लखनऊ: नगर निगम मुख्यालय में मेयर संयुक्ता भाटिया की अध्यक्षता में कार्यकारिणी की बैठक आयोजित की गई. बैठक में राजधानी के विकास के लिए वित्तीय वर्ष 2019-20 का पुनरक्षित बजट 59.29 करोड़ रुपये के बढ़ोतरी के साथ सर्वसम्मति से पास किया गया. इसके साथ ही राजधानी में साफ-सफाई के लिए कूड़ा प्रबंधन की जिम्मेदारी पार्षदों को दी गई है.
महापौर संयुक्ता भाटिया की अध्यक्षता में प्रस्तावित बजट में से कांजी हाउस के अधिष्ठान मद को 3 करोड़ से बढ़ाकर 4.5 करोड़ रुपये परिवर्तित कर कुल 22 अरब 26 करोड़ 5 लाख का आय व्यय के बजट को महापौर ने मंजूरी दी. जिसमें पुनरीक्षित बजट में 59 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी की गई है.
महापौर ने लेखा विभाग पर जताई आपत्ति
लेखा विभाग पर महापौर द्वारा उठाई जा रही आपत्तियों पर मुख्य लेखा परीक्षक ने मोहर लगाते हुए लेखाधिकारी पर जांचने के लिए पत्रावलियों, कैशबुक, अभिलेख न उपलब्ध कराने की शिकायत कार्यकारिणी बैठक में की. जिस पर आंतरिक लेखा परीक्षक को लेखा अभिलेख, बॉउचर्स, कैश बुक न उपलब्ध कराने को कार्यकारिणी समिति ने घोर आपत्ति मानते हुए कार्रवाई की बात कही.
15 जनवरी तक मांगा समय
नगर आयुक्त ने मुख्य लेखाधिकारी का बचाव करते हुए 15 जनवरी तक के समय की मांग की है. इस पर महापौर ने कहा कि अगर इस डेडलाइन के अंतर्गत भी विगत 2 वर्षों के अभिलेख नहीं प्रदान किए गए तो लेखाधिकारी पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी.
8 माह बाद नहीं मिला कोई अभिलेख
बता दें कि पिछले वर्षों से लेखा परीक्षक लेखा विभाग द्वारा निरंतर अभिलेख न उपलब्ध कराए जाने की शिकायत कार्यकारिणी समिति व महापौर से कर रहे हैं. उन्होंने अपनी रिपोर्ट में लिखा था कि इस वित्तीय वर्ष में 8 माह बीत जाने के बाद अभी तक कोई बॉउचर्स या अभिलेख नहीं प्रदान किया गया है. इस पर कार्यकारिणी समिति से नाराजगी जताई तो नगर आयुक्त ने 15 जनवरी तक का समय देने का अनुरोध किया. महापौर ने कई बार विभिन्न पत्रों के माध्यम से अभिलेख उपलब्ध कराने के निर्देश दिए थे, लेकिन अभिलेख न मिलने पर उन्होंने स्वयं लेखा विभाग का निरीक्षण किया था.
कार्यकारिणी समिति में हुए ये फैसले
- नामांतरण की सम्पूर्ण व्यवस्था को ऑनलाइन कर दिया जाएगा, जिससे आमजन गृह कर निर्धारण के साथ ही नामान्तरण भी ऑनलाइन कर सकेंगे.
- नगर निगम सीमान्तर्गत समस्त अमलों पर नगर निगम द्वारा कर वसूली कर आय बढ़ाई जाएगी, जिससे विभागीय आख्या के साथ ही बिल पर लिखा होगा कि 'सम्बंधित विभाग की आपत्ति सही पाए जाने पर कर निर्धारण स्वयं निरस्त हो जाएगा'.
- कल से अवैध होर्डिंगों को हटाने के लिए बृहद अभियान चलाया जाएगा. जो एक बार हटाए जाने के बाद दुबारा होर्डिंग लगाएंगे उनके विरुद्ध न्यायिक कार्रवाई भी की जाएगी.
- नगर निगम द्वारा हस्तांतरित कॉलोनियों में एलडीए द्वारा चलाए जा रहे पार्किंग ठेकों को स्वयं नगर निगम द्वारा संचालित कराने हेतु एलडीए से वार्ता की जाएगी.
- इकोग्रीन एवं नगर निगम की आय बढ़ाने हेतु एक अलग से कार्यकारिणी समिति की बैठक आयोजित की जाएगी.
- 41 जलकल दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों नियमतिकरण का प्रस्ताव पास कर शासन को प्रेषित किया जाएगा.
- पार्कों में नगर निगम के उद्यान विभाग द्वारा अनावश्यक रूप से लगाए गए गार्डों को हटाया जाएगा.
- नगर निगम कर्मचारी और नगर आयुक्त को अभद्र गालियां देने वाले उप नगर आयुक्त को कार्यमुक्त करने एवं शासन को पत्र भेजने का निर्णय लिया गया.
- रोड कटिंग की व्यवस्था को नगर निगम के अभियंताओ द्वारा सुपरविजन किया जाएगा और नई निर्मित सड़कों पर रोड़ कटिंग की अनुमति नहीं प्रदान की जाएगी.
महापौर ने जताई नाराजगी
राज्यवित्त आयोग से आई हुई धनराशि की जानकारी महापौर और कार्यकारिणी समिति के सदस्यों को न देने पर नाराजगी जताते हुए निर्देशित किया गया कि इसकी जानकारी तत्काल महापौर एवं कार्यकारिणी सदस्यों को प्रदान की जाएगी.
बता दें कि राज्यवित्त आयोग से जुलाई में 68 करोड़ आया था. जिसकी जानकारी अध्यक्ष को होने के उपरांत भी महापौर को नहीं दी गई थी और न ही कार्यकारिणी सदस्यों को प्रदान की गई थी. जब पुनरक्षित बजट महापौर के समक्ष आया तब उन्हें जानकारी मिली. महापौर ने कहा कि अगर पहले जानकारी होती तो कार्य पहले ही प्रारम्भ करा दिए जाते.
आकस्मिक व्यय का दिया हवाला
व्यय विभागों में 5 मदों में प्रावधानित बजट से ज्यादा खर्च कर दिया गया था. जिस पर कार्यकारणी समिति ने एक स्वर में नाराजगी जताते हुए फटकार लगाई और लेखाधिकारी से जवाब तलब करते हुए कार्यवाही की मांग की. लेखाधिकारी का बचाव करते हुए नगर आयुक्त ने आकस्मिक व्यय का हवाला देते हुए गलती को स्वीकार किया साथ ही अगली बार से नियम के अनुरूप कार्य करने की बात कही. महापौर ने कहा कि नगर निगम में नियमों के अंतर्गत ही कार्य किए जाएं. नगर निगम को नियमों के तहत ही चलना पड़ेगा, नियमों के विपरीत कोई भी कार्य स्वीकार नहीं किया जायेगा.