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डॉ. देवेश चतुर्वेदी ने कहा- प्रयोगात्मक खेती से किसानों को होगा निश्चित फायदा - CSIR Indian Institute of Toxicology Research

सीएसआईआर-एनबीआरआई के ओर से दो दिवसीय पुष्प कृषि मेला एवं बोगनविलिया उत्सव को दौरान अपर मुख्य सचिव डॉ. देवेश चतुर्वेदी ने किसानों को परंपरागत खेती के साथ प्रयोगात्मक खेती की सलाह दी. आयोजन में 6 राज्यों के किसान समूहों से करीब 300 किसान एवं उद्यमी प्रतिभाग कर रहे हैं.

मंत्री डॉ. देवेश चतुर्वेदी ने कहा- प्रयोगात्मक खेती से किसानों को होगा निश्चित फायदा.
मंत्री डॉ. देवेश चतुर्वेदी ने कहा- प्रयोगात्मक खेती से किसानों को होगा निश्चित फायदा.
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Published : Mar 20, 2023, 4:05 PM IST

लखनऊ : चाहे आम प्रचलित किस्मों की जगह उन्नत फसलों की खेती हो, या दलहन-तिलहन की फसलों को अदल बदल कर लगाना हो या फिर फल, सब्जी, अनाज एवं फूलों की खेती को अदल बदल कर करना, फसलों के विविधीकरण के माध्यम से उन्नत कृषि निश्चित ही किसानों की आय बढ़ाने में सहायक है. उन्होंने यह भी कहा कि अगर किसान ऐसी प्रयोगात्मक खेती समूह बना कर करें एवं एक ही प्रकार की खेती में पूरा पैसा न लगाएं तो निश्चित रूप से लाभ कमा सकते हैं. यह बातें रविवार को बतौर मुख्य अतिथि कृषि-शिक्षा एवं अनुसंधान विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. देवेश चतुर्वेदी ने कहीं.

मंत्री डॉ. देवेश चतुर्वेदी ने कहा- प्रयोगात्मक खेती से किसानों को होगा निश्चित फायदा.
मंत्री डॉ. देवेश चतुर्वेदी ने कहा- प्रयोगात्मक खेती से किसानों को होगा निश्चित फायदा.



सीएसआईआर-एनबीआरआई के ओर से दो दिवसीय पुष्प कृषि मेला एवं बोगनविलिया रविवार को वनस्पति उद्यान के केन्द्रीय लॉन में आयोजित हुई. उदघाटन समारोह में उत्तर प्रदेश सरकार के कृषि, कृषि-शिक्षा एवं अनुसंधान विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. देवेश चतुर्वेदी मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद रहे. महात्मा गांधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय, मोतिहारी, बिहार के कुलपति डॉ. आनंद प्रकाश व आचार्य नरेन्द्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, अयोध्या के कुलपति डॉ. बिजेन्द्र सिंह समारोह के विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद रहे. केन्द्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान, लखनऊ के निदेशक डॉ. टी दामोदरन, सीएसआईआर-भारतीय विषविज्ञान अनुसंधान संस्थान, लखनऊ के निदेशक डॉ. भास्कर नारायण एवं भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान, लखनऊ के निदेशक डॉ. आर विश्वनाथन समारोह में विशेष अतिथि के रूप में शामिल हुए.

मंत्री डॉ. देवेश चतुर्वेदी ने कहा- प्रयोगात्मक खेती से किसानों को होगा निश्चित फायदा.
मंत्री डॉ. देवेश चतुर्वेदी ने कहा- प्रयोगात्मक खेती से किसानों को होगा निश्चित फायदा.

