लखनऊ: धोखाधड़ी और कूटरचना के एक मामले में स्पष्ट दस्तावेजीय साक्ष्य होने के बावजूद विवेचक ने अंतिम रिपोर्ट लगाते हुए मामले के अभियुक्त को क्लीन चिट दे दिया. कोर्ट ने मामले को रफा-दफा करने के पुलिस के इस रवैये पर नाखुशी जाहिर की है. साथ ही मामले में अग्रिम विवेचना के आदेश भी दिए हैं. मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट रवि कुमार गुप्ता ने यह आदेश थानाध्यक्ष विभूति खंड को दिया है. दो माह में रिपोर्ट प्रस्तुत करने को भी कहा है.
न्यायालय के समक्ष वादी अभिषेक द्विवेदी की ओर से अधिवक्ता दीपक यादव ने अर्जी प्रस्तुत कर कहा कि विवेचना के दौरान के वादी द्वारा विवेचक को दस्तावेज दिए गए थे, जिन्हें विवेचक ने विवेचना में शामिल किया है. लेकिन अभियुक्त महेंद्र सिंह टुटेजा के विरुद्ध कोई कार्यवाही नहीं की. आरोप लगाया गया है कि अभियुक्त महेंद्र सिंह टुटेजा वादी की कंपनी में कमीशन एजेंट के रूप में कार्य करता था और महेंद्र सिंह ने कंपनी के जिन ग्राहकों का पैसा हड़पा है. उनमें से कुछ ग्राहकों की सूची भी विवेचना अधिकारी को दी गई थी. अदालत ने कहा है कि वादी ने जिन गवाहों की सूची को दिया था. उनका बयान ही विवेचक द्वारा नहीं लिया गया है.
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वहीं, धोखाधड़ी के ही एक अन्य मामले में लाखों रुपए गबन करने के अभियुक्तों गणेश और सुनील सैनी की जमानत अर्जी को प्रभारी अपर सत्र न्यायाधीश हरिवंश नारायण ने खारिज कर दिया है. जमानत अर्जी का विरोध करते हुए सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता दुष्यंत मिश्रा और अरुण पांडेय का तर्क था कि इस मामले की रिपोर्ट वादिनी आशा मिश्रा ने थाना कृष्णा नगर में दर्ज कराई थी. आरोप है कि जून 2021 में वादी के पास निलेश पांडे और विजय भारद्वाज वेंकटेश्वर द्वारा फोन कर खुद आईआरडीए अधिकारी और एसबीआई अधिकारी बताया गया. अभियुक्तों ने बताया कि वादिनी के पति का एलआईसी बीमा क्लेम रुपया 13 लाख मिला हुआ है, जिसके लिए नई पॉलिसी करानी होगी और इसका 90 दिन के अंदर पैसा मिल जाएगा. इस प्रकार आरोपियों ने बीमा पॉलिसी के नाम पर 22 लाख रुपए धोखाधड़ी करके हड़प लिए.
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