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अवैध टावर मामला: SIT की जांच रिपोर्ट के बाद सीएम ने की कार्रवाई

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Published : Oct 4, 2021, 10:58 PM IST

नोएडा में अफसरों की लापरवाही और मिलीभगत से सुपर टेक कंपनी के दो अवैध टावर बनाए जाने के मामले में सीएम योगी ने कार्रवाई के आदेश दे दिए हैं. पिछले महीने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नोएडा में 40 मंजिले दो अवैध टावर और अफसरों की मिलीभगत के मामले में स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम एसआईटी गठित की थी और जल्द से जल्द रिपोर्ट तलब की थी.

सीएम योगी आदित्यनाथ
सीएम योगी आदित्यनाथ

लखनऊ: नोएडा में अफसरों की लापरवाही और भ्रष्टाचार करके सुपर टेक कंपनी के दो अवैध टावर बनाए जाने के मामले में एसआईटी टीम की जांच रिपोर्ट के बाद सीएम योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) ने कड़ी कार्रवाई की है. लखीमपुर घटना (Lakhimpur Kand) के बीच गोरखपुर दौरे से देरशाम वापस राजधानी लखनऊ आए सीएम योगी आदित्यनाथ ने एसआईटी जांच रिपोर्ट के आधार पर नोएडा प्राधिकरण से जुड़े कई अफसरों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए हैं.

शासन की तरफ से बताया गया है कि एसआईटी टीम की जांच रिपोर्ट के आधार पर शासन द्वारा ये कार्रवाई सीएम के निर्देश पर की गई है. जांच रिपोर्ट के आधार पर नोएडा प्राधिकरण के तत्कालीन 26 अधिकारियों की संलिप्तता दर्शायी गई है, जिसमें से दो की मौत हो चुकी है और 4 अधिकारी सेवारत हैं, जबकि 20 अधिकारी सेवानिवृत्त हो चुके हैं. सेवारत 4 अधिकारियों में से एक अधिकारी पूर्व में निलंबित किया जा चुका है. शेष तीन अधिकारियों को निलंबित करते हुए विभागीय कार्रवाई प्रारम्भ की जा रही है. इसके साथ ही सेवानिवृत्त अन्य अधिकारियों के खिलाफ भी नियमों को देखते रखते हुए कार्रवाई के आदेश जारी कर दिए गए हैं. इसी तरह एसआईटी जांच समिति की सिफारिश के अंतर्गत नोएडा प्राधिकरण के संलिप्त पाए गए अधिकारियों में सुपरटेक कम्पनी के 4 निदेशकों तथा 2 वास्तुविदों के खिलाफ सतर्कता अधिष्ठान में प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराते हुए सतर्कता इकाई को विवेचना के निर्देश जारी कर दिए गए हैं.

सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद उत्तर प्रदेश औद्योगिक क्षेत्र विकास अधिनियम 1976 तथा उत्तर प्रदेश अपार्टमेन्ट ( प्रमोशन ऑफ कन्सट्रक्शन ओनरशिप एण्ड मेन्टिनेन्स) अधिनियम 2010 के प्रावधानों के उल्लंघन को देखते हुए नोएडा प्राधिकरण तथा मैसर्स सुपरटेक कंपनी की संलिप्तता पाई गई. अधिकारियों के खिलाफ अधिनियमों के अंतर्गत मुकदमा दर्ज कराने के भी निर्देश दिए गए हैं. रिपोर्ट में दो वास्तुविद संस्थानों को चिन्हित करते हुए उनके वास्तुविदों की संलिप्तता बताई है. जिसके अंतर्गत संबंधित वास्तुविद संस्थानों और वास्तुविदों के खिलाफ कार्रवाई के लिए भी कांउसिल ऑफ आर्किटेक्चर को भी निर्देश दे दिए गए हैं. इसके अलावा एसआईटी की जांच रिपोर्ट के आधार पर सुपरटेक कंपनी द्वारा ले-आउट प्लान में आरक्षित ग्रीन बेल्ट जिसका क्षेत्रफल लगभग 7000 वर्ग मीटर है को भूखण्ड में सम्मिलित कर अतिक्रमण कर लिया गया है, जिसके संबध में दोषी अधिकारियों के खिलाफ प्राधिकरण स्तर से कार्रवाई शुरू कर दी गई है. इसके अलावा ग्रीन बेल्ट को अतिक्रमण से मुक्त कराने तथा चिन्हित अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई आगामी 15 दिन में सुनिश्चित कराने के निर्देश भी दे दिए गए हैं.

इसे भी पढ़ें-अवैध टावर मामले में SIT ने सीएम ऑफिस को दी जांच रिपोर्ट, CM जल्द लेंगे एक्शन



उल्लेखनीय है कि पिछले महीने नोएडा में अवैध टावर को ध्वस्त करने का सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा आदेश दिया था और दोनों टावर को ध्वस्त करते हुए फ्लैट खरीदारों का पैसा ब्याज सहित लौटाने का भी आदेश दिया था. जिसके बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गंभीर होकर और कोर्ट के आदेश के तुरंत बाद तत्कालीन नोएडा के नियोजन प्रबंधक मुकेश गोयल को निलंबित कर दिया था. इसके बाद 2 सितंबर को मुख्यमंत्री ने एक एसआईटी टीम का गठन किया था, जिसमें अवस्थापना और औद्योगिक विकास आयुक्त को अध्यक्ष संजीव मित्तल, पंचायती राज विभाग के अपर मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह, एडीजी मेरठ जोन राजीव सब्बरवाल व मुख्य नगर व ग्राम नियोजक अनूप श्रीवास्तव सदस्य के रूप में को शामिल किया था. करीब एक महीने की लंबी जांच पड़ताल के बाद एसआईटी टीम ने अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री कार्यालय को शनिवार की देर शाम भेज दी थी, जिसके आधार पर सीएम योगी ने गोरखपुर से लखनऊ वापस आते ही देर रात सख्त कार्रवाई के आदेश दिए हैं, जिसके बाद शासन से कार्रवाई की गई है.