पुष्प कृषि मेला के संयोजक डॉ. केजे सिंह ने बताया कि मेले का आयोजन सीएसआईआर के पुष्पकृषि मिशन के अंतर्गत किया जा रहा हैं. जिसमें पूरे भारत वर्ष के 6 राज्यों के किसान समूहों से करीब 300 किसान एवं उद्यमी भाग ले रहे हैं. मेले का मुख्य उद्देश्य है कि संस्थान के पास उपलब्ध पुष्प कृषि तकनीकी एवं विकास, नई किस्मो की जानकारी, आदि को किसानों तक आसानी से पहुचाया जा सके, ताकि पारंपरिक फसलों की खेती के साथ-साथ किसान फूलों की खेती करके अपनी आय को बढ़ा सकें. डॉ. केजे सिंह ने बताया कि इस मेले में किसानों से फूलों की खेती करने के साथ अपनी उपज को मार्केट में कैसे उचित दर पर कैसे बेचें. पौधों के विभिन्न रोगों से रोकथाम, हाई टेक नर्सरी बनाने, खेती के लिए उपलब्ध वित्तीय सहायक योजनाओं और अन्य तकनीकी जानकारी साझा की जाएगी.

मंत्री डॉ. देवेश चतुर्वेदी ने कहा- प्रयोगात्मक खेती से किसानों को होगा निश्चित फायदा.
मंत्री डॉ. देवेश चतुर्वेदी ने कहा- प्रयोगात्मक खेती से किसानों को होगा निश्चित फायदा.
संस्थान के मुख्य वैज्ञानिक डॉ. एसके तिवारी ने कहा कि संस्थान द्वारा पहले से ही दो पुष्प प्रदर्शनियों का आयोजन किया जाता रहा है, लेकिन पिछले वर्ष से गर्मियों के एक प्रमुख शोभाकारी पौधे बोगेनविलिया को भी इस प्रदर्शनी में शामिल किया गया है. इस वर्ष यह दूसरा बोगनविलिया उत्सव आयोजित किया जा रहा है. संस्थान द्वारा इस प्रदर्शनी को भविष्य में आम जनता की प्रतियोगात्मक सहभागिता हेतु भी खोला जाएगा. इस उत्सव में संस्थान द्वारा विकसित बोगनविलिया की दो दर्जन से ज्यादा किस्मों (जैसे-बेगम सिकंदर, शुभ्रा) डॉ. बीपी पाल, अर्जुना, अर्चना, मेरी पाल्मर स्पेशल, लॉस बनोस वैरिगेटा, अरुणा, डॉ. पीवी साने आदि को प्रदर्शित किया गया है. साथ ही बोगनविलिया पौधों को आकर्षक बनाए गए विभिन्न स्वरूपों जैसे बोन्साई, टोपिअरी कला आदि में भी प्रदर्शित किया गया हैं.विशिष्ट अतिथि डॉ. आनंद प्रकाश ने कहा कि कृषि विश्व विद्यालयों एवं शोध संस्थानों के बीच सामंजस्य एवं अनुबंधों से किसानों की आय को बढ़ाने करने के प्रभावी प्रयास किए जा सकते हैं. समारोह के दूसरे विशिष्ट अतिथि डॉ. बिजेन्द्र सिंह ने कहा कि आम खेती से हटकर फूलों की खेती मन को सुकून एवं शान्ति प्रदान करने वाली होती हैं. इस समारोह में विशेष अतिथि के रूप में आमंत्रित डॉ. टी दामोदरन, डॉ. भास्कर नारायण एवं डॉ. आर. विश्वनाथन ने भी किसानों एवं अन्य उपस्थित जन-समुदाय को संबोधित किया एवं इस कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए शुभकामनाएं दीं.

संस्थान के निदेशक डॉ. अजित कुमार शासनी ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि राष्ट्रीय संस्थान होने के नाते हमारी यह नैतिक जिम्मेदारी है कि हम अपनी कृषि तकनीकी और किस्मों को किसानों तक पहुंचाएं. जिससे उनकी आय एवं आजीविका में समृद्धि आ सके. इससे हम पुष्प कृषि क्षेत्र में अपने देश को और आगे ले जा सकते हैं. इस दृष्टि के साथ सीएसआरआर पुष्प कृषि मिशन परियोजना को पूरे भारत वर्ष में चलाया जा रहा है और संस्थान किसानों को उनकी आय बढ़ाने की दिशा में लगातार सहयोग करता रहेगा. इस मौके पर संस्थान द्वारा महात्मा गांधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय के साथ पुष्पकृषि और अन्य अनुसंधान क्षेत्रों में साझा अनुसंधान कार्य करने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर भी किए गए. यह पुष्प कृषि मेला एवं बोगनविलिया उत्सव आम जनता के लिए रविवार और सोमवार को खुला रहेगा. मेले का समापन सोमवार को होगा.

