लखनऊ: पिछले 3 दिनों से लगातार हो रही बारिश से राजधानी लखनऊ के बख्शी का तालाब स्थित किसानों की फसलों को भारी नुकसान पहुंचा है. बारिश से खरीफ में प्रमुख रूप से धान, उड़द और सफेद तिल एवं कहीं-कहीं पर ज्वार एवं बाजरे की फसलें अधिक प्रभावित हुई हैं. हालांकि बारिश से होने वाले इस नुकसान से किसानों ने सरकार से मदद की गुहार लगाई है.
बख्शी का तालाब तहसील के अंतर्गत ग्राम पूरब में रहने वाले किसान घनश्याम ने ईटीवी से बातचीत के दौरान बताया कि पिछले 3 दिन से हो रही बारिश ने प्रमुख रुप से धान, उड़द और सफेद तिल एवं कहीं-कहीं पर ज्वार एवं बाजरा की फसलों को अधिक प्रभावित किया है. खेतों में पानी भरने से धान उसपर तैर रहा है.
किसान ने बताया कि यदि यह पानी भरा रहा तो धान की फसल 3 दिन के बाद जमने लगती है. जिससे पूरा का पूरा धान खराब हो जाता है. धान कटाई हमने प्रारंभ कर दी थी. इस वर्ष समय-समय पर बारिश होने से धान की फसल अच्छी थी और पैदावार भी अच्छी होने की संभावना थी. हालांकि बारिश से होने वाले नुकसान को लेकर सरकार से उम्मीद जरूर है. उम्मीद है कि नुकसान को लेकर सरकार किसानों के हित में कुछ कार्य करेगी.
भौली गांव में रहने वाले किसान धीरेंद्र ने बताया कि उन्होंने धान की फसल और सब्जियां लगाई थी. 3 दिन की बारिश में बैंगन की फसल में इतना ज्यादा पानी भर गया कि जो बैगन के ऊपर पौधा मजबूत करने के लिए मिट्टी चढ़ाई जाती है. वह मिट्टी बारिश के कारण बह गई. उन्होंने बताया कि अब बारिश के बाद होने वाले नुकसान में इसमें जड़ सड़न की बीमारी लगने की संभावना है. फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गई है. आधा एकड़ बैंगन की खेती में 6 महीने में तकरीबन डेढ़ लाख रुपये का मुनाफा हो जाता था, लेकिन बारिश होने से अब पूरी तरीके से नुकसान हो चुका है.
कृषि विशेषज्ञ डॉ. सत्येंद्र कुमार ने बताया कि चक्रवर्ती बरसात के कारण प्रमुख रूप से किसानों को धान, उड़द, बाजरा, सब्जियों की फसल को ज्यादा नुकसान पहुंचा है. केले की खेती को लेकर उन्होंने बताया कि केले की खेती में ज्यादा नुकसान नहीं हुआ है. अगर हवा चलती तो केले की खेती को भी नुकसान होने की ज्यादा संभावना थी. बारिश होने के चलते अब रवि की बुवाई बहुत लेट होगी. जिसमें इस समय नकदी फसल के रूप में आलू, मटर की बुवाई भी हो जानी थी.
बारिश होने से खेतों में पानी भरा हुआ है. ऐसी स्थिति में नकदी फसलों की बुवाई भी लेट होगी. बहुत से किसानों ने चना, मसूर, मटर एवं सरसों की बुवाई का कार्य पूर्ण कर लिया था. साथ में सरसों की बुवाई प्रारंभ कर दी थी. यह फसलें शीघ्र खराब हो जाएंगी. समय से फसलों की बुवाई न होने से उत्पादन के ऊपर भी प्रभाव पड़ता है. साथ में कीट एवं बीमारियां बढ़ती है.
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