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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह जिस झील का करा रहे विकास, उसी पर हो रहा मालिकाना हक का दावा

राजधानी के ऐशबाग क्षेत्र में स्थित यमुना झील के विकास का जिम्मा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने खुद लिया है. इसी झील के बड़े हिस्से पर एक रिटायर्ड लेखपाल ने मालिकाना हक का दावा करके मुसीबतें बढ़ा दी हैं. इस झील के पास एक पार्क विकसित करने के लिए डेढ़ करोड़ रुपये का टेंडर कर दिय़ा गया है.

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Published : Jan 5, 2023, 1:00 PM IST

Updated : Jan 5, 2023, 1:16 PM IST

देखें पूरी खबर.

लखनऊ : रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Defense Minister Rajnath Singh) लखनऊ में यमुना झील का विकास (Development of Yamuna Lake in Lucknow) करवा रहे हैं. यहां झील का ऑक्सीजन लेवल बेहतर करने के लिए मशीनें लगाई गई हैं. मगर दूसरी ओर एक पूर्व लेखपाल ने इस झील के बड़े हिस्से अपनी संपत्ति बता दिया है. झील पर अपना दावा करने के साथ ही उसने मिट्टी डालकर झील को पटवाना भी शुरू कर दिया है. लंबे समय तक झील को लेकर संघर्ष करने वाले स्थानीय लोगों को अब चिंता होने लगी है. उनका कहना है कि इस तरह से लोगों के दावे के चलते, हमारी ऐतिहासिक झील बर्बाद हो जाएगी. दूसरी और लखनऊ विकास प्राधिकरण का कहना है कि इस वीडियो को बचाने के लिए हर संभव प्रयास किए जाते रहेंगे. फिलहाल यहां पर एक पार्क को विकसित करने के लिए डेढ़ करोड़ रुपये का टेंडर कर दिया गया है.

ऐशबाग क्षेत्र में स्थित यमुना झील (Yamuna Lake located in Aishbagh area) को करीब 3 साल पहले एक अन्य भूमाफिया ने कब्जा करने का प्रयास किया था. उसके बाद स्थानीय लोगों ने विकास समिति का गठन कर दिया था. इस समिति के प्रयासों से रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस प्रकरण का संज्ञान लिया और उन्होंने व्यक्तिगत रुचि दिखाते हुए लखनऊ विकास प्राधिकरण और नगर निगम के अधिकारियों को निर्देशित किया. इसके बाद में यहां पर अवैध कब्जों को हटाया गया और चीन के विकास की शुरुआत की गई. पिछले कुछ दिनों से यहां पर एक बार फिर कब्जे का प्रयास शुरू हो गया है. जिसे स्थानीय लोग एक बार फिर परेशान हो रहे हैं.

सामाजिक कार्यकर्ता गणेश कनौजिया (Local social worker Ganesh Kanojia) का आरोप है कि एक सेवानिवृत्त लेखपाल दावा कर रहा है कि झील के बड़े हिस्से पर उसका मालिकाना हक है. इस आधार पर उसने यहां पर मिट्टी डलवाना शुरू कर दिया है. जिससे झील का स्वरूप बिगड़ता जा रहा है.उनका आरोप है कि इस संबंध में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को शिकायत की गई है. लखनऊ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष डॉ इंद्रमणि त्रिपाठी ने भी मौके का निरीक्षण करके खुद को वस्तुस्थिति से अवगत करवाया है. झील विकास को लेकर लगातार कार्य करते रहे अभय बाजपेई ने बताया कि निश्चित तौर पर पूर्व लेखपाल के दावे की सच्चाई की परख की जानी चाहिए. यह कैसे संभव है कि 200 साल पुरानी है कि सील किसी के मालिकाना हक में हो.

लखनऊ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष डॉ इंद्रमणि त्रिपाठी (Dr. Indramani Tripathi, Vice President of Lucknow Development Authority) ने बताया कि इस प्रकरण की जांच की गई है. एक पूर्व लेखपाल दावा कर रहा है कि उसका जमीन पर मालिकाना हक है. इस संबंध में अन्य विभागों को अवगत कराया गया है कि वह पूरे प्रकरण की जांच करें. हम इस झील को विकसित करने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं. झील की सफाई के लिए मशीनें लगा दी गई हैं. इसके साथ ही हम लोग यहां पर एक पाठ विकसित करने के लिए डेढ़ करोड़ रुपए का टेंडर भी कर चुके हैं.

