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सिविल अस्पताल में डेढ़ महीने से निदेशक का पद खाली, बजट खत्म होने से बढ़ सकती है परेशानी

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Published : Oct 22, 2021, 2:51 PM IST

राजधानी के लखनऊ के सिविल अस्पताल में तकरीबन डेढ़ महीने से निदेशक की कुर्सी खाली है. बजट और जांच के जरूरी सामान खत्म होने के कारण अगले एक-दो दिनों में पूरी पैथालॉजी के काम ठप्प होने की संभावना है. ऐसे में गंभीर मरीजों की जांच भी प्रभावित हो सकती है.

सिविल अस्पताल
सिविल अस्पताल

लखनऊः राजधानी के सिविल अस्पताल में निदेशक का पध पिछले डेढ़ महीने से रिक्त है, जिसका खामियाजा अब मरीजों को भुगतना पड़ रहा है. पैथालॉजी में होने वाली जांचों के लिए बजट और जांचों के लिए जरूरी सामान (रीजेंट) खत्म हो चुके हैं. इतना ही नहीं, अगर हालात यही रहे तो अगले एक-दो दिनों में सभी रीजेंट खत्म होने से पूरी पैथालॉजी के काम ठप्प हो सकता है. अधिकारी भी मामले को लेकर कुछ बोल नहीं रहे हैं. आपको बता दें कि अस्पताल के सीएमएस डॉ. एसके नंदा वर्तमान में निदेशक की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं.



हजरतगंज स्तिथ डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी अस्पताल में रोज़ाना तीन हजार से ज्यादा मरीज इलाज के लिये ओपीडी पहुंच रहें है. इसमें से डॉक्टर पांच-सात सौ मरीजो को खून की जांच लिख रहें है. इसके साथ ही यहां भर्ती और इमरजेंसी मरीजों को मिलाकर हर दिन एक हजार से ज्यादा मरीजों की खून से जुड़ी जांचें हो रही है. वहीं अस्पताल की पैथालॉजी में रिजेंट न के बाराबर बचे है. अस्पताल प्रशासन के पास इसे खरीदने का बजट भी खत्म हो गया है. वहीं निदेशक पद पर किसी की तैनाती न होने के कारण यहां शासन की तरफ से कोई बजट भी नहीं जारी किया जा रहा है. वहीं अस्पताल में लीवर प्रोफाइल की जांच में इस्तेमाल होने वाला रीजेंट पूरी तरह से ख़त्म हो चुका है. इसके साथ ही दिल के मरीजों की जांच में प्रयोग होने वाली एलडीएल, वीडीएल रीजेंट भी सिर्फ दो ही बचें है. वहीं कर्मचारियों का कहना है कि अगर रीजेंट नहीं आते है तो कुछ दिन बाद लैब में कोई भी जांच करने के लिए रीजेंट नहीं बचेगा.

यह भी पढ़ें - सिविल अस्पताल में महिलाओं के लिए अलग से बना ईसीजी परीक्षण बूथ

सिविल अस्पताल के पूर्व निदेशक डॉ. एस के सुंद्रियाल 31 अगस्त को रिटायर हो गए थे, लेकिन उनके रिटायरमेंट का एक महीने बीतने के बाद भी अस्पताल को नया निदेशक नहीं मिल पाया है. ऐसे में अस्पताल की तमाम व्यवस्थाएं चरमरा गई हैं. अस्पताल प्रशासन के बाबू भी कोई नया काम करने से डर रहे हैं. ऐसे में मरीजों की की परेशानियां बढ़ सकती हैं. यहां सीएम से लेकर कई कैबिनेट मंत्री अक्सर निरीक्षण के लिए पहुंचते रहते हैं. वहीं बलरामपुर अस्पताल के निदेशक डॉ. रविन्द्र भी 30 अगस्त को रिटायर हो गए हैं. वहीं महानिदेशक स्वास्थ्य डॉ. वेदव्रत सिंह ने बताया कि सभी तैनाती शासन स्तर से होती हैं. इसी महीने अस्पताल में नए निदेशक की तैनाती हो जायेगी.


