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बंद फव्वारे-गंदगी और टूटे झूले, ये है लखनऊ की नेहरू बाल वाटिका

लखनऊ में नेहरू बाल वाटिका में घूमने आए लोगों को यहां पर सुविधाओं का अभाव दिखने को मिला. वाटिका से बहुत सी चीजें गायब मिलीं. सुविधाएं तो दूर की बात हैं. यहां पर जिम्मेदार लोग लापरवाही बरतते हैं.

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Published : Jan 2, 2021, 9:05 PM IST

नेहरू बाल वाटिका
नेहरू बाल वाटिका

लखनऊ: लखनऊ में बहुत से पार्क ऐसे भी हैं, जिनमें कोई भी शुल्क नहीं लिया जाता है, लेकिन कई पार्क ऐसे भी हैं जिनमें सुविधा शुल्क के नाम पर टिकट लगाया जाता है. टिकट का भुगतान करने के बाद भी पार्क में घूमने आए व्यक्तियों को असुविधाओं का सामना करना पड़ता है.

असुविधाओं का पिटारा

पड़ा रहता है कूड़ा

नेहरू बाल वाटिका में घूमने आए लोगों को यहां पर सुविधाओं का अभाव दिखने को मिला. वाटिका से बहुत सी चीजें गायब मिलीं. सुविधाएं तो दूर की बात हैं. यहां पर जिम्मेदार लोग लापरवाही बरतते हैं. बाथरूम गंदे पड़े हैं, जगह-जगह प्लास्टिक की बोतल पड़ी हुई है. कूड़ा पड़ा हुआ है. बीयर की बोतल पड़ी है, लेकिन जिम्मेदार लोगों को इसकी कोई चिंता नहीं है.

एलडीए की देखरेख में होता है काम

लोगों की शिकायत को लेकर हमने पार्क में काम करने वाले चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी से बात की तो उन्होंने बताया कि यह पार्क एलडीए की देखरेख में संचालित होता है. एलडीए के सचिव के द्वारा सारी सुविधाएं देखी जाती हैं. हम पहले कई बार उनको सूचना दे चुके हैं, लेकिन इस पर कोई विचार नहीं होता है. हम तो खुद चाहते हैं कि यहां पर सारी चीजें जल्द से जल्द ठीक हो जाएं.

लखनऊ: लखनऊ में बहुत से पार्क ऐसे भी हैं, जिनमें कोई भी शुल्क नहीं लिया जाता है, लेकिन कई पार्क ऐसे भी हैं जिनमें सुविधा शुल्क के नाम पर टिकट लगाया जाता है. टिकट का भुगतान करने के बाद भी पार्क में घूमने आए व्यक्तियों को असुविधाओं का सामना करना पड़ता है.

असुविधाओं का पिटारा

पड़ा रहता है कूड़ा

नेहरू बाल वाटिका में घूमने आए लोगों को यहां पर सुविधाओं का अभाव दिखने को मिला. वाटिका से बहुत सी चीजें गायब मिलीं. सुविधाएं तो दूर की बात हैं. यहां पर जिम्मेदार लोग लापरवाही बरतते हैं. बाथरूम गंदे पड़े हैं, जगह-जगह प्लास्टिक की बोतल पड़ी हुई है. कूड़ा पड़ा हुआ है. बीयर की बोतल पड़ी है, लेकिन जिम्मेदार लोगों को इसकी कोई चिंता नहीं है.

एलडीए की देखरेख में होता है काम

लोगों की शिकायत को लेकर हमने पार्क में काम करने वाले चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी से बात की तो उन्होंने बताया कि यह पार्क एलडीए की देखरेख में संचालित होता है. एलडीए के सचिव के द्वारा सारी सुविधाएं देखी जाती हैं. हम पहले कई बार उनको सूचना दे चुके हैं, लेकिन इस पर कोई विचार नहीं होता है. हम तो खुद चाहते हैं कि यहां पर सारी चीजें जल्द से जल्द ठीक हो जाएं.

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