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राजधानी लखनऊ में इफ्तार से सहरी तक गुलजार रहता है होटल का व्यवसाय - लखनऊ समाचार

रमजान के महीने में राजधानी में होटल संचालकों की चांदी हो जाती है. यहां रात में रोजेदार होटल में बने पकवानों का लुत्फ उठाने आते हैं और हैवी डाइट लेना पसंद करते हैं. रमजान के इस पाक महीने में होटल संचालकों की खूब कमाई होती है, जिसे वह अल्लाह की बरकत समझते हैं.

रमजान में होटल संचालकों की हुई चांदी-चांदी.
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Published : May 14, 2019, 9:44 AM IST

लखनऊ: रमजान के महीने में रोजेदारों के खानपान का तरीका बदल जाता है. इसी कारण राजधानी के होटल और रेस्टोरेंट संचालक भी अपने कारोबार का अंदाज बदल लेते हैं. रमजान के महीने में यहां ज्यादातर रेस्टोरेंट इफ्तार से सहरी तक भोजन परोसते हैं.

रमजान के दौरान लोगों की जीवनशैली पूरी तरह से बदल जाती है. इफ्तार और तरावीह की नमाज के बीच रोजेदारों को इतना वक्त नहीं मिल पाता की वह भोजन कर सकें. ज्यादातर लोग रात 10 और 11 बजे के बीच जब मस्जिदों से तरावीह की नमाज पढ़कर बाहर निकलते हैं तो लजीज पकवान खाना पसंद करते हैं. राजधानी के अकबरी गेट का बाजार खान-पान के मामले में हमेशा से मशहूर रहा है. यही कारण है की रात 11 बजे के बाद यहां रोजेदारों की भीड़ उमड़ पड़ती है.

रमजान में होटल संचालकों की हुई चांदी-चांदी.

रमजान के महीने में अकबरी गेट पर रोजेदारों की उमड़ती है भीड़:

  • रमजान के महीने में रोजेदारों के खान-पान का तरीका बदल जाता है.
  • राजधानी के होटलों में पूरी रात परोसा जाता है भोजन.
  • रमजान के महीने में राजधानी के अकबरी गेट के बाजार में उमड़ती है रोजेदारों की भीड़.

अमूमन लोग हेवी डाइट चाहते हैं. इसलिए लोग मटन नाहरी, चिकन नाहरी और नली नाहरी लोग पसंद कर रहे हैं. 100 किलोमीटर दूर से भी लोग खाने चले आते हैं.
-होटल संचालक

लखनऊ: रमजान के महीने में रोजेदारों के खानपान का तरीका बदल जाता है. इसी कारण राजधानी के होटल और रेस्टोरेंट संचालक भी अपने कारोबार का अंदाज बदल लेते हैं. रमजान के महीने में यहां ज्यादातर रेस्टोरेंट इफ्तार से सहरी तक भोजन परोसते हैं.

रमजान के दौरान लोगों की जीवनशैली पूरी तरह से बदल जाती है. इफ्तार और तरावीह की नमाज के बीच रोजेदारों को इतना वक्त नहीं मिल पाता की वह भोजन कर सकें. ज्यादातर लोग रात 10 और 11 बजे के बीच जब मस्जिदों से तरावीह की नमाज पढ़कर बाहर निकलते हैं तो लजीज पकवान खाना पसंद करते हैं. राजधानी के अकबरी गेट का बाजार खान-पान के मामले में हमेशा से मशहूर रहा है. यही कारण है की रात 11 बजे के बाद यहां रोजेदारों की भीड़ उमड़ पड़ती है.

रमजान में होटल संचालकों की हुई चांदी-चांदी.

रमजान के महीने में अकबरी गेट पर रोजेदारों की उमड़ती है भीड़:

  • रमजान के महीने में रोजेदारों के खान-पान का तरीका बदल जाता है.
  • राजधानी के होटलों में पूरी रात परोसा जाता है भोजन.
  • रमजान के महीने में राजधानी के अकबरी गेट के बाजार में उमड़ती है रोजेदारों की भीड़.

अमूमन लोग हेवी डाइट चाहते हैं. इसलिए लोग मटन नाहरी, चिकन नाहरी और नली नाहरी लोग पसंद कर रहे हैं. 100 किलोमीटर दूर से भी लोग खाने चले आते हैं.
-होटल संचालक

Intro: फाइल एफटीपी से भेजी जा रही है। up_lkn_hotels celebrating ramjan_7203778_pkg

लखनऊ. रमजान पर रोजेदारों के खानपान का तरीका बदलता है तो पुराने लखनऊ के होटल और रेस्टोरेंट संचालक भी अपने कारोबार का अंदाज बदल लेते हैं । पूरे रमजान भर ज्यादातर रेस्टोरेंट "इफ्तार से सहरी तक" भोजन परोसते हैं लिहाजा लखनऊ के खान पान वाले बाजार पूरी रात गुलजार रहते हैं और होटल वालों पर खुदा की बरकत उनकी 'रोजी' बनकर बरसती रहती है।


Body:रमजान के दौरान लोगों की बदली जीवन शैली में सुबह सहरी के साथ जागना और शाम को इफ्तार व तरावीह की नमाज में खुदा की करीबी का एहसास पाना शामिल हो जाता है. इफ्तार और तरावीह की नमाज के बीच इतना वक्त नहीं मिलता जिसमें भोजन किया जा सके इसलिए ज्यादातर लोग रात 10 और 11बजे के बीच जब मस्जिदों में तरावीह की नमाज़ पढ़ कर बाहर निकलते हैं तो लजीज खाने का ख्याल आता है। पुराने लखनऊ में अकबरी गेट का यह बाजार अपने होटल और लजीज खानपान के लिए जाना जाता है। आमतौर पर लोग यहां शाम से भोजन करने के लिए आते हैं लेकिन रमजान ने इस बाजार का अंदाज ही बदल दिया है अब यहां रात 11बजे के बाद ही लोगों के आने का सिलसिला जोर पकड़ता है और तब रेस्टोरेंट के अंदर डाइनिंग टेबल से लेकर बाहर सड़क पर खड़े होकर बिरयानी खाने वालों की लाइन लग जाती है । लोग परिवार सहित भी यहां पहुंचते हैं और लजीज खाना पैक करा कर भी घर ले जाते हैं । दिन में रोजा रखने की वजह से भी लोग आधी रात में भोजन करना पसंद करते हैं। होटल संचालक भी बताते हैं कि रोजा रखने की वजह से ज्यादातर लोग एक वक्त ही ठीक से भोजन कर पाते हैं ऐसे में वह पोषण से पूर्ण पूरी डाइट लेना चाहते हैं।


पूरी रात गुलजार रहने वाले इस खानपान के बाजार में तरह तरह की चीजें मौजूद है मसलन यहां लजीज बिरयानी है तो शीरमाल से लेकर रुमाली और तंदूरी रोटी, दही- लस्सी, आइसक्रीम और अनेक तरह के मांसाहारी डिशेज हाजिर है। पूरे परिवार के रोजादार होने की वजह से भी रमजान के दिनों में ऐसे बहुत से लोग हैं जो घर के बजाय इन होटलों में खाना पसंद करते हैं। इसीलिए होटल संचालक भी यह मानकर खुश हैं कि उन पर रमजान माह की बरकत हो रही है।

बाइट/ होटल संचालक
बाइट/ स्थानीय लोग

वॉक थ्रू/ अखिलेश तिवारी



Conclusion:
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