यह भी पढ़ें : मंत्री जितिन प्रसाद बोले, पीएम मोदी का मुकाबला कोई नहीं कर सकता

लखनऊ : चाहे आम प्रचलित किस्मों की जगह उन्नत फसलों की खेती हो, या दलहन-तिलहन की फसलों को अदल बदल कर लगाना हो या फिर फल, सब्जी, अनाज एवं फूलों की खेती को अदल बदल कर करना, फसलों के विविधीकरण के माध्यम से उन्नत कृषि निश्चित ही किसानों की आय बढ़ाने में सहायक है. उन्होंने यह भी कहा कि अगर किसान ऐसी प्रयोगात्मक खेती समूह बना कर करें एवं एक ही प्रकार की खेती में पूरा पैसा न लगाएं तो निश्चित रूप से लाभ कमा सकते हैं. यह बातें रविवार को बतौर मुख्य अतिथि कृषि-शिक्षा एवं अनुसंधान विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. देवेश चतुर्वेदी ने कहीं.

मंत्री डॉ. देवेश चतुर्वेदी ने कहा- प्रयोगात्मक खेती से किसानों को होगा निश्चित फायदा.
मंत्री डॉ. देवेश चतुर्वेदी ने कहा- प्रयोगात्मक खेती से किसानों को होगा निश्चित फायदा.



सीएसआईआर-एनबीआरआई के ओर से दो दिवसीय पुष्प कृषि मेला एवं बोगनविलिया रविवार को वनस्पति उद्यान के केन्द्रीय लॉन में आयोजित हुई. उदघाटन समारोह में उत्तर प्रदेश सरकार के कृषि, कृषि-शिक्षा एवं अनुसंधान विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. देवेश चतुर्वेदी मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद रहे. महात्मा गांधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय, मोतिहारी, बिहार के कुलपति डॉ. आनंद प्रकाश व आचार्य नरेन्द्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, अयोध्या के कुलपति डॉ. बिजेन्द्र सिंह समारोह के विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद रहे. केन्द्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान, लखनऊ के निदेशक डॉ. टी दामोदरन, सीएसआईआर-भारतीय विषविज्ञान अनुसंधान संस्थान, लखनऊ के निदेशक डॉ. भास्कर नारायण एवं भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान, लखनऊ के निदेशक डॉ. आर विश्वनाथन समारोह में विशेष अतिथि के रूप में शामिल हुए.

मंत्री डॉ. देवेश चतुर्वेदी ने कहा- प्रयोगात्मक खेती से किसानों को होगा निश्चित फायदा.
मंत्री डॉ. देवेश चतुर्वेदी ने कहा- प्रयोगात्मक खेती से किसानों को होगा निश्चित फायदा.

पुष्प कृषि मेला के संयोजक डॉ. केजे सिंह ने बताया कि मेले का आयोजन सीएसआईआर के पुष्पकृषि मिशन के अंतर्गत किया जा रहा हैं. जिसमें पूरे भारत वर्ष के 6 राज्यों के किसान समूहों से करीब 300 किसान एवं उद्यमी भाग ले रहे हैं. मेले का मुख्य उद्देश्य है कि संस्थान के पास उपलब्ध पुष्प कृषि तकनीकी एवं विकास, नई किस्मो की जानकारी, आदि को किसानों तक आसानी से पहुचाया जा सके, ताकि पारंपरिक फसलों की खेती के साथ-साथ किसान फूलों की खेती करके अपनी आय को बढ़ा सकें. डॉ. केजे सिंह ने बताया कि इस मेले में किसानों से फूलों की खेती करने के साथ अपनी उपज को मार्केट में कैसे उचित दर पर कैसे बेचें. पौधों के विभिन्न रोगों से रोकथाम, हाई टेक नर्सरी बनाने, खेती के लिए उपलब्ध वित्तीय सहायक योजनाओं और अन्य तकनीकी जानकारी साझा की जाएगी.

