नई दिल्ली: उन्नाव रेप मामले में पीड़िता के पिता को गलत तरीके से आर्म्स एक्ट के तहत फंसाए जाने के मामले में दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने आरोप तय करने का आदेश दिए हैं. कोर्ट ने आरोपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर और तीन पुलिसकर्मियों पर आर्म्स एक्ट के तहत पीड़िता के पिता को गलत तरीके से फंसाने का आरोप तय किया है.
10 अगस्त को दलीलें पूरी हो गईं थीं
बता दें कि कोर्ट ने आर्म्स एक्ट और पीड़िता के पिता की हिरासत में मौत के केस को एक साथ टैग कर दिया है. डिस्ट्रिक्ट एंड सेशन जज धर्मेश शर्मा ने कहा कि दोनों केसों के 43 गवाह एक ही हैं और दोनों एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं. इसलिए दोनों केस टैग किए जाएं. पिछले 10 अगस्त को इस मामले में आरोप तय करने को लेकर दलीलें पूरी हो गईं थीं. पिछले नौ अगस्त को कोर्ट ने आरोपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के खिलाफ रेप, पॉक्सो और अपहरण की धाराओं के तहत आरोप तय करने का आदेश दिया था. कोर्ट ने भारतीय दंड संहिता की धारा 120(बी), 363, 376 और पॉक्सो के तहत आरोप तय करने का आदेश दिया.
'पॉक्सो एक्ट के तहत आरोप तय होना चाहिए'
पिछले आठ अगस्त को आर्म्स एक्ट के मामले में सुनवाई के दौरान सीबीआई ने कहा था कि जांच में पाया गया कि पीड़िता और उसके परिवार वालों ने घटना की रिपोर्ट लिखवानी चाही, लेकिन आरोपी विधायक के प्रभाव की वजह से कोई कार्रवाई नहीं हुई. उन्होंने एफआईआर दर्ज करवाने के लिए दर-दर की ठोकरें खाईं, लेकिन उस पर कार्रवाई तब की गई जब 7 अप्रैल 2018 को पीड़िता ने मुख्यमंत्री आवास के सामने आत्मदाह की कोशिश की. 3 अप्रैल 2018 को उसके पिता को आरोपी विधायक के भाई ने सरेआम बुरी तरह पीटा. सीबीआई ने कहा था कि जांच में ये भी पाया गया कि स्थानीय थाने की पुलिस और अधिकारियों ने इसकी शिकायतों पर कोई गौर नहीं किया और लापरवाही बरती.
पिछले 7 अगस्त को आरोपी विधायक के खिलाफ रेप के मामले में सीबीआई की ओर से दायर आरोपपत्र पर दोनों पक्षों की दलीलें कोर्ट ने सुनी. 7 अगस्त को कोर्ट ने मीडिया को निर्देश दिया था कि वो पीड़ितों और उसके परिजनों और गवाहों के नामों का खुलासा नहीं करें. सुनवाई के दौरान सीबीआई ने कहा था कि आरोपी पर रेप के आरोप बिल्कुल सही हैं. सीबीआई और पीड़िता की मां की ओर से वकील धर्मेन्द्र कुमार मिश्रा और पूनम कौशिक ने कहा कि आरोपी के खिलाफ पॉक्सो एक्ट के तहत आरोप तय होना चाहिए.
तिहाड़ जेल भेजने का आदेश
पिछले 6 अगस्त को कोर्ट ने सीबीआई से उन्नाव रेप मामले के पीड़िता, उसकी देखभाल करने वालों और उसके परिजनों की सुरक्षा के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी मांगी थी. कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के डीजीपी को निर्देश दिया था कि वो गवाहों की सुरक्षा के लिए उठाए गए कदमों की स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करें. कोर्ट ने पीड़िता को दिल्ली शिफ्ट करने के बाद उसके परिजनों के ठहरने के बारे में भी रिपोर्ट मांगी थी.
पिछले 5 अगस्त को कोर्ट ने आरोपी कुलदीप सिंह सेंगर और शशि सिंह को मंगलवार को दोबारा पेश करने का आदेश दिया था. कोर्ट ने दोनों आरोपियों को तिहाड़ जेल भेजने का आदेश दिया. 5 अगस्त को जब दोनों को कोर्ट में पेश किया गया था तो डिस्ट्रिक्ट एंड सेशन जज धर्मेश शर्मा ने आरोपियों के वकील को आरोप पत्र पर बहस करने को कहा था. इस पर आरोपियों की ओर से कहा गया था कि क्या यह कोर्ट को इस केस को सुनने का अधिकार है.
'45 दिन के अंदर ट्रायल को पूरा करने का आदेश'
पिछले तीन अगस्त को सीबीआई ने इस मामले में तीस हजारी कोर्ट के डिस्ट्रिक्ट एंड सेशन जज धर्मेश शर्मा की कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की थी. जानकारी के लिए बता दें कि ये मामला पहले यूपी में चल रहा था. पिछले एक अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने उन्नाव रेप कांड से जुड़े सभी मामलों को यूपी से दिल्ली ट्रांसफर करने का आदेश दिया था. उसके बाद 2 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश में बदलाव करते हुए एक्सीडेंट मामले के दिल्ली ट्रांसफर करने पर15 दिनों की रोक लगाने का आदेश दिया. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की रोजाना सुनवाई करने का आदेश दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने 45 दिन के अंदर ट्रायल को पूरा करने का आदेश दिया है.
एक्सीडेंट में पीड़िता के 2 परिजनों की मौत
मामला 4 जून 2017 का है. जब एक नाबालिग लड़की ने तब के बीजेपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर पर अपने घर में रेप करने का आरोप लगाया. लड़की विधायक के घर काम की तलाश में गई थी. इस मामले में कुलदीप सिंह सेंगर न्यायिक हिरासत में हैं. दूसरे अभियुक्त शशि सिंह पर आरोप है कि वो लड़की को बहला फुसलाकर सेंगर के घर ले गई. लड़की के पिता की 9 अप्रैल 2018 में पुलिस हिरासत में मौत हो गई थी. सेंगर के खिलाफ एक और हत्या का मामला तब दर्ज हुआ जब लड़की का अपने वकील और परिजनों के साथ एक्सीडेंट हुआ. इस एक्सीडेंट में लड़की के दो परिजनों की मौत हो गई.