लखनऊ: मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में निरुद्ध पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी की डिस्चार्ज (उन्मोचन) अर्जी विशेष अदालत ने खारिज कर दी है. इसी के साथ सीबीआई के विशेष जज अनुरोध मिश्र ने अभियुक्त मुख्तार अंसारी पर आरोप तय करने के लिए 13 सितंबर की तिथि तय की है. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि अभियोजन प्रपत्रों के परिशीलन से अभियुक्त पर आरोप तय करने का पर्याप्त आधार है. नियत तिथि पर अभियुक्त मुख्तार अंसारी को अदालत में व्यक्तिगत रूप से पेश करने का आदेश भी कोर्ट ने दिया है.
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पूर्व में इस मामले की सुनवाई प्रयागराज में ईडी की विशेष अदालत में हो रही थी. 14 दिसंबर को प्रयागराज की विशेष अदालत ने मनी लॉन्ड्रिंग के इस मामले में मुख्तार अंसारी को ईडी की कस्टडी रिमांड में भेजा था. ईडी ने मुख्तार अंसारी के विरुद्ध दर्ज पुलिस की कई एफआईआर के आधार पर मनी लॉन्ड्रिंग के इस मामले की शिकायत दर्ज कर जांच की थी. इस मामले में मुख्तार अंसारी का विधायक पुत्र अब्बास अंसारी भी न्यायिक हिरासत में निरुद्ध है.
दुष्कर्म के दोषी को 7 साल की सजा
वहीं, दुराचार और जानमाल की धमकी के मामले में दोषी करार दिए गए अभियुक्त जय प्रकाश उर्फ जेपी को पॉक्सो की विशेष अदालत ने 7 वर्ष के कठोर कारावास की सजा सुनाई है. विशेष जज विजेन्द्र त्रिपाठी ने अभियुक्त पर पांच हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है. 15 सितंबर 2014 को इस मामले की एफआईआर पीड़िता के मामा ने थाना में ठाकुरगंज में दर्ज कराई थी. विशेष लोक अभियोजक अभिषेक उपाध्याय और अरुण कुमार के मुताबिक मां-बाप की मौत के बाद पीड़िता अपने मामा के घर रहती थी. कुछ समय बाद वहां उसके मामा के साले ने उसके साथ दुराचार किया, उसे जानमाल की धमकी भी दी.
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