लखनऊ: अबकी यूपी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस कई दशक बाद अकेले दम पर 399 सीटों पर चुनावी मैदान में उतरी थी. साथ ही पार्टी को उम्मीद थी कि पिछले चुनावों की तुलना में इस बार कुछ हद तक स्थिति में सुधार होगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. वहीं, जब जनता ने अपना फैसला दिया तो पार्टी के पैरों तले जमीन खिसक गई. नतीजा यह हुआ कि सिर्फ दो सीटों पर सिमटी कांग्रेस को केवल ढाई फीसद मत हासिल हुए. इतना ही नहीं पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू भी बुरी तरह से चुनाव हार गए.
कांग्रेस पार्टी ने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि उत्तर प्रदेश में 399 सीटों पर उसके उम्मीदवार उतरेंगे और पार्टी की उम्मीदों को जिंदा रखने के बजाय दफन ही कर देंगे. प्रियंका की लाख मेहनत के बावजूद कांग्रेस प्रदेश में सिर्फ दो ही सीटें जीतने में सफल हो पाई. उसमें भी एक सीट ऐसी है, जिसमें कांग्रेस पार्टी आलाकमान से ज्यादा वहां की जनता का कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता प्रमोद तिवारी पर विश्वास है.
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पार्टी की नेता विधानमंडल दल आराधना मिश्रा 'मोना' यहां से तीसरी बार विधायक चुनी गईं. इससे पहले नौ बार उनके पिता प्रमोद तिवारी लगातार इस सीट से विधायक रहे थे. यह सीट कांग्रेस की जीत वाली मुहर लगी हुई मानी जाती रही है और इस बार भी जनता ने जीत पर मुहर लगाई. इसके बाद फरेंदा विधानसभा सीट पर वीरेंद्र चौधरी ने चुनाव जीतकर कांग्रेस को कुछ राहत जरूर दी.
सात फीसद से ढाई फीसद रह गया मत प्रतिशत
कांग्रेस पार्टी ने साल 2017 में समाजवादी पार्टी के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था. 100 सीटों पर कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी मैदान में उतरे थे और सात सीटों पर पार्टी ने चुनाव जीता था. कुल मिलाकर पार्टी का मत प्रतिशत सात फीसद था, लेकिन साल 2022 के विधानसभा चुनाव में पार्टी के 399 प्रत्याशी मैदान में उतरे और सिर्फ दो ही सीटें जीतने में कामयाब हुए. ऐसे में पार्टी का मत प्रतिशत साढ़े चार फीसद घटकर सिर्फ ढाई फीसद ही रह गया. यानी कांग्रेस पार्टी की सीटें पांच कम हो गईं और मत प्रतिशत साढ़े चार फीसद. दोनों तरह से कांग्रेस पार्टी को इस चुनाव ने तगड़े झटके दिए हैं.
सुनामी में जीते पर बिना किसी लहर में हारे
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू 2012 में कांग्रेस पार्टी से तमकुहीराज से मैदान में उतरे और यहां पर पहली बार जीत दर्ज की. इस साल यूपी में समाजवादी पार्टी की सुनामी आई थी. सपा 224 सीटें जीतकर सत्ता में आई लेकिन लल्लू की सीट नहीं हिला पाई. इसके बाद साल 2017 में सपा और कांग्रेस का गठबंधन हुआ और तमकुहीराज से अजय कुमार लल्लू गठबंधन के प्रत्याशी थे. इस बार भारतीय जनता पार्टी की प्रचंड सुनामी आई.
भाजपा ने 325 सीटें जीतीं. बावजूद इसके इस सुनामी में भी अजय कुमार लल्लू चुनाव नहीं हारे, लेकिन जब साल 2022 में किसी भी पार्टी की कोई लहर नहीं थी तो लल्लू बुरी तरह चुनाव हार गए. अजय कुमार लल्लू तीसरे नंबर पर रहे. उन्हें सिर्फ 33,370 वोट ही मिले.
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