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नगर निकाय चुनाव के अधिसूचना पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक - यूपी नगर निकाय चुनाव

हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने प्रदेश के नगर निकाय चुनावों की अधिसूचना पर मंगलवार तक के लिए रोक लगा दी है.

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Published : Dec 12, 2022, 8:28 PM IST

Updated : Dec 12, 2022, 8:48 PM IST

लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने प्रदेश के नगर निकाय चुनावों की अधिसूचना पर मंगलवार तक के लिए रोक लगा दी है. नगर निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण लागू करने में प्रक्रिया का पालन न करने का आरोप राज्य सरकार पर लगाते हुए जनहित याचिका दाखिल की गई है. न्यायालय ने कहा कि प्रथम दृष्टया लगता है कि यदि राज्य सरकार सर्वोच्च न्यायालय द्वारा तय की गई प्रक्रिया को अपनाने की मंशा रखती तो 5 दिसम्बर को जारी ड्राफ्ट नोटिफिकेशन में ओबीसी सीटों को शामिल नहीं किया जाता. क्योंकि ओबीसी सीटों को तभी अधिसूचित किया जा सकता है, जब ट्रिपल टेस्ट औपचारिकता को पूरा न कर लिया जाए.


यह आदेश न्यायमूर्ति देवेन्द्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति सौरभ श्रीवास्तव की खंडपीठ ने वैभव पांडेय की याचिका पर पारित किया. याची की ओर से दलील दी गई कि सर्वोच्च न्यायालय ने सुरेश महाजन मामले में स्पष्ट तौर पर आदेश दिया था कि स्थानीय निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण जारी करने से पहले ट्रिपल टेस्ट किया जाएगा. यदि ट्रिपल टेस्ट की औपचारिकता नहीं की जा सकी है तो एससी व एसटी सीटों के अलावा बाकी सभी सीटों को सामान्य सीट घोषित करते हुए चुनाव कराए जाएंगे.

कहा गया कि शीर्ष अदालत के स्पष्ट दिशानिर्देशों के बावजूद राज्य सरकार ने बिना ट्रिपल टेस्ट के 5 दिसम्बर 2022 को ड्राफ्ट नोटिफिकेशन जारी किया, जिसमें ओबीसी के लिए आरक्षित सीटों को भी शामिल किया गया. वहीं, याचिका का राज्य सरकार के अधिवक्ता ने विरोध किया. दलील दी कि इससे चुनाव कराने में देरी होगी. यह भी दलील दी गई कि 5 दिसम्बर का नोटिफिकेशन एक ड्राफ्ट नोटिफिकेशन है, याची या जो भी व्यक्ति इससे असन्तुष्ट हैं वे आपत्तियां दाखिल कर सकते हैं. हालांकि न्यायालय राज्य सरकार की इस दलील से संतुष्ट नहीं हुई और चुनावी अधिसूचना के साथ-साथ 5 दिसम्बर 2022 के उक्त ड्राफ्ट नोटिफिकेशन पर भी रोक लगा दी.

लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने प्रदेश के नगर निकाय चुनावों की अधिसूचना पर मंगलवार तक के लिए रोक लगा दी है. नगर निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण लागू करने में प्रक्रिया का पालन न करने का आरोप राज्य सरकार पर लगाते हुए जनहित याचिका दाखिल की गई है. न्यायालय ने कहा कि प्रथम दृष्टया लगता है कि यदि राज्य सरकार सर्वोच्च न्यायालय द्वारा तय की गई प्रक्रिया को अपनाने की मंशा रखती तो 5 दिसम्बर को जारी ड्राफ्ट नोटिफिकेशन में ओबीसी सीटों को शामिल नहीं किया जाता. क्योंकि ओबीसी सीटों को तभी अधिसूचित किया जा सकता है, जब ट्रिपल टेस्ट औपचारिकता को पूरा न कर लिया जाए.


यह आदेश न्यायमूर्ति देवेन्द्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति सौरभ श्रीवास्तव की खंडपीठ ने वैभव पांडेय की याचिका पर पारित किया. याची की ओर से दलील दी गई कि सर्वोच्च न्यायालय ने सुरेश महाजन मामले में स्पष्ट तौर पर आदेश दिया था कि स्थानीय निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण जारी करने से पहले ट्रिपल टेस्ट किया जाएगा. यदि ट्रिपल टेस्ट की औपचारिकता नहीं की जा सकी है तो एससी व एसटी सीटों के अलावा बाकी सभी सीटों को सामान्य सीट घोषित करते हुए चुनाव कराए जाएंगे.

कहा गया कि शीर्ष अदालत के स्पष्ट दिशानिर्देशों के बावजूद राज्य सरकार ने बिना ट्रिपल टेस्ट के 5 दिसम्बर 2022 को ड्राफ्ट नोटिफिकेशन जारी किया, जिसमें ओबीसी के लिए आरक्षित सीटों को भी शामिल किया गया. वहीं, याचिका का राज्य सरकार के अधिवक्ता ने विरोध किया. दलील दी कि इससे चुनाव कराने में देरी होगी. यह भी दलील दी गई कि 5 दिसम्बर का नोटिफिकेशन एक ड्राफ्ट नोटिफिकेशन है, याची या जो भी व्यक्ति इससे असन्तुष्ट हैं वे आपत्तियां दाखिल कर सकते हैं. हालांकि न्यायालय राज्य सरकार की इस दलील से संतुष्ट नहीं हुई और चुनावी अधिसूचना के साथ-साथ 5 दिसम्बर 2022 के उक्त ड्राफ्ट नोटिफिकेशन पर भी रोक लगा दी.

Last Updated : Dec 12, 2022, 8:48 PM IST
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