मंत्री डॉ. देवेश चतुर्वेदी ने कहा- प्रयोगात्मक खेती से किसानों को होगा निश्चित फायदा.
मंत्री डॉ. देवेश चतुर्वेदी ने कहा- प्रयोगात्मक खेती से किसानों को होगा निश्चित फायदा.
संस्थान के मुख्य वैज्ञानिक डॉ. एसके तिवारी ने कहा कि संस्थान द्वारा पहले से ही दो पुष्प प्रदर्शनियों का आयोजन किया जाता रहा है, लेकिन पिछले वर्ष से गर्मियों के एक प्रमुख शोभाकारी पौधे बोगेनविलिया को भी इस प्रदर्शनी में शामिल किया गया है. इस वर्ष यह दूसरा बोगनविलिया उत्सव आयोजित किया जा रहा है. संस्थान द्वारा इस प्रदर्शनी को भविष्य में आम जनता की प्रतियोगात्मक सहभागिता हेतु भी खोला जाएगा. इस उत्सव में संस्थान द्वारा विकसित बोगनविलिया की दो दर्जन से ज्यादा किस्मों (जैसे-बेगम सिकंदर, शुभ्रा) डॉ. बीपी पाल, अर्जुना, अर्चना, मेरी पाल्मर स्पेशल, लॉस बनोस वैरिगेटा, अरुणा, डॉ. पीवी साने आदि को प्रदर्शित किया गया है. साथ ही बोगनविलिया पौधों को आकर्षक बनाए गए विभिन्न स्वरूपों जैसे बोन्साई, टोपिअरी कला आदि में भी प्रदर्शित किया गया हैं.विशिष्ट अतिथि डॉ. आनंद प्रकाश ने कहा कि कृषि विश्व विद्यालयों एवं शोध संस्थानों के बीच सामंजस्य एवं अनुबंधों से किसानों की आय को बढ़ाने करने के प्रभावी प्रयास किए जा सकते हैं. समारोह के दूसरे विशिष्ट अतिथि डॉ. बिजेन्द्र सिंह ने कहा कि आम खेती से हटकर फूलों की खेती मन को सुकून एवं शान्ति प्रदान करने वाली होती हैं. इस समारोह में विशेष अतिथि के रूप में आमंत्रित डॉ. टी दामोदरन, डॉ. भास्कर नारायण एवं डॉ. आर. विश्वनाथन ने भी किसानों एवं अन्य उपस्थित जन-समुदाय को संबोधित किया एवं इस कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए शुभकामनाएं दीं.

संस्थान के निदेशक डॉ. अजित कुमार शासनी ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि राष्ट्रीय संस्थान होने के नाते हमारी यह नैतिक जिम्मेदारी है कि हम अपनी कृषि तकनीकी और किस्मों को किसानों तक पहुंचाएं. जिससे उनकी आय एवं आजीविका में समृद्धि आ सके. इससे हम पुष्प कृषि क्षेत्र में अपने देश को और आगे ले जा सकते हैं. इस दृष्टि के साथ सीएसआरआर पुष्प कृषि मिशन परियोजना को पूरे भारत वर्ष में चलाया जा रहा है और संस्थान किसानों को उनकी आय बढ़ाने की दिशा में लगातार सहयोग करता रहेगा. इस मौके पर संस्थान द्वारा महात्मा गांधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय के साथ पुष्पकृषि और अन्य अनुसंधान क्षेत्रों में साझा अनुसंधान कार्य करने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर भी किए गए. यह पुष्प कृषि मेला एवं बोगनविलिया उत्सव आम जनता के लिए रविवार और सोमवार को खुला रहेगा. मेले का समापन सोमवार को होगा.

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