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राम भक्त हूं, 'रघुपति राघव' से है खास जुड़ाव: अनुराधा पौडवाल - रघुपति राघव राजाराम

पद्मश्री गायिका अनुराधा पौडवाल लखनऊ में थीं, इन्होंने 'रघुपति राघव राजाराम' गाने को नए सुरों में डालकर इसे और बेहतरीन बनाने की कोशिश की हैं. इस अवसर पर उन्होंने ईटीवी भारत से खास बातचीत की.

ईटीवी भारत से बात करतीं गायिका अनुराधा पौडवाल.
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Published : Oct 13, 2019, 4:44 AM IST

लखनऊ: अक्सर लोग गानों को अपनी भावनाओं से जोड़ते हैं. जहां एक ओर आम लोगों की भावनाएं गाना से जुड़ी होती हैं. वहीं इसे गाने वाले गायक भी अपनी पसंद और काफी मेहनत से उन गानों में सुर, लय और ताल का संगम जोड़कर इसे बेहतरीन बनाते हैं. इन्हीं गायकों में से एक पद्मश्री अनुराधा पौडवाल लखनऊ में थीं, जिन्होंने 'रघुपति राघव राजाराम' गाने को नए सुरों में डालकर इसे और बेहतरीन बनाने की कोशिश की हैं.

ईटीवी भारत से बात करतीं गायिका अनुराधा पौडवाल.
अपनी बातचीत में अनुराधा कहती हैं कि रघुपति राघव राजा राम एक भजन है. राष्ट्रपिता गांधी जी के जन्मतिथि के 150 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में उन्होंने इस गाने को एक नया प्रारूप दिया है. कोशिश की हैं कि इस नए युग में नए तरह के गाने सुनने वालों को भी उनका यह गाना पसंद आए. इसमें उन्होंने एक फ्यूजन तैयार किया है और उन्हें यकीन है कि यह लोगों को जरूर पसंद आएगा.

ये भी पढें- कोशिश को सलामः इस दंपति की शिक्षा से आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहे बेटियों के कदम

फ्यूजन की परिभाषा बताते हुए अनुराधा कहती हैं कि पश्चिमी सभ्यता से जुड़े कुछ इंस्टूमेंट्स का इस्तेमाल कर जब हम किसी गाने को बनाने की कोशिश करते हैं, तो वह फ्यूजन कहलाता है. इसमें सेमी क्लासिकल गाने भी शामिल हो सकते हैं. फ्यूजन का भी एक अपना अलग ढंग होता है. यदि आप इन दोनों को मिला देते हैं तो वह एक फ्यूजन कहा जा सकता है.

रघुपति राघव के बारे में अनुराधा कहती है कि इस गाने में उन्होंने एक नया प्रयोग किया है. वह चाहती हैं कि इसे लोग सुने और समझे. अब तक जो उन्हें प्रतिक्रिया मिली है वह काफी अच्छी है, जो भी लोग इस गाने को सुन रहे हैं. उन्हें यह गाना अब तक काफी पसंद आया है.

ये भी पढ़ें- लखनऊ विश्वविद्यालय के खाते से पैसे निकालने वाले शातिर गिरफ्तार

राम मंदिर से जुड़े मामले पर सवाल पूछने पर अनुराधा कहती है कि हां राम से जुड़े हुए सवाल मेरी भक्ति से जुड़े हुए होते हैं. इसलिए रघुपति राघव राजा राम को गाना भी मेरे लिए सौभाग्य की बात है. यह भी मेरी भक्ति से कहीं न कहीं जुड़ा हुआ है. इस गाने में हम गांधी जी को भी लेकर आए हैं और राम भगवान की भी स्तुति कर रहे हैं. वह कहती हैं कि हमारी आस्था और श्रद्धा हिंदुस्तान का बेस है. इसे मानने में कोई शर्माने या हिचकने की बात नहीं है और किसी की श्रद्धा पर किसी भी व्यक्ति को टिप्पणी करने का भी कोई अधिकार नहीं है.

लखनऊ: अक्सर लोग गानों को अपनी भावनाओं से जोड़ते हैं. जहां एक ओर आम लोगों की भावनाएं गाना से जुड़ी होती हैं. वहीं इसे गाने वाले गायक भी अपनी पसंद और काफी मेहनत से उन गानों में सुर, लय और ताल का संगम जोड़कर इसे बेहतरीन बनाते हैं. इन्हीं गायकों में से एक पद्मश्री अनुराधा पौडवाल लखनऊ में थीं, जिन्होंने 'रघुपति राघव राजाराम' गाने को नए सुरों में डालकर इसे और बेहतरीन बनाने की कोशिश की हैं.

ईटीवी भारत से बात करतीं गायिका अनुराधा पौडवाल.
अपनी बातचीत में अनुराधा कहती हैं कि रघुपति राघव राजा राम एक भजन है. राष्ट्रपिता गांधी जी के जन्मतिथि के 150 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में उन्होंने इस गाने को एक नया प्रारूप दिया है. कोशिश की हैं कि इस नए युग में नए तरह के गाने सुनने वालों को भी उनका यह गाना पसंद आए. इसमें उन्होंने एक फ्यूजन तैयार किया है और उन्हें यकीन है कि यह लोगों को जरूर पसंद आएगा.

