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LDA के अधिकारियों को बड़ी राहत, भ्रष्ट तरीके से भूखंडों के आवंटन के आरोप में दाखिल रिवीजन को कोर्ट ने किया खारिज

एलडीए के आला अधिकारियों को कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. भ्रष्ट तरीका अपनाकर भूखंडों के आवंटन के आरोप में दाखिल रिवीजन को कोर्ट ने खारिज कर दिया है.

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LDA के अधिकारियों को बड़ी राहत
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Published : Apr 27, 2022, 10:21 PM IST

लखनऊः 28 भूखंडों का आवंटन विधि के खिलाफ तरीके से करने और दो करोड़ 88 लाख की आर्थिक क्षति पहुंचाने के कथित मामले में लखनऊ विकास प्राधिकरण के आला अधिकारियों के खिलाफ दाखिल रिवीजन अर्जी विशेष अदालत ने खारिज कर दी है. ये अर्जी विश्वनाथ चतुर्वेदी ने दाखिल की थी. इस अर्जी में निचली अदालत के आदेश को चुनौती दी गई थी. भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के विशेष जज विनय कुमार सिंह ने निचली अदालत के आदेश की पुष्टि की है.

विश्वनाथ चतुर्वेदी ने निचली अदालत में एक अर्जी दाखिल कर इस मामले में एलडीए के तत्कालीन उपाध्यक्ष बीबी सिंह, संयुक्त सचिव जेबी सिंह, सचिव रेखा गुप्ता, डाटा ऑपरेटर संजीव कुमार श्रीवास्तव, प्रोग्रामर एनालिस्ट रघुवेंद्र मिश्रा, चीफ टाउन प्लॉनर सीपी शर्मा, चीफ टाउन प्लॉनर और कंट्री प्लॉनर अफसर सबीर खान, फाइनेंस कंट्रोलर डॉक्टर मोहन यादव, सीनियर कास्ट एकाउंटेट अवनीश कुमार, स्टेट ऑफिसर केके सिंह, सीटिंग ऑफिसर प्रदीप कुमार श्रीवास्तव और यूपी के तत्कालीन हाउसिंग सेक्रेट्ररी केएल मीना को भी विपक्षी पक्षकार बनाया था.

इसे भी पढ़ें- अखिलेश का योगी सरकार पर तंज, मायावती को कब अध्यक्ष बनाएगी बीजेपी ?

इन सभी विपक्षीगणों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का आदेश देने की मांग की थी. उनका कहना था कि एलडीए और शासन स्तर के अधिकारियों की सांठगांठ से 28 भूखंडों का सृजन अर्बन बिल्डिंग एण्ड डेवलमेंट एक्ट, 1973 के प्रॉवधान के विपरीत किया गया. जिसका उद्देश्य शासन स्तर के उच्च श्रेणी के अफसरों और राजनौतिक पहुंच वाले व्यक्तियों को अनियमित रूप से आवंटित करना था. जिसमें 28 व्यक्तियों को आवंटित भी किया गया. ये सम्पूर्ण आवंटन कानून का उल्लंघन करते हुए किया गया. जिसकी वजह से लखनऊ विकास प्राधिकरण को दो करोड़ 88 लाख से अधिक की क्षति हुई है. 22 दिसंबर 2018 को निचली अदालत ने उनकी ये अर्जी खारिज कर दी थी.

लखनऊः 28 भूखंडों का आवंटन विधि के खिलाफ तरीके से करने और दो करोड़ 88 लाख की आर्थिक क्षति पहुंचाने के कथित मामले में लखनऊ विकास प्राधिकरण के आला अधिकारियों के खिलाफ दाखिल रिवीजन अर्जी विशेष अदालत ने खारिज कर दी है. ये अर्जी विश्वनाथ चतुर्वेदी ने दाखिल की थी. इस अर्जी में निचली अदालत के आदेश को चुनौती दी गई थी. भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के विशेष जज विनय कुमार सिंह ने निचली अदालत के आदेश की पुष्टि की है.

विश्वनाथ चतुर्वेदी ने निचली अदालत में एक अर्जी दाखिल कर इस मामले में एलडीए के तत्कालीन उपाध्यक्ष बीबी सिंह, संयुक्त सचिव जेबी सिंह, सचिव रेखा गुप्ता, डाटा ऑपरेटर संजीव कुमार श्रीवास्तव, प्रोग्रामर एनालिस्ट रघुवेंद्र मिश्रा, चीफ टाउन प्लॉनर सीपी शर्मा, चीफ टाउन प्लॉनर और कंट्री प्लॉनर अफसर सबीर खान, फाइनेंस कंट्रोलर डॉक्टर मोहन यादव, सीनियर कास्ट एकाउंटेट अवनीश कुमार, स्टेट ऑफिसर केके सिंह, सीटिंग ऑफिसर प्रदीप कुमार श्रीवास्तव और यूपी के तत्कालीन हाउसिंग सेक्रेट्ररी केएल मीना को भी विपक्षी पक्षकार बनाया था.

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इन सभी विपक्षीगणों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का आदेश देने की मांग की थी. उनका कहना था कि एलडीए और शासन स्तर के अधिकारियों की सांठगांठ से 28 भूखंडों का सृजन अर्बन बिल्डिंग एण्ड डेवलमेंट एक्ट, 1973 के प्रॉवधान के विपरीत किया गया. जिसका उद्देश्य शासन स्तर के उच्च श्रेणी के अफसरों और राजनौतिक पहुंच वाले व्यक्तियों को अनियमित रूप से आवंटित करना था. जिसमें 28 व्यक्तियों को आवंटित भी किया गया. ये सम्पूर्ण आवंटन कानून का उल्लंघन करते हुए किया गया. जिसकी वजह से लखनऊ विकास प्राधिकरण को दो करोड़ 88 लाख से अधिक की क्षति हुई है. 22 दिसंबर 2018 को निचली अदालत ने उनकी ये अर्जी खारिज कर दी थी.

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