सिविल अस्पताल के सीएमएस डॉ. एसके नंदा ने बताया कि अभी स्वास्थ्य विभाग की ओर से ऐसी कोई सूचना नहीं मिली है कि किसी नए निदेशक को सिविल अस्पताल भेजा जा रहा है. ऐसे में निदेशक पद की तमाम जिम्मेदारियां मुझे ही संभालना पड़ रही हैं, हालांकि कोई समस्या नहीं है. नए निदेशक के आ जाने के बाद जिम्मेदारियों का बोझ कुछ कम होगा. फिलहाल निदेशक को लेकर अभी कोई सूचना स्वास्थ्य विभाग की ओर से नहीं आई है.

लखनऊः राजधानी के सिविल अस्पताल में निदेशक का पध पिछले डेढ़ महीने से रिक्त है, जिसका खामियाजा अब मरीजों को भुगतना पड़ रहा है. पैथालॉजी में होने वाली जांचों के लिए बजट और जांचों के लिए जरूरी सामान (रीजेंट) खत्म हो चुके हैं. इतना ही नहीं, अगर हालात यही रहे तो अगले एक-दो दिनों में सभी रीजेंट खत्म होने से पूरी पैथालॉजी के काम ठप्प हो सकता है. अधिकारी भी मामले को लेकर कुछ बोल नहीं रहे हैं. आपको बता दें कि अस्पताल के सीएमएस डॉ. एसके नंदा वर्तमान में निदेशक की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं.



हजरतगंज स्तिथ डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी अस्पताल में रोज़ाना तीन हजार से ज्यादा मरीज इलाज के लिये ओपीडी पहुंच रहें है. इसमें से डॉक्टर पांच-सात सौ मरीजो को खून की जांच लिख रहें है. इसके साथ ही यहां भर्ती और इमरजेंसी मरीजों को मिलाकर हर दिन एक हजार से ज्यादा मरीजों की खून से जुड़ी जांचें हो रही है. वहीं अस्पताल की पैथालॉजी में रिजेंट न के बाराबर बचे है. अस्पताल प्रशासन के पास इसे खरीदने का बजट भी खत्म हो गया है. वहीं निदेशक पद पर किसी की तैनाती न होने के कारण यहां शासन की तरफ से कोई बजट भी नहीं जारी किया जा रहा है. वहीं अस्पताल में लीवर प्रोफाइल की जांच में इस्तेमाल होने वाला रीजेंट पूरी तरह से ख़त्म हो चुका है. इसके साथ ही दिल के मरीजों की जांच में प्रयोग होने वाली एलडीएल, वीडीएल रीजेंट भी सिर्फ दो ही बचें है. वहीं कर्मचारियों का कहना है कि अगर रीजेंट नहीं आते है तो कुछ दिन बाद लैब में कोई भी जांच करने के लिए रीजेंट नहीं बचेगा.

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सिविल अस्पताल के पूर्व निदेशक डॉ. एस के सुंद्रियाल 31 अगस्त को रिटायर हो गए थे, लेकिन उनके रिटायरमेंट का एक महीने बीतने के बाद भी अस्पताल को नया निदेशक नहीं मिल पाया है. ऐसे में अस्पताल की तमाम व्यवस्थाएं चरमरा गई हैं. अस्पताल प्रशासन के बाबू भी कोई नया काम करने से डर रहे हैं. ऐसे में मरीजों की की परेशानियां बढ़ सकती हैं. यहां सीएम से लेकर कई कैबिनेट मंत्री अक्सर निरीक्षण के लिए पहुंचते रहते हैं. वहीं बलरामपुर अस्पताल के निदेशक डॉ. रविन्द्र भी 30 अगस्त को रिटायर हो गए हैं. वहीं महानिदेशक स्वास्थ्य डॉ. वेदव्रत सिंह ने बताया कि सभी तैनाती शासन स्तर से होती हैं. इसी महीने अस्पताल में नए निदेशक की तैनाती हो जायेगी.


सिविल अस्पताल के सीएमएस डॉ. एसके नंदा ने बताया कि अभी स्वास्थ्य विभाग की ओर से ऐसी कोई सूचना नहीं मिली है कि किसी नए निदेशक को सिविल अस्पताल भेजा जा रहा है. ऐसे में निदेशक पद की तमाम जिम्मेदारियां मुझे ही संभालना पड़ रही हैं, हालांकि कोई समस्या नहीं है. नए निदेशक के आ जाने के बाद जिम्मेदारियों का बोझ कुछ कम होगा. फिलहाल निदेशक को लेकर अभी कोई सूचना स्वास्थ्य विभाग की ओर से नहीं आई है.

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