लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने अपर मुख्य सचिव, सचिवालय प्रशासन विभाग महेश कुमार गुप्ता को अदालत के आदेश की अवमानना के मामले में दोषी पाया है. न्यायालय ने उन्हें सुनवाई के लिए मंगलवार को तलब किया है.
यह आदेश न्यायमूर्ति विवेक चौधरी की एकल सदस्यीय पीठ ने डॉ. किशोर टंडन और आठ अन्य की ओर से दाखिल अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया. मामला सहायक समीक्षा अधिकारियों के वरिष्ठता सूची से जुड़ा हुआ है. न्यायालय ने सहायक समीक्षा अधिकारियों के संबंध में 8 सितंबर 2015 की वरिष्ठता सूची को खारिज करते हुए 6 महीने में नई सूची बनाने का आदेश दिया था. इसके बावजूद न्यायालय द्वारा खारिज की जा चुकी उक्त सूची के तीन अधिकारियों को प्रोन्नति दे दी गई.
10 जुलाई 2018 को न्यायालय ने इसे अदालत के आदेश की जानबूझ कर की गई अवमानना मानते हुए महेश कुमार गुप्ता को तलब किया. इस बीच महेश गुप्ता ने सर्वोच्च न्यायालय में विशेष अनुमति याचिका दाखिल करते हुए दो माह में आदेश के अनुपालन की बात कहते हुए हाईकोर्ट के 10 जुलाई 2018 के आदेश पर शीर्ष अदालत से स्थगन आदेश प्राप्त कर लिया. इस बीच वरिष्ठता सूची को खारिज करने वाले आदेश को हाईकोर्ट की दो सदस्यीय खंडपीठ के समक्ष विशेष अपील के माध्यम से चुनौती दे दी गई.
उधर सर्वोच्च न्यायालय ने विशेष अपील को दृष्टिगत रखते हुए महेश कुमार गुप्ता के विशेष अनुमति याचिका को निस्तारित कर दिया. हालांकि, दो सदस्यीय खंडपीठ ने महेश कुमार गुप्ता के खिलाफ चल रहे अवमानना के मामले में हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया. सोमवार को अवमानना मामले की सुनवाई के दौरान महेश कुमार गुप्ता के अधिवक्ता की ओर से अनुरोध किया गया कि दो सदस्यीय खंडपीठ के समक्ष विशेष अपील की सुनवाई पूरी होने तक अवमानना पर सुनवाई रोक दी जाए.
जिस पर न्यायालय ने उनके अनुरोध को अस्वीकार करते हुए कहा कि राज्य सरकार अपने कर्मचारियों के वरिष्ठता निर्धारण में एक विवाचक की भूमिका निभाती है. उसका कार्य तमाम कर्मचारियों के वरिष्ठता को तय करना है. उसे पक्षपातपूर्ण रवैया नहीं अपनाना चाहिए. वहीं न्यायालय का कहना है कि अपर मुख्य सचिव महेश कुमार गुप्ता ने जानबूझ कर कुछ कर्मचारियों के साथ वर्तमान मामले में भेदभाव किया और अदालत के आदेश की अवमानना की. न्यायालय ने उक्त टिप्पणियों के साथ महेश कुमार गुप्ता को मंगलवार को कोर्ट के समक्ष हाजिर होने का आदेश दिया है.