यह भी पढ़ें : अखिलेश यादव का योगी सरकार पर निशाना, कहा- NCRB के आंकड़े देखने के बाद यूपी नहीं आएंगे निवेशक

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लखनऊ : रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Defense Minister Rajnath Singh) लखनऊ में यमुना झील का विकास (Development of Yamuna Lake in Lucknow) करवा रहे हैं. यहां झील का ऑक्सीजन लेवल बेहतर करने के लिए मशीनें लगाई गई हैं. मगर दूसरी ओर एक पूर्व लेखपाल ने इस झील के बड़े हिस्से अपनी संपत्ति बता दिया है. झील पर अपना दावा करने के साथ ही उसने मिट्टी डालकर झील को पटवाना भी शुरू कर दिया है. लंबे समय तक झील को लेकर संघर्ष करने वाले स्थानीय लोगों को अब चिंता होने लगी है. उनका कहना है कि इस तरह से लोगों के दावे के चलते, हमारी ऐतिहासिक झील बर्बाद हो जाएगी. दूसरी और लखनऊ विकास प्राधिकरण का कहना है कि इस वीडियो को बचाने के लिए हर संभव प्रयास किए जाते रहेंगे. फिलहाल यहां पर एक पार्क को विकसित करने के लिए डेढ़ करोड़ रुपये का टेंडर कर दिया गया है.

ऐशबाग क्षेत्र में स्थित यमुना झील (Yamuna Lake located in Aishbagh area) को करीब 3 साल पहले एक अन्य भूमाफिया ने कब्जा करने का प्रयास किया था. उसके बाद स्थानीय लोगों ने विकास समिति का गठन कर दिया था. इस समिति के प्रयासों से रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस प्रकरण का संज्ञान लिया और उन्होंने व्यक्तिगत रुचि दिखाते हुए लखनऊ विकास प्राधिकरण और नगर निगम के अधिकारियों को निर्देशित किया. इसके बाद में यहां पर अवैध कब्जों को हटाया गया और चीन के विकास की शुरुआत की गई. पिछले कुछ दिनों से यहां पर एक बार फिर कब्जे का प्रयास शुरू हो गया है. जिसे स्थानीय लोग एक बार फिर परेशान हो रहे हैं.

सामाजिक कार्यकर्ता गणेश कनौजिया (Local social worker Ganesh Kanojia) का आरोप है कि एक सेवानिवृत्त लेखपाल दावा कर रहा है कि झील के बड़े हिस्से पर उसका मालिकाना हक है. इस आधार पर उसने यहां पर मिट्टी डलवाना शुरू कर दिया है. जिससे झील का स्वरूप बिगड़ता जा रहा है.उनका आरोप है कि इस संबंध में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को शिकायत की गई है. लखनऊ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष डॉ इंद्रमणि त्रिपाठी ने भी मौके का निरीक्षण करके खुद को वस्तुस्थिति से अवगत करवाया है. झील विकास को लेकर लगातार कार्य करते रहे अभय बाजपेई ने बताया कि निश्चित तौर पर पूर्व लेखपाल के दावे की सच्चाई की परख की जानी चाहिए. यह कैसे संभव है कि 200 साल पुरानी है कि सील किसी के मालिकाना हक में हो.

लखनऊ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष डॉ इंद्रमणि त्रिपाठी (Dr. Indramani Tripathi, Vice President of Lucknow Development Authority) ने बताया कि इस प्रकरण की जांच की गई है. एक पूर्व लेखपाल दावा कर रहा है कि उसका जमीन पर मालिकाना हक है. इस संबंध में अन्य विभागों को अवगत कराया गया है कि वह पूरे प्रकरण की जांच करें. हम इस झील को विकसित करने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं. झील की सफाई के लिए मशीनें लगा दी गई हैं. इसके साथ ही हम लोग यहां पर एक पाठ विकसित करने के लिए डेढ़ करोड़ रुपए का टेंडर भी कर चुके हैं.

यह भी पढ़ें : अखिलेश यादव का योगी सरकार पर निशाना, कहा- NCRB के आंकड़े देखने के बाद यूपी नहीं आएंगे निवेशक

Last Updated : Jan 5, 2023, 1:16 PM IST
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