्र कृष्ण को ही नहीं पूजते. लड्डू गोपाल में राम और कृष्ण दोनों के बाल रूप का मिश्रण है. बाल रूप को ही सर्वोत्तम रूप माना गया है. सर्व मनोरथ को प्राप्त करने वाला एक मात्र बाल रूप ही है, इसलिए नवीन मंदिर में बाल प्रतिमा स्थापित हो रही है.
कब से होगी प्राण प्रतिष्ठा की विधि: डॉ. श्यामलेश ने बताया कि सभी आचार्य और पूजन विधि में सम्मिलित होने वालों को वरण दिए जाएंगे. 16 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा में पूजन में बैठने वाले यजमान पूर्व में किए हुए दोषों का निवारण करते हुए दोष मुक्त की क्रिया करेंगे. इसमें 9 यजमान शामिल होंगे. इसके बाद विग्रह को नगर भ्रमण कराया जाएगा. पंचांग पूजन में मंडप प्रवेश पर चारों द्वारों का पूजन होगा. पश्चिम द्वार से सभी प्रवेश करेंगे. अग्नि के धरती पर वास के दिन दो लकड़ियों के घर्षण से अग्नि उत्पन्न की जाएगी. कलश में जल भर कर लाये जाएंगे, गर्भगृह को धोया जाएगा. इसके बाद महाभिषेक स्नान होगा. वस्तुओं और औषधि से भरें 125 कलश से शास्त्र विधान के साथ यह होगा.
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