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Caste Census : उत्तर प्रदेश में जातीय जनगणना से पहले ही पिछड़ों को 55 प्रतिशत मानकर बन रहीं योजनाएं

बिहार में जातीय जनगणना के बाद पूरे देश में इसको लेकर चर्चा जोरों (Caste Census) से की जा रही है. वहीं माना जा रहा है कि सरकार से लेकर भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) संगठन तक पिछड़े वोटरों पर पैनी नजर गड़ाए हुए है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Oct 5, 2023, 3:26 PM IST

लखनऊ : उत्तर प्रदेश भाजपा और सरकार जातिगत जनगणना न होने के बावजूद पिछड़े वर्ग को भाजपा करीब 55 प्रतिशत वोटर मान चुकी है. जिसका असर दिखाई दे रहा है. सरकार की ओर से पिछड़ों के लिए अनेक योजनाएं घोषित की जा चुकी हैं. क्रीमी लेयर की सीमा को बहुत अधिक बढ़ाया गया है. पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन किया गया है. सरकार से लेकर भारतीय जनता पार्टी संगठन तक पिछड़े वोटरों पर पैनी नजर गड़ाए हुए है.

जातीय जनगणना को लेकर चर्चा जोरों पर
जातीय जनगणना को लेकर चर्चा जोरों पर


गौरतलब है कि बिहार में जातीय जनगणना के बाद पूरे देश में इस पर चर्चा जोरों से की जा रही है. उत्तर प्रदेश में भले ही जातीय जनगणना ना हुई हो, लेकिन भारतीय जनता पार्टी और सरकार के पास जो आंकड़े हैं उसमें चुनावी जीत हार में सबसे बड़ी भूमिका उत्तर प्रदेश में पिछड़े वर्ग की बताई जा रही है. लगभग 55 प्रतिशत वोटर पिछड़े वर्ग का है, इसलिए सरकार और संगठन का पूरा जोर पिछड़ा वर्ग को लेकर है. ओबीसी मोर्चा लोकसभा चुनाव में बड़ी भूमिका निभाएगा, जिसमें सबसे पहले पांच राज्य भूमिका निभाएंगे. भाजपा मान रही है कि लगभग 55 प्रतिशत पिछड़े वर्ग के समर्थन से नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बन चुके हैं. भाजपा का दावा है कि शोषित वंचित समाज के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने निर्णय लिये हैं. पिछड़ा वर्ग को संवैधानिक दर्जा दिया गया है. गरीब कल्याण योजना से लाभ मिला है. ओबीसी समाज को उद्योगपति बना रहे हैं. प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना 13 हजार करोड़ की योजना है. कामगारों की जीवनशैली बदली जा रही है. गांव-गांव में हम लोग पहुंच रहे हैं. कांग्रेस ने 27 प्रतिशत आरक्षण का विरोध किया.'



भारतीय जनता पार्टी प्रदेश पिछड़ा वर्ग मोर्चा के अध्यक्ष मंत्री नरेंद्र कश्यप का कहना है कि 'उत्तर प्रदेश में 55% से अधिक पिछड़े वर्ग का वोट है, जोकि भारतीय जनता पार्टी का प्रबल समर्थक है. उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ने पिछड़े वर्ग के लिए क्रीमी लेयर की आय सीमा को 8 लाख रुपये वार्षिक तक बढ़ा दिया है. हमने आयोग का गठन किया है. विश्वकर्मा सम्मान और ऐसी कई अन्य योजनाएं बनाई हैं.'

यह भी पढ़ें : Caste Census : राजनीतिक विश्लेषकों ने कहा, 'बिहार की जातीय जनगणना पायलट प्रोजेक्ट'

यह भी पढ़ें : Caste Census : लखनऊ की जनता ने कहा, 'किसी भी राज्य को नहीं कराना चाहिए जातीय जनगणना'

लखनऊ : उत्तर प्रदेश भाजपा और सरकार जातिगत जनगणना न होने के बावजूद पिछड़े वर्ग को भाजपा करीब 55 प्रतिशत वोटर मान चुकी है. जिसका असर दिखाई दे रहा है. सरकार की ओर से पिछड़ों के लिए अनेक योजनाएं घोषित की जा चुकी हैं. क्रीमी लेयर की सीमा को बहुत अधिक बढ़ाया गया है. पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन किया गया है. सरकार से लेकर भारतीय जनता पार्टी संगठन तक पिछड़े वोटरों पर पैनी नजर गड़ाए हुए है.

जातीय जनगणना को लेकर चर्चा जोरों पर
जातीय जनगणना को लेकर चर्चा जोरों पर


गौरतलब है कि बिहार में जातीय जनगणना के बाद पूरे देश में इस पर चर्चा जोरों से की जा रही है. उत्तर प्रदेश में भले ही जातीय जनगणना ना हुई हो, लेकिन भारतीय जनता पार्टी और सरकार के पास जो आंकड़े हैं उसमें चुनावी जीत हार में सबसे बड़ी भूमिका उत्तर प्रदेश में पिछड़े वर्ग की बताई जा रही है. लगभग 55 प्रतिशत वोटर पिछड़े वर्ग का है, इसलिए सरकार और संगठन का पूरा जोर पिछड़ा वर्ग को लेकर है. ओबीसी मोर्चा लोकसभा चुनाव में बड़ी भूमिका निभाएगा, जिसमें सबसे पहले पांच राज्य भूमिका निभाएंगे. भाजपा मान रही है कि लगभग 55 प्रतिशत पिछड़े वर्ग के समर्थन से नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बन चुके हैं. भाजपा का दावा है कि शोषित वंचित समाज के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने निर्णय लिये हैं. पिछड़ा वर्ग को संवैधानिक दर्जा दिया गया है. गरीब कल्याण योजना से लाभ मिला है. ओबीसी समाज को उद्योगपति बना रहे हैं. प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना 13 हजार करोड़ की योजना है. कामगारों की जीवनशैली बदली जा रही है. गांव-गांव में हम लोग पहुंच रहे हैं. कांग्रेस ने 27 प्रतिशत आरक्षण का विरोध किया.'



भारतीय जनता पार्टी प्रदेश पिछड़ा वर्ग मोर्चा के अध्यक्ष मंत्री नरेंद्र कश्यप का कहना है कि 'उत्तर प्रदेश में 55% से अधिक पिछड़े वर्ग का वोट है, जोकि भारतीय जनता पार्टी का प्रबल समर्थक है. उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ने पिछड़े वर्ग के लिए क्रीमी लेयर की आय सीमा को 8 लाख रुपये वार्षिक तक बढ़ा दिया है. हमने आयोग का गठन किया है. विश्वकर्मा सम्मान और ऐसी कई अन्य योजनाएं बनाई हैं.'

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