लखनऊ: नगर निगम प्रशासन जोन 4 के जोनल अधिकारी पर पूरी तरह मेहरबान है. वैसे तो यह अधिकारी नहीं बल्कि कम्प्यूटर प्रोग्रामर है. इतना ही नहीं प्रतिनियुक्ति का पीरियड समाप्त होने व सर्विस बुक न होने पर भी उत्तर प्रदेश शासन की दरियादिली और निगम प्रशासन की मेहरबानी बरकरार है. बता दें कि बीते दिनों जोन 4 व 8 में इस अफसर की तैनाती के दौरान हाऊस टैक्स में करोड़ों की घपलेबाजी के मामले सामने आ चुके हैं. इसके बाद भी सरकार और शासन की पहुंच के आगे निगम प्रशासन नतमस्तक है.
दरअसल तीन साल पहले नगर विकास विभाग के आदेश पर गोरखपुर के गीडा में कम्प्यूटर प्रोग्रामर के पद पर कार्यरत सुजीत श्रीवास्तव को सहायक नगर आयुक्त पद पर प्रतिनियुक्ति देते हुए लखनऊ नगर निगम में तैनात किया गया था. आदेश के तहत प्रतिनियुक्ति तीन साल की थी, लेकिन यदि उससे पहले सहायक नगर आयुक्त पद पर नई नियुक्ति हो गई तो प्रतिनियुक्ति समाप्त हो जाएगी. मगर शासन का यह आदेश फाइलों में ही धूल फांक रहा है. प्रतिनियुक्ति अवधि के दौरान ही नगर निगम में एक सहायक नगर आयुक्त की नियुक्ति भी हो गई. उसके बाद सुजीत की प्रतिनियुक्ति अवधि भी जुलाई में समाप्त हो गई है, लेकिन वह अब तक जोनल अधिकारी की कुर्सी पर जमे हैं.
न्यूनतम वेतन पर ही कर रहे काम
खास बात यह है कि सुजीत श्रीवास्तव न्यूनतम वेतन पर काम कर रहे हैं. सर्विस बुक न होने के कारण उनके वेतन का निर्धारण नहीं हो पा रहा है, जिससे उनको नगर निगम पिछले तीन साल से न्यूनतम वेतन ही दे रहा है. यह भी बताया गया है कि यह वेतन भी हर महीने नहीं बल्कि दो तीन महीने का एक साथ तब दिया जाता है, जब नगर आयुक्त स्तर से वेतन जारी करने का आदेश दिया जाता है. एक अफसर के न्यूनतम वेतन लेने की चर्चा भी खूब है. हालांकि नगर निगम प्रशासन की ओर से उनकी सर्विस बुक मंगवाई गई है, यह और बात है कि अब तक आई नहीं है.
नगर आयुक्त अजय द्विवेदी का इस संबंध में कहना है कि इसकी जानकारी अभी तक नहीं थी, इस बारे में पता किया जाएगा. नियम संगत कार्रवाई की जाएगी.