लखनऊ: नोएडा में अफसरों की लापरवाही और भ्रष्टाचार करके सुपर टेक कंपनी के दो अवैध टावर बनाए जाने के मामले में एसआईटी टीम की जांच रिपोर्ट के बाद सीएम योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) ने कड़ी कार्रवाई की है. लखीमपुर घटना (Lakhimpur Kand) के बीच गोरखपुर दौरे से देरशाम वापस राजधानी लखनऊ आए सीएम योगी आदित्यनाथ ने एसआईटी जांच रिपोर्ट के आधार पर नोएडा प्राधिकरण से जुड़े कई अफसरों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए हैं.

शासन की तरफ से बताया गया है कि एसआईटी टीम की जांच रिपोर्ट के आधार पर शासन द्वारा ये कार्रवाई सीएम के निर्देश पर की गई है. जांच रिपोर्ट के आधार पर नोएडा प्राधिकरण के तत्कालीन 26 अधिकारियों की संलिप्तता दर्शायी गई है, जिसमें से दो की मौत हो चुकी है और 4 अधिकारी सेवारत हैं, जबकि 20 अधिकारी सेवानिवृत्त हो चुके हैं. सेवारत 4 अधिकारियों में से एक अधिकारी पूर्व में निलंबित किया जा चुका है. शेष तीन अधिकारियों को निलंबित करते हुए विभागीय कार्रवाई प्रारम्भ की जा रही है. इसके साथ ही सेवानिवृत्त अन्य अधिकारियों के खिलाफ भी नियमों को देखते रखते हुए कार्रवाई के आदेश जारी कर दिए गए हैं. इसी तरह एसआईटी जांच समिति की सिफारिश के अंतर्गत नोएडा प्राधिकरण के संलिप्त पाए गए अधिकारियों में सुपरटेक कम्पनी के 4 निदेशकों तथा 2 वास्तुविदों के खिलाफ सतर्कता अधिष्ठान में प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराते हुए सतर्कता इकाई को विवेचना के निर्देश जारी कर दिए गए हैं.

सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद उत्तर प्रदेश औद्योगिक क्षेत्र विकास अधिनियम 1976 तथा उत्तर प्रदेश अपार्टमेन्ट ( प्रमोशन ऑफ कन्सट्रक्शन ओनरशिप एण्ड मेन्टिनेन्स) अधिनियम 2010 के प्रावधानों के उल्लंघन को देखते हुए नोएडा प्राधिकरण तथा मैसर्स सुपरटेक कंपनी की संलिप्तता पाई गई. अधिकारियों के खिलाफ अधिनियमों के अंतर्गत मुकदमा दर्ज कराने के भी निर्देश दिए गए हैं. रिपोर्ट में दो वास्तुविद संस्थानों को चिन्हित करते हुए उनके वास्तुविदों की संलिप्तता बताई है. जिसके अंतर्गत संबंधित वास्तुविद संस्थानों और वास्तुविदों के खिलाफ कार्रवाई के लिए भी कांउसिल ऑफ आर्किटेक्चर को भी निर्देश दे दिए गए हैं. इसके अलावा एसआईटी की जांच रिपोर्ट के आधार पर सुपरटेक कंपनी द्वारा ले-आउट प्लान में आरक्षित ग्रीन बेल्ट जिसका क्षेत्रफल लगभग 7000 वर्ग मीटर है को भूखण्ड में सम्मिलित कर अतिक्रमण कर लिया गया है, जिसके संबध में दोषी अधिकारियों के खिलाफ प्राधिकरण स्तर से कार्रवाई शुरू कर दी गई है. इसके अलावा ग्रीन बेल्ट को अतिक्रमण से मुक्त कराने तथा चिन्हित अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई आगामी 15 दिन में सुनिश्चित कराने के निर्देश भी दे दिए गए हैं.

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उल्लेखनीय है कि पिछले महीने नोएडा में अवैध टावर को ध्वस्त करने का सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा आदेश दिया था और दोनों टावर को ध्वस्त करते हुए फ्लैट खरीदारों का पैसा ब्याज सहित लौटाने का भी आदेश दिया था. जिसके बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गंभीर होकर और कोर्ट के आदेश के तुरंत बाद तत्कालीन नोएडा के नियोजन प्रबंधक मुकेश गोयल को निलंबित कर दिया था. इसके बाद 2 सितंबर को मुख्यमंत्री ने एक एसआईटी टीम का गठन किया था, जिसमें अवस्थापना और औद्योगिक विकास आयुक्त को अध्यक्ष संजीव मित्तल, पंचायती राज विभाग के अपर मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह, एडीजी मेरठ जोन राजीव सब्बरवाल व मुख्य नगर व ग्राम नियोजक अनूप श्रीवास्तव सदस्य के रूप में को शामिल किया था. करीब एक महीने की लंबी जांच पड़ताल के बाद एसआईटी टीम ने अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री कार्यालय को शनिवार की देर शाम भेज दी थी, जिसके आधार पर सीएम योगी ने गोरखपुर से लखनऊ वापस आते ही देर रात सख्त कार्रवाई के आदेश दिए हैं, जिसके बाद शासन से कार्रवाई की गई है.

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