लखनऊ : बीते दिनों नई दिल्ली में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे व कांग्रेस नेता राहुल गांधी के बीच हुए मुलाकात के बाद कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश में अपनी रणनीति में बदलाव किया है. बिहार की तर्ज पर कांग्रेस उत्तर प्रदेश में अति पिछड़ों के वोट बैंक में पकड़ बनाने के लिए रणनीति तैयार कर रही है. इसके लिए पार्टी अगले 30 दिनों तक उत्तर प्रदेश में ओबीसी के मुद्दों को लेकर 18 मंडलों के सभी ब्लॉक लेवल पर जाकर पिछड़ों को जोड़ने के लिए जातीय जनगणना कराए जाने व उसके फायदे के बारे में पिछड़ी जातियों को जागरूक करेगी. इसके लिए बीते गुरुवार को प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में कांग्रेस की ओर से पिछड़ा वर्ग सम्मेलन का भी आयोजन किया गया था. 7 जुलाई को कांग्रेस दिल्ली में पिछड़ा समुदाय का रैली आयोजित करने जा रही है. जिसमें जेडीयू-आरजेडी सहित देश की एक दर्जन से अधिक पार्टियों के शामिल होने की उम्मीद है.
पिछड़ों का मुद्दा उठाने का काम करेगी कांग्रेस : उत्तर प्रदेश की 403 विधानसभा सीटों की बात की जाए तो इनमें 200 से अधिक सीटों पर अति पिछड़ा वर्ग निर्णायक भूमिका में है, जबकि पूरे देश की बात करें तो 121 लोकसभा सीटों पर ओबीसी जातियों का प्रभाव अधिक है. कांग्रेस के रणनीतिकारों का कहना है कि 'भाजपा से लड़ने के लिए ओबीसी जातियों को अपने पक्ष में लामबंद करना जरूरी है. एक ओर जहां बिहार में नीतीश कुमार की जनता दल यूनाइटेड और लालू यादव की राष्ट्रीय जनता दल ओबीसी की नुमाइंदगी कर रहे हैं, वहीं उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी का रुख पिछड़े समुदाय की जातियों के मुद्दों को लेकर उतना मुखर नहीं है. जैसे बिहार में दोनों पाटियां हैं. ऐसे में कांग्रेस उत्तर प्रदेश में पिछड़ों के मुद्दों को उठाकर उनको अपने साथ लाने की कोशिश कर रही है, जिससे बिहार के साथ-साथ उत्तर प्रदेश में भी कांग्रेस गठबंधन को पिछड़ों का वोट मिल सके. कांग्रेस पार्टी के नेताओं का कहना है कि 'समाजवादी पार्टी में बीते कुछ समय से ओबीसी समाज के मुद्दों को लेकर जिस तरह से केवल सोशल मीडिया पर बयानबाजी की जा रही है, उससे प्रदेश में पिछड़ा वर्ग के लोग काफी उदास हैं.'
पार्टियों को एक मंच पर लाने की कोशिश : कांग्रेस नेताओं का कहना है कि 'जिस तरह बिहार में ओबीसी की राजनीति करने वाली सभी पार्टियां एक मंच पर हैं, वैसे ही उत्तर प्रदेश में भी माहौल बनाया जाए. मौजूदा समय में समाजवादी पार्टी को लेकर अति पिछड़ा वर्ग में काफी मायूसी है. ऐसे में समाजवादी पार्टी के अलावा प्रदेश में और विभिन्न पार्टियां जो ओबीसी व दलित के मुद्दों पर समान विचारधारा रखती हैं, कांग्रेस पार्टी उन्हें लोकसभा चुनाव से पहले एक मंच पर लाने की कोशिश कर रही है, ताकि लोकसभा चुनाव से पहले प्रदेश में ओबीसी, दलित व मुस्लिम गठजोड़ कर एक नया गठबंधन तैयार किया जा सके. पार्टी की रणनीति है कि ओबीसी कार्ड खेलकर उत्तर प्रदेश के दोनों मुख्य विपक्षी दलों भाजपा व समाजवादी पार्टी के वोट बैंक में सेंध लगाया जा सके. जिससे आगामी लोकसभा चुनाव में पार्टी को अच्छे परिणाम मिल सके. हालांकि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष बृजलाल खाबरी ने आगामी लोकसभा चुनाव में अकेले ही चुनाव लड़ने का दावा किया है.
प्रदेश भर में चलाया जाएगा जागरूकता अभियान : कांग्रेस पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता अंशू दीक्षित ने बताया कि 'कांग्रेस पार्टी शुरू से ही इस बात के पक्षधर रही है कि जिसकी जितनी हिस्सेदारी उसकी उतनी भागीदारी मिलनी चाहिए. हम चाहते हैं कि जाति जनगणना हो. इससे निकल कर आए कि आंकड़े की किस समाज के कितने लोग हैं. उनका प्रतिनिधित्व लोकतंत्र में सुनिश्चित हो. कांग्रेस पार्टी जातीय जनगणना को लेकर कार्यक्रम शुरू कर रही है. सात जून को दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में राष्ट्रीय अध्यक्ष की अगवाई में कार्यक्रम हो रहा है. उससे पहले उत्तर प्रदेश में ब्लाक स्तर पर भी कार्यक्रम आयोजित होंगे. इसमें पार्टी की ओर से जाति जनगणना कराने को लेकर लोगों में जागरूकता फैलेगी. यह बताएंगे कि जाति जनगणना होने से देश में लोगों को उनकी हिस्सेदारी सुनिश्चित होगी.'
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