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जनजातीय समाज के युवाओं को रोजगार से जोड़ने का चलेगा अभियान: सीएम योगी

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Published : Dec 30, 2020, 5:20 PM IST

उत्तर प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ ने जनजातीय समाज के कल्याण के लिए किए जा रहे कार्यों की समीक्षा की. इस दौरान उन्होंने कहा कि जनजातीय समाज के युवाओं को रोजगार से जोड़ने के लिए अभियान चलाया जाएगा.

सीएम योगी ने की समीक्षा.
सीएम योगी ने की समीक्षा.

लखनऊ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश के जनजातीय समाज के युवाओं को रोजगार से जोड़ने के लिए अभियान शुरू करने के निर्देश दिए हैं. मुख्यमंत्री ने बुधवार को लोकभवन में जनजातीय समाज के कल्याण के लिए किए जा रहे कार्यों की समीक्षा की. इस दौरान उन्होंने कहा कि सरकारी नौकरियों में जनजाति समुदाय के लिए निर्धारित कोटे का समुचित लाभ उन्हें दिलाया जाए. इसके लिए उन्हें प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कराई जाए. मुख्यमंत्री ने जनजातीय परंपरा, संस्कृति और शिल्प के संरक्षण के लिए नियोजित कार्ययोजना बनाने के निर्देश भी दिए हैं.

यूपी में जनजाति समाज के 11 लाख लोग
जनजाति विकास विभाग के प्रस्तुतीकरण को देखते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश जनजाति की संपदा से समृद्ध है. यहां अनुसूचित जनजातियों की कुल आबादी करीब 11 लाख 34 हजार है, जो अरुणाचल प्रदेश, गोवा, हिमाचल प्रदेश, सिक्किम, केरल, तमिलनाडु, उत्तराखंड और अंडमान निकोबार की जनजातीय आबादी से अधिक है. अकेले सोनभद्र जिले में अनुसूचित जनजाति समाज के करीब चार लाख लोग हैं. इस तबके के लोगों को आवास, शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल सहित शासन की सभी लोक कल्याणकारी योजनाओं का लाभ हर हाल में दिलाया जाए.

जनजाति समाज के बच्चों का स्कूल में हो दाखिल
सीएम ने कहा कि बेसिक शिक्षा विभाग और जनजाति विकास विभाग मिलकर इस समाज के बच्चों का दाखिला स्कूल में कराया जाना सुनिश्चित करें. युवाओं को उनकी रुचि और प्रतिभा के अनुरूप कॅरियर के चुनाव में मदद की जाए. रोजगार तथा स्वतः रोजगार के लिए युवाओं को कौशल उन्नयन कार्यक्रमों का लाभ दिलाकर उन्हें स्वावलंबी बनाया जा सकता है. इस दिशा में अब तक के प्रयास अच्छे नतीजों वाले रहे हैं, इसे तेज किये जाने की जरूरत है.

लखनऊ में शीघ्र स्थापित होगा जनजाति संग्रहालय
विभागीय समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि थारू, बुक्सा, जौनसारी, राजी, भोटिया, गोंड, धुरिया, खरवार, सहरिया, बैगा, चेरो, भुइया सहित सभी जनजातियों की समृद्ध सांस्कृतिक परंपरा है. प्रदेश सरकार इसे संरक्षित कर रही है. अन्य लोग भी इस समृद्धि से सुपरिचित हो सकें, इसके लिए शीघ्र ही राजधानी लखनऊ में एक भव्य जनजातीय संग्रहालय बनाया जाएगा. संग्रहालय में प्रदेश के जनजातीय समूहों की कला संस्कृति और जीवन उपयोगी शिल्प चित्रों, रहन-सहन व रीति- रिवाजों का चित्रों, मूर्तियों और स्थापत्य से दर्शाया जाएगा. साथ ही उनकी बनाई कलाकृतियां, उनके खानपान, रहन-सहन और जीवन शैली को प्रदर्शित किया जाएगा. इसके साथ ही सीएम योगी ने जनजाति महोत्सव के आयोजन के भी निर्देश दिए.

जनजातीय शिल्पकला को मिल रहा नवजीवन
इस दौरान समाज कल्याण विभाग के मंत्री रमापति शास्त्री ने कहा कि बीते साढ़े तीन सालों में सरकार से प्रोत्साहन प्राप्त कर जनजातीय समाज के कई बच्चों ने अपनी मेधा और प्रतिभा से अलग पहचान बनाई है. समाज कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव बीएल मीणा ने मुख्यमंत्री को बताया कि थारू शिल्प से संबंधित दुकानों का संचालन महिला स्वयं सहायता समूह द्वारा किया जा रहा है. ट्राइफेड और यूपी इंस्टिट्यूट ऑफ डिजाइन एन्ड रिसर्च सेंटर के माध्यम से लोगों को प्रोडक्ट डिजाइनिंग कार्यशालाएं आयोजित कर हुनरमंद किया जा रहा है. अब तक 2,000 लोगों को इसका लाभ मिला है. उन्होंने थारू जनजाति द्वारा निर्मित जूट की चटाई, टोपी, डलिया, दरी आदि के विक्रय के अच्छे परिणाम के बारे में भी जानकारी दी.

आरती राणा की बनाई दरी देख सीएम ने की सराहना
समीक्षा बैठक में समाज कल्याण मंत्री रमापति शास्त्री ने मुख्यमंत्री को थारू समुदाय की लखीमपुर खीरी की रहने वाली आरती राणा द्वारा बनाई गई कॉटन की दरी भेंट की. साथ ही गोंड समुदाय के लोगों द्वारा तैयार और ऑनलाईन मार्केट में उपलब्ध ऑर्गेनिक मूंगफली, तिल, लाल मिर्च, हल्दी, मक्का का पैकेट उपहार स्वरूप भेंट किया. सीएम ने दरी की कीमत और खासियत भी जानी और आरती के हुनर को सलाम किया तो ऑर्गैनिक उत्पादों की सराहना भी की.

