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यूपी की बहू शीला दीक्षित के निधन से हर कोई दुखी

दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के निधन से पूरे देश में शोक की लहर है. शीला दीक्षित उन्नाव की बहू थीं. वह अपने फैसलों पर अडिग रहने वाली महिला राजनेता के रूप में जानी जाती थीं.

शीला दीक्षित का फाइल फोटो.
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Published : Jul 20, 2019, 7:47 PM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश की बहू के रूप में पहचान रखने वाली कांग्रेस की वरिष्ठ नेता और दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित का शुक्रवार को निधन हो गया. उनके निधन से न सिर्फ कांग्रेस पार्टी बल्कि बीजेपी सहित सामाजिक क्षेत्र से जुड़े रहने वाले लोगों में शोक की लहर है.

शीला दीक्षित के निधन को लेकर लोगों ने व्यक्त किया दुख.


ससुर से मिली राजनीति में आने की प्रेरणा-
प्रदेश के उन्नाव के रहने वाले उमाशंकर दीक्षित के बेटे आईएएस विनोद दीक्षित से उनकी शादी हुई थी. उमाशंकर दीक्षित कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता थे और देश के गृह मंत्री भी थे. ससुर के राजनीति में सक्रिय होने के चलते शीला दीक्षित का भी राजनीति में मन लगने लगा था. एक सड़क दुर्घटना के दौरान उनके पति विनोद दीक्षित की मौत हो गई, जिसके बाद उन्होंने पूरी तरह से राजनीति में सक्रिय होने का फैसला कर लिया.


1984 के लोकसभा चुनाव में कन्नौज से संसद का सफर शुरू किया. राजीव गांधी सरकार में उन्हें संसदीय कार्य मंत्री के रूप में भी स्थान मिला था. वह कांग्रेस कार्यकर्ताओं में ही नहीं, बल्कि सामाजिक क्षेत्र के लोगों के बीच काफी लोकप्रिय थीं. वह अपने फैसलों पर अडिग रहने वाली महिला राजनेता के रूप में भी अपनी पहचान बना चुकी थीं. 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की इच्छा थी कि कांग्रेस पार्टी और आम आदमी पार्टी का गठबंधन हो जाए, लेकिन शीला दीक्षित इसके लिए राजी नहीं हुईं.

शीला दीक्षित के निधन को लेकर लोगों ने व्यक्त किया दुख-
भाजपा प्रवक्ता अशोक पांडेय ने कहा कि शीला दीक्षित के निधन से कांग्रेस पार्टी नहीं हम सभी दुखी हैं. वह उत्तर प्रदेश की पुत्रवधू थीं, वह काफी लोकप्रिय थीं. दिल्ली में उन्होंने बेहतर सरकार चलाई. उनके निधन से एक बड़ी अपूरणीय क्षति हुई है.

वरिष्ठ पत्रकार मनोज श्रीवास्तव ने कहा कि राजनीति के साथ ही सामाजिक क्षेत्र के लिए शीला दीक्षित का निधन अपूरणीय क्षति है. वह राजनीति के साथ ही रचनात्मक कार्यों के लिए भी जानी जाती थीं.

वहीं समाजसेवी केडी तिवारी ने कहा कि शीला दीक्षित का जुड़ाव उन्नाव से भी रहा है. उनके निधन से निश्चित रूप से न सिर्फ कांग्रेस पार्टी के लोग, बल्कि समाज के हर वर्ग के लोग दुखी हैं. वह अपने तमाम अनेक फैसलों के लिए जानी जाती थीं.

लखनऊ: उत्तर प्रदेश की बहू के रूप में पहचान रखने वाली कांग्रेस की वरिष्ठ नेता और दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित का शुक्रवार को निधन हो गया. उनके निधन से न सिर्फ कांग्रेस पार्टी बल्कि बीजेपी सहित सामाजिक क्षेत्र से जुड़े रहने वाले लोगों में शोक की लहर है.

शीला दीक्षित के निधन को लेकर लोगों ने व्यक्त किया दुख.


ससुर से मिली राजनीति में आने की प्रेरणा-
प्रदेश के उन्नाव के रहने वाले उमाशंकर दीक्षित के बेटे आईएएस विनोद दीक्षित से उनकी शादी हुई थी. उमाशंकर दीक्षित कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता थे और देश के गृह मंत्री भी थे. ससुर के राजनीति में सक्रिय होने के चलते शीला दीक्षित का भी राजनीति में मन लगने लगा था. एक सड़क दुर्घटना के दौरान उनके पति विनोद दीक्षित की मौत हो गई, जिसके बाद उन्होंने पूरी तरह से राजनीति में सक्रिय होने का फैसला कर लिया.


1984 के लोकसभा चुनाव में कन्नौज से संसद का सफर शुरू किया. राजीव गांधी सरकार में उन्हें संसदीय कार्य मंत्री के रूप में भी स्थान मिला था. वह कांग्रेस कार्यकर्ताओं में ही नहीं, बल्कि सामाजिक क्षेत्र के लोगों के बीच काफी लोकप्रिय थीं. वह अपने फैसलों पर अडिग रहने वाली महिला राजनेता के रूप में भी अपनी पहचान बना चुकी थीं. 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की इच्छा थी कि कांग्रेस पार्टी और आम आदमी पार्टी का गठबंधन हो जाए, लेकिन शीला दीक्षित इसके लिए राजी नहीं हुईं.

