लखनऊ: कोरोना के इलाज में तमाम दवाएं तय गईं. कई दवाओं को हटाकर ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल में बदलाव भी किया गया. वहीं अब केजीएमयू में कोरोना के गंभीर मरीजों के इलाज में इंट्रावेनस इम्यूनोग्लोब्लिन थेरेपी (आईवीआईजी) का प्रयोग किया गया. दावा है कि यह एंटी वॉयरल दवा कोरोना संक्रमण में अधिक कारगर पाई गई है. डॉक्टरों की यह स्टडी 'द जनरल ऑफ इंफेक्शियस डिजीज' में प्रकाशित हुई है.
केजीएमयू के मेडिसिन विभाग के डॉ. डी हिमांशु के मुताबिक, संस्थान में भर्ती 100 मरीजों का चयन किया गया. शोध में 67 पुरुष व 33 महिला मरीज को शामिल किया गया. इन मरीजों की उम्र 18 से 80 वर्ष की बीच रही. कोरोना पीड़ित इन मरीजों के फेफड़ों में निमोनिया का भी असर था. ऐसे में 50-50 मरीजों को दो ग्रुपों में बांटा गया. एक ग्रुप के 50 मरीजों को इंट्रावेनस इम्यूनोग्लोब्लिन थेरेपी दी गई. वहीं दूसरे 50 मरीजों को कोरोना की अन्य दवाएं दी गईं. ऐसे में थेरेपी देने वाले मरीजों में तेजी से सुधार मिला. आईवीआईजी थेरेपी कोरोना के गंभीर मरीजों के इलाज में ज्यादा कारगर है.
इस थेरेपी के दुष्प्रभाव भी मरीज पर कम देखने को मिले. वहीं संक्रमण की पुष्टि के 48 घंटे के भीतर थेरेपी दे दी जाए तो और भी बेहतर परिणाम मिल सकते हैं. इस शोध को 'द जनरल ऑफ इंफेक्शियस डिजीज' में प्रकाशित किया गया है. डॉ. डी हिंमाशु के मुताबिक थेरेपी वाले मरीजों में बुखार जल्द सामान्य हुआ. उनके शरीर में ऑक्सीजन के स्तर में तेजी से सुधार देखने को मिला. फेफड़े में रिकवरी होने से सांस लेने की प्रक्रिया में सुधार हुआ. काफी हद तक वेंटिलेटर सपोर्ट लेने से बचाव हुआ. कुछ ही मरीज वेंटिलेटर पर गए और कम समय में ही ठीक हो गए.
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वहीं अब केजीएमयू में कोरोना की जांच का इंतजार घटेगा. इसके लिए लैब में ऑटोमेटिक मशीनें लगाई गई हैं. ऐसे में संस्थान में जांच की क्षमता डबल हो गई. केजीएमयू में प्रदेश भर से कोरोना जांच के लिए नमूने आ रहे हैं. यहां 24 घंटे कोरोना की जांच हो रही है. वहीं कोरोना की संभावित तीसरी लहर में सैंपल अधिक आने की उम्मीद है.
माइक्रोबायोलॉजी विभाग की अध्यक्ष डॉ. अमिता जैन के मुताबिक अभी प्रतिदिन छह से आठ हजार नमूनों की जांच हो रही थी. कोरोना की संभावित तीसरी लहर को लेकर लैब की क्षमता बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं. ऐसे में ऑटोमेटिक मशीन बढ़ा दी गई है. अब रोजाना 15 हजार नमूनों की जांच हो सकेगी.
माइक्रोबायोलॉजी में अपग्रेड लैब का नाम 'कोविड-19 हाई थ्रूपुट टेस्टिंग लैब' रखा गया है. इसका लोकार्पण प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा आलोक कुमार ने किया. इसमें एक दिन में 15,000 जांचें होंगी. इसमें आरटीपीसीआर की 7 मशीनें हैं. साथ ही आरएनए एक्सट्रेक्शन मशीन एक से बढ़ाकर चार कर दी गई है.
संस्थान में अब तक 22 लाख नमूनों की जांच की जा चुकी है. वहीं कोरोना की जीनोम सिक्वेंसिंग भी की जा रही है. इसके 120 नमूनों के टेस्ट हो चुके हैं. ट्रॉमा सेंटर में भर्ती होने वाले मरीजों की कोरोना रिपोर्ट पांच से छह घंटे में मुहैया कराई जा रही है. शेष मरीजों को 12 घंटे बाद रिपोर्ट व जीन सिक्वेंसिंग टेस्ट में सात से 15 दिन के वक्त लगता है.
बता दें कि चिकित्सा शिक्षा मंत्री सुरेश खन्ना बुधवार को पीजीआई पहुंचे. यहां उन्होंने डायरेक्टर से पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह का हाल जाना. साथ ही कोरोना की संभावित तीसरी लहर से निपटने की व्यवस्था दुरुस्त करने को कहा. उन्होंने भवनों के निर्माण कार्य को जल्द पूरा करने को कहा.