लखनऊ: केंद्र सरकार ने बजट 2019 में पेट्रोल और डीजल पर सेस लगाकर कीमतों में इजाफा कर दिया. इससे पेट्रोल और डीजल की कीमतें अब तक के सबसे ऊंचे स्तर पर हैं. इसका असर ये है कि अब जनता के सामने एक ही रास्ता है गाड़ी में डीजल, पेट्रोल डलवाकर गाड़ी चलाएं या फिर गाड़ी का खर्चा बचाकर घर की गृहस्थी चलाएं. कुल मिलाकर सरकार ने डीजल और पेट्रोल की कीमत बढ़ाकर जनता की जेब का समीकरण बिगाड़ दिया है.
- बजट के आने के बाद से इसका असर फिलिंग स्टेशनों पर पेट्रोल और डीजल भरवाने वालों के चेहरों पर नजर आया.
- अब तक जो पेट्रोल 70 रुपये प्रति लीटर मिल रहा था, आज उसकी कीमत 72 रुपये प्रति लीटर हो गई.
- डीजल की भी कीमत अब 65 रुपये प्रति लीटर से ऊपर जा पहुंची.
- इसका असर जनता की जेब पर साफ तौर पर पड़ रहा है.
- जिनकी आय कम है, वे लोग खासतौर पर इन कीमतों की बढ़ोतरी से प्रभावित हो रहे हैं.
- लोगों ने पेट्रोल-डीजल की कीमतों में सरकार की बढ़ोतरी के कदम को गलत बताया.
- उनका कहना है कि अब हम गाड़ी चलाएं या फिर घर के राशन-पानी की व्यवस्था करें.
कितना पड़ेगा प्रभाव
- माह में 10 हजार रुपये कमाने वाले दो पहिया वाहन स्वामी पर पेट्रोल की बढ़ी कीमतों से हर माह पड़ेगा एक हजार रुपये अतिरिक्त भार.
- चार पहिया वाहन से चलने वाले पर कम से कम दो से तीन हजार रुपये का भार.
- डीजल के रेट बढ़ने से खाने-पीने की सामग्री में कम से कम 4 से 6 फीसदी का इजाफा होगा.