लखनऊ: भले ही उत्तर प्रदेश की सरकार सामाजिक बदलाव, समाज के विकास और मूलभूत सुविधाओं की पूर्ति की बात कर रही हो, लेकिन अभी भी समाज कल्याण विभाग के कर्मचारी मौत के मुंह में काम करने को मजबूर हैं. प्रदेश में भिखारियों को स्वावलंबी बनाने के लिए आगरा, मथुरा, बनारस, अयोध्या सहित लखनऊ में 7 भिक्षुक गृह संचालित किए गए. फिलहाल, लखनऊ के भिक्षुक गृह को 2012 में ही पुरातत्व विभाग और लोक निर्माण विभाग ने कंडम घोषित कर दिया था. अब इस भिक्षुक गृह में कोई भी भिखारी नहीं रहता है.
राजधानी लखनऊ के ठाकुरगंज स्थित समाज कल्याण विभाग ने साल 1975 में भिक्षुक गृह संचालित किया था. बताया जाता है कि यह बिल्डिंग 100 साल से भी अधिक पुरानी है. इस दौरान यह जर्जर स्थिति में है. इसके चलते यहां अब किसी भी भिक्षुक को नहीं लाया जाता, लेकिन फिर भी इस जर्जर बिल्डिंग में तैनात कर्मचारी मौत के मुंह में काम करने को मजबूर हैं. इसमें काम कर रहे 5 कर्मचारियों को अन्य स्थानों पर भेज दिया गया है. बाकी के कर्मचारी पहले की तरह ही काम कर रहे हैं. भिक्षुक गृह की कंडम स्थिति को लेकर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है. भिक्षुक गृह की स्थिति जस की तस बनी हुई है.
भिक्षुक गृह में तैनात कर्मचारी का दर्द
भिक्षुक गृह में तैनात कर्मचारी भानु प्रताप ने कहा कि मजबूरी के चलते वे ड्यूटी कर रहे हैं. वे कहते है कि इस मकान की छत ऊपर से कब गिर जाए कुछ पता नहीं. कई कर्मचारियों के होने के बाद भी ये डर बना रहता है. वरिष्ठ अधिकारियों ने इसकी जर्जर स्थिति को लेकर कई पत्र लिखे हैं, लेकिन आजतक कोई कार्रवाई नहीं हुई. सभी कर्मचारियों की चाहत है कि ऑफिस किसी दूसरी जगह स्थानांतरित कर दिया जाए, जिससे वे अपना काम कर सकें और सुरक्षित भी रह सकें.
समाज कल्याण विभाग उपनिदेशक ने दिया आश्वासन
फिलहाल, इस पूरे मामले पर समाज कल्याण विभाग उपनिदेशक कृष्णा प्रसाद ने कहा कि अगर ऐसा है तो वहां से उन कर्मचारियों का ऑफिस दूसरी जगह शिफ्ट कर दिया जाएगा. अब देखना होगा सन 2012 से चुप्पी साधे बैठे आला अधिकारी भिक्षुक गृह में तैनात कर्मचारियों को कहां दूसरी जगह भेजते हैं.
क्या होता है भिक्षुक गृह
बता दें, भिक्षुक गृह में ऐसे भिखारियों को लाया जाता है, जिनको आरपीएफ टीम ने ट्रेनों में भीख मांगते पकड़ा हो. इनको जज के सामने पेश किया जाता है. जज इन भिखारियों को 2 साल के लिए निरुद्ध कर भिक्षुक गृह में भेज देते हैं. यहां भिखारियों को स्वावलंबी बनाने के लिए सिलाई, कढ़ाई, बेंत शिल्प सहित तमाम चीजों के बारे में सिखाया जाता है. इसके साथ ही समाज कल्याण विभाग इन भिखारियों को खाना, रहना, कपड़ा और भी जरूरत की चीजे देता है.