लखनऊ : यूपी में जेलों में माफिया और अपराधियों की अंधेरगर्दी सामने आने के बाद योगी सरकार ने नया प्रयोग किया है. 5 एसपी रैंक के आईपीएस अधिकारियों को योगी सरकार ने कारागार विभाग में तैनाती दी है. इनमें दो आईपीएस अधिकारी सुभाष चंद्र शाक्य और शिवहरि मीणा को एसपी कारागार बनाया है. तीन अन्य आईपीएस अधिकारियों को योगी सरकार ने कारागार में अतिरिक्त चार्ज दिया है. विजलेंस जांच से मुक्त हुई हिमांशु कुमार को भी कारागार विभाग का अतिरिक्त चार्ज दिया है.
बीते दिनों तीन वर्षों से यूपी कारागार की बागडोर संभाल रहे आईपीएस अधिकारी आनंद कुमार को महानिदेशक कारागार प्रशासन एवमं सुधार सेवाएं के पद से हटाते हुए एसएन साबत को डीजी जेल बनाया गया था. अब योगी सरकार ने पहली बार बड़ी संख्या में जेल विभाग में एसपी रैंक के आईपीएस अधिकारियों की तैनाती की है. जिन अधिकारियों को कारागार विभाग में तैनात किया गया है उनमें, एसपी साइबर क्राइम शिवहरि मीना व एसपी एसआईटी सुभाष चंद्र शाक्य को एसपी कारागार प्रशासन एवम सुधार सेवाएं बनाया गया है. इसके अलावा चार आईपीएस अधिकारियों को अतिरिक्त चार्ज दिया गया है, इनमें राजेश कुमार श्रीवास्तव, हेमंत कुटियाल व हिमांशु कुमार शामिल हैं.
अब तक DG समेत 4 आईपीएस ही जेल में थे तैनात : डीजीपी मुख्यालय से जारी किए गए आदेश में बताया गया है कि इन आईपीएस अधिकारियों को रेंज में तैनात किया जाएगा. जिनकी तैनाती डीजी जेल एसएन साबत करेंगे. अभी तक उत्तर प्रदेश कारागार विभाग में 10 पद डीआईजी के लिए हैं, जिनमें तीन आईपीएस अधिकारी तैनात होते हैं, जबकि अन्य सात पदों पर कारागार कैडर के अधिकारी होते हैं. ऐसे में माना जा रहा है कि कैडर के स्थान पर अब आईपीएस अधिकारियों की तैनाती की जायेगी. कारागार विभाग में कुल 4 आईपीएस अधिकारी तैनात थे. दरअसल, जेलों की सुरक्षा पर तब सवाल उठे थे जब हालही में चित्रकूट जेल में बंद मुख्तार अंसारी का बेटा अब्बास अंसारी जेल में अय्याशी करने को साथ ही अवैध रूप से पत्नी निकहत बानो से मुलाकात कर रहा था. खास बात यह रही थी कि इन मुलाकातों को खुद जेल कर्मी करवा रहे थे. इसके अलावा उमेश पाल हत्याकांड की जांच के दौरान जांच में सामने आया था कि बरेली जेल में बंद अशरफ अंसारी से हत्याकांड को अंजाम देने वाले शूटर जेल अधिकारियों की मिलीभगत से मुलाकात कर रहे थे, यही नहीं उमेश पाल की हत्या की साजिश भी बरेली जेल में ही रची गई थी. इसके बाद से ही यूपी की जेलों की सुरक्षा पर सवाल उठने लगे थे, जिसके बाद डीजी जेल आनंद कुमार पर कार्रवाई करते हुए उन्हें उनके पद से हटाते हुए सहकारिता प्रकोष्ठ भेजा गया था.
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