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नए सिरे से लागू होगा आरक्षण, पंचायत चुनाव की बदल जाएगी तस्वीर - यूपी पंचायत चुनाव

इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने राज्य सरकार को बड़ा झटका दिया है. पंचायत चुनाव को लेकर राज्य सरकार द्वारा लागू किए गए आरक्षण को रद्द कर दिया है. वहीं वर्ष 2015 को आधार वर्ष मानते हुए नए सिरे से आरक्षण लागू करने के निर्देश दिए हैं. ऐसे में अब उत्तर प्रदेश में पंचायतों के आरक्षण की तस्वीर बदल जाएगी.

पंचायती राज निदेशालय लखनऊ
पंचायती राज निदेशालय लखनऊ
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Published : Mar 15, 2021, 4:26 PM IST

लखनऊः पंचायती राज विभाग के अपर मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने ईटीवी भारत को बताया कि उच्च न्यायालय के निर्देश के अनुसार 27 मार्च तक आरक्षण की प्रक्रिया को अंतिम रूप देना है. ऐसे में अब हम नए सिरे से पूरी तैयारी करना शुरू कर रहे हैं. 2015 को आधार मानते हुए पंचायत चुनाव 2021 का आरक्षण लागू किया जाएगा. ऐसे में स्वाभाविक है कि पंचायतों का आरक्षण पूरी तरह से बदल दिया जाएगा.

पंचायत चुनाव आरक्षण.

2015 को आधार मानकर किया जाएगा आरक्षण

सबसे खास बात यह है कि पंचायती राज विभाग की तरफ से वर्ष 2015 को आधार मानकर पंचायतों का आरक्षण प्रक्रिया नए सिरे से लागू की जाएगी. उसको लेकर अब पंचायती राज विभाग की तरफ से तेजी से तैयारियां शुरू की जाएंगी. इससे पहले राज्य सरकार के पंचायती राज विभाग की तरफ से वर्ष 1995 को आधार वर्ष मानते हुए पंचायतों का आरक्षण लागू किया गया था.

पहले यह थी नीति

पहले यह नीति बनाई गई थी कि वर्ष 1995 से जिन पंचायतों में महिलाओं को आरक्षण नहीं दिया गया या दलितों अन्य पिछड़ा वर्ग को आरक्षण नहीं दिया गया. वहां पर चक्रम के आधार पर पंचायतों में आरक्षण लागू किया जाएगा. इन पंचायतों में आरक्षण लागू करने के फैसले को इलाहाबाद उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई थी. इसके बाद अब पंचायतों का आरक्षण नए तरीके से लागू किया जाएगा.

चुनावी तैयारियों में जुटे लोगों को लगा झटका

पंचायती राज विभाग की तरफ से जब नए सिरे से पंचायतों का आरक्षण लागू किया जाएगा तो चुनाव की तैयारियों में जुटे लोगों को भी झटका लगेगा. पंचायतों के जारी हुए आरक्षण के बाद अब नए सिरे से आरक्षण लागू किया जाएगा तो स्वाभाविक रूप से जो लोग तैयारी कर रहे थे. उन्हें निराश होना पड़ेगा.

इसे भी पढ़ें- पंचायत चुनावः एसटी आबादी रहित गांव की सीट कर दी आरक्षित

महिला दलित ओबीसी के चक्रानुक्रम पर होगा आरक्षण

पंचायती राज विभाग की तरफ से पंचायतों के आरक्षण को लेकर 2015 को आधार वर्ष मानते हुए सबसे पहले महिला दलित ओबीसी की सीटों को आरक्षित करने का काम किया जाएगा. इसको लेकर पंचायती राज विभाग की तरफ से आरक्षण की एक नई नीति लागू करने का काम किया जाएगा.

लखनऊः पंचायती राज विभाग के अपर मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने ईटीवी भारत को बताया कि उच्च न्यायालय के निर्देश के अनुसार 27 मार्च तक आरक्षण की प्रक्रिया को अंतिम रूप देना है. ऐसे में अब हम नए सिरे से पूरी तैयारी करना शुरू कर रहे हैं. 2015 को आधार मानते हुए पंचायत चुनाव 2021 का आरक्षण लागू किया जाएगा. ऐसे में स्वाभाविक है कि पंचायतों का आरक्षण पूरी तरह से बदल दिया जाएगा.

पंचायत चुनाव आरक्षण.

2015 को आधार मानकर किया जाएगा आरक्षण

सबसे खास बात यह है कि पंचायती राज विभाग की तरफ से वर्ष 2015 को आधार मानकर पंचायतों का आरक्षण प्रक्रिया नए सिरे से लागू की जाएगी. उसको लेकर अब पंचायती राज विभाग की तरफ से तेजी से तैयारियां शुरू की जाएंगी. इससे पहले राज्य सरकार के पंचायती राज विभाग की तरफ से वर्ष 1995 को आधार वर्ष मानते हुए पंचायतों का आरक्षण लागू किया गया था.

पहले यह थी नीति

पहले यह नीति बनाई गई थी कि वर्ष 1995 से जिन पंचायतों में महिलाओं को आरक्षण नहीं दिया गया या दलितों अन्य पिछड़ा वर्ग को आरक्षण नहीं दिया गया. वहां पर चक्रम के आधार पर पंचायतों में आरक्षण लागू किया जाएगा. इन पंचायतों में आरक्षण लागू करने के फैसले को इलाहाबाद उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई थी. इसके बाद अब पंचायतों का आरक्षण नए तरीके से लागू किया जाएगा.

चुनावी तैयारियों में जुटे लोगों को लगा झटका

पंचायती राज विभाग की तरफ से जब नए सिरे से पंचायतों का आरक्षण लागू किया जाएगा तो चुनाव की तैयारियों में जुटे लोगों को भी झटका लगेगा. पंचायतों के जारी हुए आरक्षण के बाद अब नए सिरे से आरक्षण लागू किया जाएगा तो स्वाभाविक रूप से जो लोग तैयारी कर रहे थे. उन्हें निराश होना पड़ेगा.

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महिला दलित ओबीसी के चक्रानुक्रम पर होगा आरक्षण

पंचायती राज विभाग की तरफ से पंचायतों के आरक्षण को लेकर 2015 को आधार वर्ष मानते हुए सबसे पहले महिला दलित ओबीसी की सीटों को आरक्षित करने का काम किया जाएगा. इसको लेकर पंचायती राज विभाग की तरफ से आरक्षण की एक नई नीति लागू करने का काम किया जाएगा.

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