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लॉकडाउन की तगड़ी मार, फल व्यापारी उठा रहे भारी नुकसान

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Published : Apr 23, 2020, 4:05 PM IST

लॉकडाउन के दौरान फल व्यापारियों के पास खरीदार नहीं आने की सबसे बड़ी समस्या है. सरकार ने फल बिक्री के लिए छूट तो दी है, लेकिन खरीदारों के नहीं पहुंचने से फल व्यापारियों का खासा नुकसान हो रहा है.

effect of lockdown
लॉकडाउन की मार

लखनऊ: लॉकडाउन के दौरान व्यापार जगत मंदी की तगड़ी मार झेल रहा है. हालांकि ऐसे में फल बेचने पर प्रतिबंध नहीं है, इसीलिए व्यापारी बाजार में दुकान खोलकर बैठे हैं. उन्हें आस है कि खरीदार आएंगे, लेकिन इस लॉकडाउन में लोग फल खरीदने के लिए नहीं आ रहे हैं. लॉकडाउन के अनुपालन कराने के लिए पुलिस खासा मुस्तैद नजर आ रही है. वहीं दुकानदार इस बात को लेकर चिंतित हैं कि उनकी दुकानदारी कब फिर से पटरी पर लौटेगी.

देखें रिपोर्ट.
व्यापारियों के पास खरीदार नहीं आने की सबसे बड़ी समस्या है. पारम्परिक रूप से इस व्यवसाय में लगे लोगों के समक्ष कई अन्य प्रकार की भी समस्या सामने हैं. लॉकडाउन के चलते लोग घरों से बाहर बहुत कम निकल रहे हैं. फल मंडियों में खरीदार नहीं आते, जिसके चलते समाज का एक बड़ा वर्ग बेरोजगार होता जा रहा है. उनके पास उद्योग-धंधों की बंदी के चलते पैसे नहीं हैं, इसलिये भी खरीदारी करने वालों की कमी है. निशातगंज फल मंडी के फल व्यवसायी विद्याशंकर कहते हैं कि कोरोना ने लोगों की जिंदगी पटरी से उतार दी है. एक महीन होने को है लेकिन हालात सही होने के कोई आसार नजर नहीं आ रहे हैं, मंदी की ऐसी मार पड़ी है कि व्यापार चौपट हो गया है और कोई खरीदार नहीं मिल रहे हैं. मंडी में 70 से 80 प्रतिशत व्यापार खत्म हो गया है. सरकार ने फल, सब्जी की बिक्री में छूट दी है, लेकिन खरीदारों के नहीं पहुंचने से फल व्यवसायी चिंतित हैं.

ये भी पढ़ें- पालघर मॉब लिंचिंग से व्यथित है रामनगरी का संत समाज, CBI जांच की मांग

इतना ही नहीं उन्होंने बताया कि एक दिन शहर को सील किए जाने की झूठी खबरें फैला दी गईं. बाजारों में भीड़ बढ़ गई. भीड़ ऐसी जुटी की पुलिस को लाउडस्पीकर लगाकर अनाउंस करना पड़ा कि शहर को सील नहीं किया गया है तबसे पुलिस की पहरेदारी भी बढ़ गयी है. पटरी पर व्यापार कब आएगा, यह सोचकर डर लगता है. छोटे व्यापारियों का तो घर चलाना भी मुश्किल हो गया है. कुछ को छोड़कर बाकी ज्यादातर फल सामान्य तौर पर स्टोर भी नहीं किया जा सकता.

फलों के दाम:-

केला50-60 रुपये दर्जन
अनार100-120 रुपये किलो
आम100-130 रुपये किलो
सेव150 रुपये किलो
अंगूर90-110 रुपये किलो
संतरा50-60 रुपये किलो
खरबूजा30-50 रुपये किलो

लखनऊ: लॉकडाउन के दौरान व्यापार जगत मंदी की तगड़ी मार झेल रहा है. हालांकि ऐसे में फल बेचने पर प्रतिबंध नहीं है, इसीलिए व्यापारी बाजार में दुकान खोलकर बैठे हैं. उन्हें आस है कि खरीदार आएंगे, लेकिन इस लॉकडाउन में लोग फल खरीदने के लिए नहीं आ रहे हैं. लॉकडाउन के अनुपालन कराने के लिए पुलिस खासा मुस्तैद नजर आ रही है. वहीं दुकानदार इस बात को लेकर चिंतित हैं कि उनकी दुकानदारी कब फिर से पटरी पर लौटेगी.

देखें रिपोर्ट.
व्यापारियों के पास खरीदार नहीं आने की सबसे बड़ी समस्या है. पारम्परिक रूप से इस व्यवसाय में लगे लोगों के समक्ष कई अन्य प्रकार की भी समस्या सामने हैं. लॉकडाउन के चलते लोग घरों से बाहर बहुत कम निकल रहे हैं. फल मंडियों में खरीदार नहीं आते, जिसके चलते समाज का एक बड़ा वर्ग बेरोजगार होता जा रहा है. उनके पास उद्योग-धंधों की बंदी के चलते पैसे नहीं हैं, इसलिये भी खरीदारी करने वालों की कमी है. निशातगंज फल मंडी के फल व्यवसायी विद्याशंकर कहते हैं कि कोरोना ने लोगों की जिंदगी पटरी से उतार दी है. एक महीन होने को है लेकिन हालात सही होने के कोई आसार नजर नहीं आ रहे हैं, मंदी की ऐसी मार पड़ी है कि व्यापार चौपट हो गया है और कोई खरीदार नहीं मिल रहे हैं. मंडी में 70 से 80 प्रतिशत व्यापार खत्म हो गया है. सरकार ने फल, सब्जी की बिक्री में छूट दी है, लेकिन खरीदारों के नहीं पहुंचने से फल व्यवसायी चिंतित हैं.

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इतना ही नहीं उन्होंने बताया कि एक दिन शहर को सील किए जाने की झूठी खबरें फैला दी गईं. बाजारों में भीड़ बढ़ गई. भीड़ ऐसी जुटी की पुलिस को लाउडस्पीकर लगाकर अनाउंस करना पड़ा कि शहर को सील नहीं किया गया है तबसे पुलिस की पहरेदारी भी बढ़ गयी है. पटरी पर व्यापार कब आएगा, यह सोचकर डर लगता है. छोटे व्यापारियों का तो घर चलाना भी मुश्किल हो गया है. कुछ को छोड़कर बाकी ज्यादातर फल सामान्य तौर पर स्टोर भी नहीं किया जा सकता.

फलों के दाम:-

केला50-60 रुपये दर्जन
अनार100-120 रुपये किलो
आम100-130 रुपये किलो
सेव150 रुपये किलो
अंगूर90-110 रुपये किलो
संतरा50-60 रुपये किलो
खरबूजा30-50 रुपये किलो
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