लखनऊः मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पुलिस एवं पीएसी कर्मियों के शौर्य और सेवाभाव की सराहना करते हुए निर्देश दिए हैं कि संबंधित कार्मिक जो पीएसी से निर्धारित व्यवस्था के अनुरूप शासकीय हित में 29 नवम्बर 2004 तक नियमित रूप से प्रत्येक वर्ष नागरिक सेवा में भेजे गए थे. उस दिन से ही वे नागरिक सेवा में रिक्त पदों के सापेक्ष संबंधित कार्मिक में विलीन माने जाएंगे.
सीएम कार्यालय ने किया ट्वीट
मुख्यमंत्री ने पुलिस मुख्यालय, उत्तर प्रदेश को 9 सितंबर को जारी नागरिक पुलिस कार्मिकों के पदावनत आदेश को वापस लिया जाने के निर्देश दिए. यही नहीं पीएसी के जो कार्मिक 29 नवम्बर 2004 के बाद सशस्त्र पुलिस/नागरिक पुलिस में चले गए थे, यदि वह निर्धारित मानक पूरे करते हों तो उन्हें भी नागरिक पुलिस में संविलीन किया जाए. मुख्यमंत्री कार्यालय ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी है.
नागरिक पुलिस में नहीं जाएंगे पीएसी के जवान
इसके साथ ही, अब यह भी स्पष्ट किया गया है कि भविष्य में पीएसी के किसी कार्मिक को नागरिक पुलिस में नहीं भेजा जाएगा. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गृह विभाग को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि पीएसी मुख्यालय द्वारा पीएसी एवं नागरिक पुलिस में प्रोन्नति के अवसर समानान्तर करने के लिए भी अलग से प्रस्ताव तैयार किया जाए. अपर मुख्य सचिव, गृह अवनीश कुमार अवस्थी ने बताया कि मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार उक्त के सम्बंध में आदेश जारी कर दिया गया है.
क्या है पदावनत मामला
दरअसल पीएसी में भर्ती हुए 896 जवानों को 29 नवंबर 2004 को नागरिक पुलिस में भेज दिया गया था. वहीं नागरिक पुलिस के हिसाब से इनका प्रमोशन भी हुआ था. पिछले दिनों पुलिस हेडक्वार्टर से आए आदेश के बाद दोबारा इन्हें पीएसी में भेजना था. इसके अनुसार सभी नागरिक पुलिसकर्मी की पदावनति हो रही थी. अब इस आदेश को सीएम ने निरस्त करने को कहा है. अब ये पुलिसकर्मी नागरिक पुलिस में विलीन माने जाएंगे.