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फ्यूजन की परिभाषा बताते हुए अनुराधा कहती हैं कि पश्चिमी सभ्यता से जुड़े कुछ इंस्टूमेंट्स का इस्तेमाल कर जब हम किसी गाने को बनाने की कोशिश करते हैं, तो वह फ्यूजन कहलाता है. इसमें सेमी क्लासिकल गाने भी शामिल हो सकते हैं. फ्यूजन का भी एक अपना अलग ढंग होता है. यदि आप इन दोनों को मिला देते हैं तो वह एक फ्यूजन कहा जा सकता है.

रघुपति राघव के बारे में अनुराधा कहती है कि इस गाने में उन्होंने एक नया प्रयोग किया है. वह चाहती हैं कि इसे लोग सुने और समझे. अब तक जो उन्हें प्रतिक्रिया मिली है वह काफी अच्छी है, जो भी लोग इस गाने को सुन रहे हैं. उन्हें यह गाना अब तक काफी पसंद आया है.

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राम मंदिर से जुड़े मामले पर सवाल पूछने पर अनुराधा कहती है कि हां राम से जुड़े हुए सवाल मेरी भक्ति से जुड़े हुए होते हैं. इसलिए रघुपति राघव राजा राम को गाना भी मेरे लिए सौभाग्य की बात है. यह भी मेरी भक्ति से कहीं न कहीं जुड़ा हुआ है. इस गाने में हम गांधी जी को भी लेकर आए हैं और राम भगवान की भी स्तुति कर रहे हैं. वह कहती हैं कि हमारी आस्था और श्रद्धा हिंदुस्तान का बेस है. इसे मानने में कोई शर्माने या हिचकने की बात नहीं है और किसी की श्रद्धा पर किसी भी व्यक्ति को टिप्पणी करने का भी कोई अधिकार नहीं है.

Intro:लखनऊ। अक्सर लोग गानों को अपनी भावनाओं से जोड़ते हैं और लगभग हर तरह से मिजाज में गाना सुनने या गुनगुनाने की फितरत रखते हैं। जहां एक और आम लोगों की भावनाएं गाना से जुड़ी होती हैं वही इसे गाने वाले गायक भी अपनी पसंद और काफी मेहनत से उन गानों में सुर, लय और ताल का संगम जोड़कर इसे बेहतरीन बनाते हैं। इन्हीं गायकों में से एक पद्मश्री अनुराधा पौडवाल पिछले दिनों लखनऊ में थी, जिन्होंने 'रघुपति राघव राजाराम' गाने को नए सुरों में डालकर इसे और बेहतरीन बनाने की कोशिश की है। इस अवसर पर उन्होंने ईटीवी भारत से खास बातचीत की।


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अपनी बातचीत में अनुराधा कहती हैं कि रघुपति राघव राजा राम एक भजन है। राष्ट्रपिता गांधी जी के जन्म तिथि के 150 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में हमने इस गाने को एक नया प्रारूप दिया है। हमने कोशिश की है कि इस नए युग में नए तरह के गाने सुनने वालों को भी हमारा यह गाना पसंद आए। इसमें हमने एक फ्यूजन तैयार किया है और हमें यकीन है कि यह लोगों को जरूर पसंद आएगा।

फ्यूजन की परिभाषा बताते हुए अनुराधा कहती हैं कि पश्चिमी सभ्यता से जुड़े कुछ इंस्ट्रुमेंट्स का इस्तेमाल कर जब हम किसी गाने को बनाने की कोशिश करते हैं तो वह फ्यूजन कहलाता है। इसमें सेमी क्लासिकल गाने भी शामिल हो सकते हैं। फ्यूजन का भी एक अपना अलग ढंग होता है। यदि आप इन दोनों को मिला देते हैं तो वह एक फ्यूजन कहा जा सकता है।

रघुपति राघव के बारे में अनुराधा कहती है कि इस गाने में हमने एक नया प्रयोग किया है और हम चाहते हैं कि इसे लोग सुने और समझे। अब तक जो हमें प्रतिक्रिया मिली है वह काफी अच्छी है जो भी लोग इस गाने को सुन रहे हैं। उन्हें यह गाना अब तक काफी पसंद आया है।




Conclusion:राम मंदिर से जुड़े मामले पर सवाल पूछने पर अनुराधा कहती है कि हां राम से जुड़े हुए सवाल मेरी भक्ति से जुड़े हुए होते हैं इसलिए रघुपति राघव राजा राम को गाना भी मेरे लिए सौभाग्य की बात ही मैं समझती हूं और यह भी मेरी भक्ति से कहीं न कहीं जुड़ा हुआ है। इस गाने में हम गांधी जी को भी लेकर आए हैं और राम भगवान की भी स्तुति कर रहे हैं। वह कहती हैं कि हमारी आस्था और श्रद्धा हिंदुस्तान का बेस है। इसे मानने में कोई शर्माने या हिचकने की बात नहीं है और किसी की श्रद्धा पर किसी भी व्यक्ति को टिप्पणी करने का भी कोई अधिकार नहीं है। अगर आपको किसी बात में श्रद्धा है तो इसे बताने में आपको हिचक करने की जरूरत नहीं है बल्कि गर्व करने की जरूरत है कि हमारे देश में यह अधिकार हमें मिला है।

पद्मश्री गायिका अनुराधा पौडवाल से खास बातचीत पर आधारित इंटरव्यू।

रामांशी मिश्रा
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