लखनऊ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश के जनजातीय समाज के युवाओं को रोजगार से जोड़ने के लिए अभियान शुरू करने के निर्देश दिए हैं. मुख्यमंत्री ने बुधवार को लोकभवन में जनजातीय समाज के कल्याण के लिए किए जा रहे कार्यों की समीक्षा की. इस दौरान उन्होंने कहा कि सरकारी नौकरियों में जनजाति समुदाय के लिए निर्धारित कोटे का समुचित लाभ उन्हें दिलाया जाए. इसके लिए उन्हें प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कराई जाए. मुख्यमंत्री ने जनजातीय परंपरा, संस्कृति और शिल्प के संरक्षण के लिए नियोजित कार्ययोजना बनाने के निर्देश भी दिए हैं.

यूपी में जनजाति समाज के 11 लाख लोग
जनजाति विकास विभाग के प्रस्तुतीकरण को देखते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश जनजाति की संपदा से समृद्ध है. यहां अनुसूचित जनजातियों की कुल आबादी करीब 11 लाख 34 हजार है, जो अरुणाचल प्रदेश, गोवा, हिमाचल प्रदेश, सिक्किम, केरल, तमिलनाडु, उत्तराखंड और अंडमान निकोबार की जनजातीय आबादी से अधिक है. अकेले सोनभद्र जिले में अनुसूचित जनजाति समाज के करीब चार लाख लोग हैं. इस तबके के लोगों को आवास, शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल सहित शासन की सभी लोक कल्याणकारी योजनाओं का लाभ हर हाल में दिलाया जाए.

जनजाति समाज के बच्चों का स्कूल में हो दाखिल
सीएम ने कहा कि बेसिक शिक्षा विभाग और जनजाति विकास विभाग मिलकर इस समाज के बच्चों का दाखिला स्कूल में कराया जाना सुनिश्चित करें. युवाओं को उनकी रुचि और प्रतिभा के अनुरूप कॅरियर के चुनाव में मदद की जाए. रोजगार तथा स्वतः रोजगार के लिए युवाओं को कौशल उन्नयन कार्यक्रमों का लाभ दिलाकर उन्हें स्वावलंबी बनाया जा सकता है. इस दिशा में अब तक के प्रयास अच्छे नतीजों वाले रहे हैं, इसे तेज किये जाने की जरूरत है.

लखनऊ में शीघ्र स्थापित होगा जनजाति संग्रहालय
विभागीय समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि थारू, बुक्सा, जौनसारी, राजी, भोटिया, गोंड, धुरिया, खरवार, सहरिया, बैगा, चेरो, भुइया सहित सभी जनजातियों की समृद्ध सांस्कृतिक परंपरा है. प्रदेश सरकार इसे संरक्षित कर रही है. अन्य लोग भी इस समृद्धि से सुपरिचित हो सकें, इसके लिए शीघ्र ही राजधानी लखनऊ में एक भव्य जनजातीय संग्रहालय बनाया जाएगा. संग्रहालय में प्रदेश के जनजातीय समूहों की कला संस्कृति और जीवन उपयोगी शिल्प चित्रों, रहन-सहन व रीति- रिवाजों का चित्रों, मूर्तियों और स्थापत्य से दर्शाया जाएगा. साथ ही उनकी बनाई कलाकृतियां, उनके खानपान, रहन-सहन और जीवन शैली को प्रदर्शित किया जाएगा. इसके साथ ही सीएम योगी ने जनजाति महोत्सव के आयोजन के भी निर्देश दिए.

जनजातीय शिल्पकला को मिल रहा नवजीवन
इस दौरान समाज कल्याण विभाग के मंत्री रमापति शास्त्री ने कहा कि बीते साढ़े तीन सालों में सरकार से प्रोत्साहन प्राप्त कर जनजातीय समाज के कई बच्चों ने अपनी मेधा और प्रतिभा से अलग पहचान बनाई है. समाज कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव बीएल मीणा ने मुख्यमंत्री को बताया कि थारू शिल्प से संबंधित दुकानों का संचालन महिला स्वयं सहायता समूह द्वारा किया जा रहा है. ट्राइफेड और यूपी इंस्टिट्यूट ऑफ डिजाइन एन्ड रिसर्च सेंटर के माध्यम से लोगों को प्रोडक्ट डिजाइनिंग कार्यशालाएं आयोजित कर हुनरमंद किया जा रहा है. अब तक 2,000 लोगों को इसका लाभ मिला है. उन्होंने थारू जनजाति द्वारा निर्मित जूट की चटाई, टोपी, डलिया, दरी आदि के विक्रय के अच्छे परिणाम के बारे में भी जानकारी दी.

आरती राणा की बनाई दरी देख सीएम ने की सराहना
समीक्षा बैठक में समाज कल्याण मंत्री रमापति शास्त्री ने मुख्यमंत्री को थारू समुदाय की लखीमपुर खीरी की रहने वाली आरती राणा द्वारा बनाई गई कॉटन की दरी भेंट की. साथ ही गोंड समुदाय के लोगों द्वारा तैयार और ऑनलाईन मार्केट में उपलब्ध ऑर्गेनिक मूंगफली, तिल, लाल मिर्च, हल्दी, मक्का का पैकेट उपहार स्वरूप भेंट किया. सीएम ने दरी की कीमत और खासियत भी जानी और आरती के हुनर को सलाम किया तो ऑर्गैनिक उत्पादों की सराहना भी की.

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