लखनऊ: कोरोना संक्रमित वृद्ध की इलाज के दौरान मौत के बाद शव दफनाने को लेकर विवाद खड़ा हो गया. इसके बाद प्रशासन और मुस्लिम धर्मगुरु खालिद राशिद के हस्तक्षेप के बाद देर रात शव को कब्रिस्तान में दफन किया जा सका. फरंगी महली ने स्थानीय लोगों के इस रवैये को अफसोसजनक बताते हुए सभी से अपील की है कि किसी भी मरने वाले व्यक्ति के अंतिम संस्कार में बाधा न डालें.
मौलाना खालिद राशिद फरंगी महली ने कहा कि कोविड-19 की वजह से लखनऊ में बुधवार को हुई पहली मौत अफसोसनाक है. उससे अफसोसनाक बात यह है कि कब्रिस्तान के पास रहने वाले कुछ लोगों ने शव दफनाने को लेकर विरोध किया. हम सबको समझना चाहिए, चाहे जिस किसी मजहब को हम मानते हों कि ईश्वर, अल्लाह, भगवान हम सबसे नाराज हो गया. जिसकी वजह से हम सब एक बीमारी के चलते घरों में रहने के लिए मजबूर हैं, लिहाजा उसको मनाने के लिए हम सबको एक दूसरे का साथ देते हुए इंसानियत के मजहब को बचाना चाहिए.
उन्होंने कहा कि जिस भी धर्म के शख्स की मौत होती है, तो उसको उसी के धर्म के हिसाब से अंतिम संस्कार करना चाहिए. बीती रात की घटना पर दोनों ही मजहब के लोगों ने विवाद खड़ा करने की कोशिश की थी. इसके बाद प्रशासन और हम सबके के हस्तक्षेप के बाद देर रात मृतक को दफन किया गया. मौलाना खालिद राशिद फरंगी महली ने कहा कि अगर इस बीमारी की वजह से किसी भी शख्स की मौत होती है तो हर किसी की जिम्मेदारी बनती है कि वह इसमें विरोध खड़ा न करें.
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