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लखनऊ छावनी परिषद में बजट की कमी, निकाले जा सकते हैं संविदा शिक्षक - छावनी परिषद के सीईओ अमित मिश्रा

लखनऊ छावनी परिषद की होने वाली आगामी बैठक में संविदा पर काम करने वाले शिक्षकों की छुट्टी होना तय माना जा रहा है. परिषद से जुड़े सूत्रों का कहना है कि बजट में कटौती के चलते ये फैसला लिया जाना है. 

छावनी परिषद के सीईओ अमित मिश्रा.
छावनी परिषद के सीईओ अमित मिश्रा.
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Published : Sep 1, 2020, 4:06 PM IST

लखनऊ: इस बार लखनऊ छावनी परिषद की होने वाली बैठक कैंट बोर्ड के स्कूलों में संविदा पर काम करने वाले शिक्षकों के लिए मायूसी भरी साबित हो सकती है. तमाम शिक्षकों की छुट्टी होना तय माना जा रहा है. परिषद से जुड़े सूत्रों का कहना है कि बजट में कटौती के चलते ये फैसला लिया जाना है.

कोरोना संक्रमण के कारण हर वर्ग प्रभावित है. तमाम उद्योग धंधे बंद हो रहे हैं और कम्पनियों से कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखाया जा रहा है. तमाम इंस्टिट्यूशन नौकरी पेशा लोगों को नौकरी से बाहर कर रहे हैं. अब लखनऊ छावनी परिषद भी इसी तरह का फैसला लेने की तैयारी में है. छावनी परिषद में राजस्व का संकट खड़ा हो गया है. आय के स्रोत काफी कम हो गए हैं, जिससे बजट कम करने की नौबत आ गई है. छावनी परिषद के सीईओ अमित मिश्रा ने बताया कि करीब 65 शिक्षक हटाए जाएंगे. संविदा पर काम करने वाले 150 अन्य लोगों पर भी गाज गिरेगी. ऐसा बजट में कटौती को लेकर किया जाएगा.

उन्होंने कहा कि छावनी परिषद के आय के स्रोत कोरोना वायरस की वजह से कम हो गए हैं, जिसकी वजह से बजट में कटौती की जा रही है. 30 प्रतिशत तक बजट में कटौती करने पर सहमति बनी है. उन्होंने बताया कि परिषद के तमाम काम भी इसी बजट से होते हैं और शिक्षकों का वेतन भी जाता है. ऐसे में इस बार जब बजट की कटौती हो गई है तो शिक्षकों को वेतन देना मुश्किल होगा, जिसके चलते इस तरह का फैसला लेना पड़ रहा है.

बता दें कि कोरोना का संक्रमण छात्रों में न फैले इसी के लिए एहतियात बरतते हुए सरकार ने इस बार स्कूल-कॉलेज खोलने की इजाजत नहीं दी. स्कूल नहीं खुले तो छात्रों को घर पर रहकर ही ऑनलाइन शिक्षा उपलब्ध कराई गई. यही वजह है कि छावनी परिषद के अधिकारियों को लग रहा है कि जब इस बार शिक्षकों से स्कूल में काम नहीं लिया गया है तो नौकरी का कोई मतलब नहीं है.

लखनऊ: इस बार लखनऊ छावनी परिषद की होने वाली बैठक कैंट बोर्ड के स्कूलों में संविदा पर काम करने वाले शिक्षकों के लिए मायूसी भरी साबित हो सकती है. तमाम शिक्षकों की छुट्टी होना तय माना जा रहा है. परिषद से जुड़े सूत्रों का कहना है कि बजट में कटौती के चलते ये फैसला लिया जाना है.

कोरोना संक्रमण के कारण हर वर्ग प्रभावित है. तमाम उद्योग धंधे बंद हो रहे हैं और कम्पनियों से कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखाया जा रहा है. तमाम इंस्टिट्यूशन नौकरी पेशा लोगों को नौकरी से बाहर कर रहे हैं. अब लखनऊ छावनी परिषद भी इसी तरह का फैसला लेने की तैयारी में है. छावनी परिषद में राजस्व का संकट खड़ा हो गया है. आय के स्रोत काफी कम हो गए हैं, जिससे बजट कम करने की नौबत आ गई है. छावनी परिषद के सीईओ अमित मिश्रा ने बताया कि करीब 65 शिक्षक हटाए जाएंगे. संविदा पर काम करने वाले 150 अन्य लोगों पर भी गाज गिरेगी. ऐसा बजट में कटौती को लेकर किया जाएगा.

उन्होंने कहा कि छावनी परिषद के आय के स्रोत कोरोना वायरस की वजह से कम हो गए हैं, जिसकी वजह से बजट में कटौती की जा रही है. 30 प्रतिशत तक बजट में कटौती करने पर सहमति बनी है. उन्होंने बताया कि परिषद के तमाम काम भी इसी बजट से होते हैं और शिक्षकों का वेतन भी जाता है. ऐसे में इस बार जब बजट की कटौती हो गई है तो शिक्षकों को वेतन देना मुश्किल होगा, जिसके चलते इस तरह का फैसला लेना पड़ रहा है.

बता दें कि कोरोना का संक्रमण छात्रों में न फैले इसी के लिए एहतियात बरतते हुए सरकार ने इस बार स्कूल-कॉलेज खोलने की इजाजत नहीं दी. स्कूल नहीं खुले तो छात्रों को घर पर रहकर ही ऑनलाइन शिक्षा उपलब्ध कराई गई. यही वजह है कि छावनी परिषद के अधिकारियों को लग रहा है कि जब इस बार शिक्षकों से स्कूल में काम नहीं लिया गया है तो नौकरी का कोई मतलब नहीं है.

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