लखनऊः मुख्यमंत्री योगी ने बुधवार को वर्चुअल माध्यम से उच्च स्तरीय बैठक में प्रदेश में कोविड-19 की स्थिति की समीक्षा की. इस दौरान सीएम ने ने कहा कि सभी वरिष्ठ अधिकारी अपने कार्यालयों में बैठना शुरू करें. दिन प्रतिदिन के कार्यों का निष्पादन वहीं से करें. सूचना मांगे जाने पर सभी विभागों द्वारा सही और तथ्यात्मक जानकारी दी जानी चाहिए. सूचना का प्रारूप सरल होना चाहिए, जो किसी भी सामान्य व्यक्ति को आसानी से समझ में आ जाए. उन्होंने कहा कि सभी अधिकारी दिए जाने वाले निर्देशों का तत्परता से अनुपालन करें, ऐसा न करने वालों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाएगी.
2 लाख 19 हजार टेस्ट ग्रामीण इलाकों में किये गए
मुख्यमंत्री को अवगत कराया गया कि राज्य में कोरोना संक्रमण की रिकवरी दर 91.4 प्रतिशत से अधिक है. प्रदेश में कोरोना संक्रमण की पॉजिटिविटी दर लगातार कम हो रही है. कोरोना संक्रमण में राज्य का कुल पॉजिटिविटी रेट 3.6 प्रतिशत है. पिछले 24 घंटे में यह दर 2.45 प्रतिशत रही है. प्रदेश में पिछले 24 घंटो में दो लाख 99 हजार 327 कोविड टेस्ट किए गए. यह एक दिन में कोरोना जांच की अब तक की सर्वाधिक संख्या है. इसमें दो लाख 19 हजार टेस्ट प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में किये गए.
ब्लैक फंगस की दवाएं उपलब्ध कराई जाएं
मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी डेडिकेटेड कोविड अस्पतालों में पोस्ट कोविड वाॅर्ड तैयार किये जाएं. इन वाॅर्डों में आवश्यक दवा, भोजन, साफ-सफाई की समुचित व्यवस्था भी रहे. उन्होंने कहा कि पोस्ट कोविड अवस्था में ब्लैक फंगस से प्रभावित व्यक्तियों के उपचार के सभी प्रबंध किये जाएं. संक्रमण से प्रभावित सभी मरीजों को दवा तत्काल उपलब्ध कराई जाए. सभी जिलों में ब्लैक फंगस की दवाओं की पर्याप्त उपलब्धता रहे. निजी अस्पतालों में भर्ती ब्लैक फंगस के मरीजों को भी दवा उपलब्ध कराई जाए. यह सुनिश्चित किया जाए कि इस व्यवस्था का दुरुपयोग न हो.
कोविड बेड की संख्या में बढ़ाने के निर्देश
मुख्यमंत्री ने कोविड बेड की संख्या में बढ़ाने के निर्देश दिए. सीएम ने कहा कि आवश्यक मानव संसाधन की संख्या में भी लगातार बढ़ोत्तरी की जाए. इसके लिए भर्ती की कार्यवाही तेजी से सम्पन्न की जाए. उपलब्ध समस्त वेंटीलेटर कार्यशील अवस्था में रहे. खराब वेंटिलेटर की तुरन्त मरम्मत कराई जाए. विगत कुछ दिनों में चिकित्सा शिक्षा विभाग में दो हजार 400 मानव संसाधन की वृद्धि की गई है.
मेडिकल कॉलेजों में 100 बेड का पीडियाट्रिक आईसीयू बनाया जाए
मुख्यमंत्री ने सभी राजकीय मेडिकल कॉलेजों में 100 बेड का पीडियाट्रिक आईसीयू (पीकू) स्थापित किये जाने के निर्देश देते हुए कहा कि इनमें 50 बेड आईसीयू और 50 बेड ऑक्सीजन से युक्त होने चाहिए. मेडिकल कॉलेजों में पीकू वाॅर्ड, गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में स्थापित पीकू वाॅर्ड के मॉडल पर विकसित किया जाएय इंसेफेलाइटिस के विरुद्ध प्रभावी संघर्ष के लिए बस्ती व गोरखपुर मंडलों के प्रत्येक जिले में 15-15 बेड के पीकू विकसित किए गए थे. इन्हें पूरी तरह से कार्यशील रखा जाए. बस्ती और गोरखपुर की दो-दो सीएचसी पर पीकू स्थापित किए गए थे, उन्हें भी कार्यशील रखा जाए.
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कार्यालयों में तैनात डॉक्टरों को फील्ड में लगाया जाए
मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग तथा चिकित्सा शिक्षा विभाग के तैयार भवनों का फिनिशिंग कार्य पूरा कर, उन्हें फंक्शनल किया जाए. इसके अलावा कार्यालय में कार्यरत चिकित्सकों को फील्ड में तैनात किया जाए. अन्य विभागों में प्रतिनियुक्ति पर गए चिकित्सकों को वापस बुला कर क्षेत्र में तैनात किया जाए. मुख्यालय से सम्बद्ध चिकित्सकों को भी फील्ड में भेजा जाए. उन्होंने कहा कि विदेशी चिकित्सा शिक्षा संस्थानों से मेडिकल की डिग्री प्राप्त करने वाले युवाओं के सम्बन्ध में नेशनल मेडिकल कमीशन से मार्गदर्शन प्राप्त कर एमबीबीएस के अन्तिम वर्ष के छात्रों की भांति चिकित्सा कार्य में लगाने पर विचार किया जाए. सेना तथा अन्य सेवाओं के सेवानिवृत्त वरिष्ठ चिकित्सकों की सेवाओं को टेलीकन्सल्टेशन के लिये इस्तेमाल किया जाए.
वैक्सीन की बर्बादी न हो
मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि राज्य में ऑक्सीजन संयंत्रों की स्थापना की कार्यवाही को त्वरित गति से आगे बढ़ाया जाए. एसडीआरएफ के माध्यम से स्थापित होने वाले ऑक्सीजन संयंत्रों हेतु केन्द्रीकृत ढंग से टेण्डर की प्रक्रिया की जाए. मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना वैक्सीन की कार्यवाही व्यवस्थित, निर्बाध और प्रभावी ढंग से संचालित की जाए. जीरो वेस्टेज को ध्यान में रखकर कोविड वैक्सीनेशन किया जाए. उन्होंने कहा कि 45 वर्ष से अधिक आयु वर्ग में वैक्सीनेशन के लिए लोगों को प्रेरित किया जाए. ग्रामीण क्षेत्र में वैक्सीनेशन कार्य को त्वरित और प्रभावी ढंग से संचालित करने के लिए कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी) का व्यापक उपयोग किया जाए.
आनाथ बच्चों के देखभाल के लिए कार्य योजना तैयार करें
मुख्यमंत्री ने कहा कि कोविड-19 के कारण जिन बच्चों के माता-पिता का देहान्त हो गया, ऐसे अनाथ एवं निराश्रित बच्चों के भरण-पोषण और समुचित देखभाल के लिए महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा विस्तृत कार्य योजना तैयार की जाए. किसी भी शिक्षण संस्थान द्वारा यदि विद्यार्थियों से शुल्क लिया गया है तो शिक्षकों के वेतन से कटौती न की जाए. वेतन का भुगतान समय पर किया जाए. शिक्षा से सम्बन्धित सभी विभाग अपने-अपने शिक्षण संस्थानों में इस व्यवस्था का अनुपालन कराएं.