शीला दीक्षित के निधन को लेकर लोगों ने व्यक्त किया दुख-
भाजपा प्रवक्ता अशोक पांडेय ने कहा कि शीला दीक्षित के निधन से कांग्रेस पार्टी नहीं हम सभी दुखी हैं. वह उत्तर प्रदेश की पुत्रवधू थीं, वह काफी लोकप्रिय थीं. दिल्ली में उन्होंने बेहतर सरकार चलाई. उनके निधन से एक बड़ी अपूरणीय क्षति हुई है.

वरिष्ठ पत्रकार मनोज श्रीवास्तव ने कहा कि राजनीति के साथ ही सामाजिक क्षेत्र के लिए शीला दीक्षित का निधन अपूरणीय क्षति है. वह राजनीति के साथ ही रचनात्मक कार्यों के लिए भी जानी जाती थीं.

वहीं समाजसेवी केडी तिवारी ने कहा कि शीला दीक्षित का जुड़ाव उन्नाव से भी रहा है. उनके निधन से निश्चित रूप से न सिर्फ कांग्रेस पार्टी के लोग, बल्कि समाज के हर वर्ग के लोग दुखी हैं. वह अपने तमाम अनेक फैसलों के लिए जानी जाती थीं.

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश की बहू के रूप में अपनी पहचान रखने वाली कांग्रेस की वरिष्ठ नेता वह दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के निधन से न सिर्फ कांग्रेस पार्टी बल्कि बीजेपी सहित सामाजिक सरोकारों से जुड़े रहने वाले लोगों में निधन को लेकर शोक की लहर है हर कोई उनके निधन से दुखी भी है।



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उत्तर प्रदेश के उन्नाव के रहने वाले उमाशंकर दीक्षित के बेटे आईएएस विनोद दीक्षित से हुई थी उमाशंकर दीक्षित कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता थे और देश के गृह मंत्री भी थे ससुर के कांग्रेस की राजनीति में सक्रिय होने के चलते शीला दीक्षित का भी राजनीत में मन लगने लगा था एक सड़क दुर्घटना के दौरान उनके पति विनोद दीक्षित की मौत हो गई जिसके बाद उन्होंने पूरी तरह से राजनीति में सक्रिय होने का फैसला कर लिया था इससे पहले वह 1984 के लोकसभा चुनाव में कन्नौज से संसद का भी सफर किया राजीव गांधी सरकार में उन्हें संसदीय कार्य मंत्री के रूप में भी स्थान मिला था वह कांग्रेस कार्यकर्ताओं ही नहीं बल्कि सामाजिक क्षेत्र के लोगों के बीच काफी लोकप्रिय रहती थी वह अपने फैसलों पर अडिग रहने वाली महिला राजनेता के रूप में भी अपनी पहचान बना चुकी थी खास बात यह है कि 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की इच्छा थी कि कांग्रेस पार्टी और आम आदमी पार्टी का गठबंधन हो जाए लेकिन शीला दीक्षित से राजी नहीं हुई कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व भी चाहता था कि आपके साथ उनका गठबंधन हो जाए लेकिन शीला दीक्षित इसका विरोध करती रही और आखिरकार लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी का कांग्रेस पार्टी से गठबंधन नहीं हो पाया शीला दीक्षित के निधन से राजनीति से लेकर सामाजिक सरोकारों से जुड़े लोगों ने दुख व्यक्त किया है।

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अशोक पांडेय, भाजपा प्रवक्ता
देखिए निश्चित तौर पर शीला दीक्षित जी के निधन से कांग्रेस पार्टी नहीं हम सब दुखी हैं वह उत्तर प्रदेश की पुत्रवधू भी रही है और वह काफी लोकप्रिय रही हैं दिल्ली में उन्होंने बेहतर सरकार भी चलाई उनके निधन से एक बड़ी और अपूर्णनीय क्षति हुई है।

बाईट
मनोज श्रीवास्तव, वरिष्ठ पत्रकार
राजनीति के साथ ही सामाजिक क्षेत्र के लिए शीला दीक्षित का निधन अपूरणीय क्षति है वह राजनीति के साथ ही रचनात्मक कार्यों के लिए भी जानी जाती थी उन्होंने दिल्ली में एक बेहतर सरकार थी और बेहतर प्रशासन भी दिया तमाम अच्छे काम भी उन्होंने किसकी है वह एक मूल्यवान राजनेता के रूप में भी अपनी पहचान बनाई थी निश्चित रूप से उनके निधन से हम सब दुखी हैं ईश्वर उनके परिवार को यह दुख सहन करने की शक्ति दे हम उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।

बाईट
केडी तिवारी, समाजसेवी
शीला दीक्षित का जुड़ाव उन्नाव से भी रहा है उनके निधन से निश्चित रूप से न सिर्फ कांग्रेस पार्टी के लोग दुखी हैं बल्कि समाज के हर वर्ग के लोग दुखी हैं वह काफी सक्रिय राजनीति में रहे और अपने तमाम अनेक फैसलों के लिए जानी जाती रही।



Conclusion:उल्लेखनीय है कि शीला दीक्षित का आज दिल्ली के एक अस्पताल में निधन हो गया उनके निधन से देश भर में शोक की लहर दौड़ गई।
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