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लखनऊ: रेलवे ने चलाई कमाई वाली ट्रेनें, दैनिक यात्रियों की परेशानी पर नहीं ध्यान - यूपी की खबरें

कोरोना काल में लॉकडाउन में भारत में रेल के पहिए थम गए थे. जब अनलॉक शुरू हुआ तो फिर से धीरे-धीरे रेल संचालन शुरू किया जा रहा था. इस दौरान रेलवे यात्रियों की सुविधा को किनारे रखते हुए सिर्फ फायदे में चलने वाली ट्रेनें चला रहा है. रेलवे ने अब तक पैंसेजर ट्रेनों को चलाने पर जोर नहीं दिया है. इससे दैनिक यात्रियों को काफी समस्या आ रही है.

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दैनिक यात्रियों में ट्रेन की जगह बस को सफर करने को मजबूर होना पड़ रहा है.
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Published : Oct 19, 2020, 3:30 AM IST

लखनऊ: कोरोना के कारण कई माह तक ट्रेनें खड़ी रहने के चलते रेलवे को काफी घाटा हुआ है. अनलॉक में कुछ ट्रेनों के चलने की इजाजत दी गई है. रेलवे ने दैनिक यात्रियों की समस्या किनारे रखकर कमाई वाली ट्रेनों को यार्ड से निकाल कर पटरी पर उतार दिया. इससे रेलवे का खजाना तो भरने लगा, लेकिन दैनिक यात्रियों की समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं.

दैनिक यात्रियों के लिए चलाई जाने वाली मेमू, पैसेंजर, इंटरसिटी के संचालन पर अभी भी ग्रहण लगा हुआ है. इसकी वजह है कि यह ट्रेन यात्रियों को राहत तो देती हैं, लेकिन रेलवे को कमाई करके नहीं देतीं. इन ट्रेनों से प्रतिदिन 45 से 50 हजार यात्री सफर करते हैं. अगर रेलवे इन ट्रेनों को संचालित करे तो हजारों यात्रियों को राहत मिले.

सैकड़ों ट्रेनों से भी दैनिक यात्रियों को राहत नहीं
एक जून से रेलवे ने करीब 200 ट्रेनों का संचालन शुरू किया तो दैनिक यात्रियों ने रेलवे प्रशासन से मेमू और पैसेंजर ट्रेनों को चलाने की मांग उठाई. रेलवे ने यात्रियों की इस मांग पर तो कोई ध्यान नहीं दिया बल्कि अपनी कमाई बढ़ाने के लिए डायनेमिक फेयर वाली तेजस, शताब्दी और राजधानी जैसी ट्रेनों का संचालन शुरू कर दिया.

इसके अलावा फायदे वाली पुष्पक एक्सप्रेस भी शुरू हो गई, लेकिन दैनिक यात्रियों के लिए एक भी ट्रेन नहीं चलाई गई. मेमू व पैसेंजर ट्रेनों के बंद होने से लखनऊ से कानपुर रूट के यात्री सबसे ज्यादा परेशान हो रहे हैं. ट्रेनों के अभाव में दैनिक यात्रियों को बस से महंगी यात्रा करनी पड़ रही है.

महंगा पड़ रहा बस का सफर
कोरोना की वजह से पहले ही लोग आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं. वहीं अब उन्हें ट्रेन की जगह बस से सफर करने को मजबूर होना पड़ रहा है. इससे उनका बजट बिगड़ रहा है. मेमू, इंटरसिटी और पैसेंजर ट्रेन नहीं चलने से कानपुर, सुलतानपुर, बाराबंकी, हरदोई और सीतापुर आने-जाने वाले यात्री काफी परेशान हैं. इनकी संख्या करीब 45 से 50 हजार है.

यात्री हित पर नहीं ध्यान
कमाई वाली ट्रेनें रेलवे का खजाना भर रही हैं. ऐसे में अब रेलवे को यात्री हित का भी ख्याल करते हुए पैसेंजर, मेमू और इंटरसिटी ट्रेन का संचालन शुरू कर देना चाहिए. इससे हजारों यात्रियों को राहत मिल सकेगी. अब यह देखने वाली बात होगी कि रेलवे प्रशासन कब दैनिक यात्रियों को राहत देता है.

लखनऊ: कोरोना के कारण कई माह तक ट्रेनें खड़ी रहने के चलते रेलवे को काफी घाटा हुआ है. अनलॉक में कुछ ट्रेनों के चलने की इजाजत दी गई है. रेलवे ने दैनिक यात्रियों की समस्या किनारे रखकर कमाई वाली ट्रेनों को यार्ड से निकाल कर पटरी पर उतार दिया. इससे रेलवे का खजाना तो भरने लगा, लेकिन दैनिक यात्रियों की समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं.

दैनिक यात्रियों के लिए चलाई जाने वाली मेमू, पैसेंजर, इंटरसिटी के संचालन पर अभी भी ग्रहण लगा हुआ है. इसकी वजह है कि यह ट्रेन यात्रियों को राहत तो देती हैं, लेकिन रेलवे को कमाई करके नहीं देतीं. इन ट्रेनों से प्रतिदिन 45 से 50 हजार यात्री सफर करते हैं. अगर रेलवे इन ट्रेनों को संचालित करे तो हजारों यात्रियों को राहत मिले.

सैकड़ों ट्रेनों से भी दैनिक यात्रियों को राहत नहीं
एक जून से रेलवे ने करीब 200 ट्रेनों का संचालन शुरू किया तो दैनिक यात्रियों ने रेलवे प्रशासन से मेमू और पैसेंजर ट्रेनों को चलाने की मांग उठाई. रेलवे ने यात्रियों की इस मांग पर तो कोई ध्यान नहीं दिया बल्कि अपनी कमाई बढ़ाने के लिए डायनेमिक फेयर वाली तेजस, शताब्दी और राजधानी जैसी ट्रेनों का संचालन शुरू कर दिया.

इसके अलावा फायदे वाली पुष्पक एक्सप्रेस भी शुरू हो गई, लेकिन दैनिक यात्रियों के लिए एक भी ट्रेन नहीं चलाई गई. मेमू व पैसेंजर ट्रेनों के बंद होने से लखनऊ से कानपुर रूट के यात्री सबसे ज्यादा परेशान हो रहे हैं. ट्रेनों के अभाव में दैनिक यात्रियों को बस से महंगी यात्रा करनी पड़ रही है.

महंगा पड़ रहा बस का सफर
कोरोना की वजह से पहले ही लोग आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं. वहीं अब उन्हें ट्रेन की जगह बस से सफर करने को मजबूर होना पड़ रहा है. इससे उनका बजट बिगड़ रहा है. मेमू, इंटरसिटी और पैसेंजर ट्रेन नहीं चलने से कानपुर, सुलतानपुर, बाराबंकी, हरदोई और सीतापुर आने-जाने वाले यात्री काफी परेशान हैं. इनकी संख्या करीब 45 से 50 हजार है.

यात्री हित पर नहीं ध्यान
कमाई वाली ट्रेनें रेलवे का खजाना भर रही हैं. ऐसे में अब रेलवे को यात्री हित का भी ख्याल करते हुए पैसेंजर, मेमू और इंटरसिटी ट्रेन का संचालन शुरू कर देना चाहिए. इससे हजारों यात्रियों को राहत मिल सकेगी. अब यह देखने वाली बात होगी कि रेलवे प्रशासन कब दैनिक यात्रियों को राहत देता है.

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