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धोखाधड़ी के मामले में चंदा कोचर को राहत

लखनऊ में आईसीआईसीआई बैंक की तत्कालीन प्रबंध निदेशक चंदा कोचर को कोर्ट से राहत मिली है. अपर सत्र न्यायाधीश पवन कुमार राय ने चंदा कोचर और जोनल प्रबंधक निपुल जैन के खिलाफ दाखिल एक पुनरीक्षण प्रार्थना पत्र को खारिज कर दिया है.

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चंदा कोचर को राहत
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Published : Jan 18, 2021, 9:51 PM IST

Updated : Jan 18, 2021, 10:48 PM IST

लखनऊः आईसीआईसीआई बैंक की तत्कालीन प्रबंध निदेशक चंदा कोचर को कोर्ट से राहत मिली है. अपर सत्र न्यायाधीश पवन कुमार राय ने आईसीआईसीआई बैंक की तत्कालीन प्रबंध निदेशक चंदा कोचर और जोनल प्रबंधक निपुल जैन के खिलाफ दाखिल एक पुनरीक्षण प्रार्थना पत्र को खारिज कर दिया है.

चंदा कोचर को राहत
कोर्ट ने निचली अदालत के आदेश को सही करार दिया है. निचली अदालत ने इस मामले के वादी राजेश कुमार निगम की अर्जी 22 जुलाई, 2017 को खारिज कर दिया था. वादी ने निचली अदालत में अर्जी दाखिल कर चंदा कोचर के साथ बैंक के अन्य आला अफसरों के खिलाफ धोखाधड़ी और जानमाल की धमकी का मुकदमा दर्ज करने की मांग की थी. जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया है.

क्या है पूरा मामला
वादी का आरोप था कि साल 2006 में उन्होंने लगभग 9 लाख रुपये का हाउस लोन लिया था. उन्हें इसकी 180 किश्तें देनी थी. लेकिन 3 अक्टूबर 2012 को उनका लोन साल 2003 से लेना दिखाया गया. जिससे किश्त बढ़ाकर 421 कर दी गई. अदालत में चंदा कोचर की ओर से वकील प्रांशु अग्रवाल ने पुनरीक्षण प्रार्थना पत्र पर बहस की. उनका कहना था कि जिस कथित धोखाधड़ी का आरोप लगाकर मुकदमा दर्ज करने की मांग की गई थी. वह लिपिकीय त्रुटि थी. उन्होंने कोर्ट को बताया कि इस मामले में लिखित समझौता भी हो गया था. लिहाजा निचली अदालत का आदेश सही है और पुनरीक्षण प्रार्थना पत्र खारिज करने योग्य है.

लखनऊः आईसीआईसीआई बैंक की तत्कालीन प्रबंध निदेशक चंदा कोचर को कोर्ट से राहत मिली है. अपर सत्र न्यायाधीश पवन कुमार राय ने आईसीआईसीआई बैंक की तत्कालीन प्रबंध निदेशक चंदा कोचर और जोनल प्रबंधक निपुल जैन के खिलाफ दाखिल एक पुनरीक्षण प्रार्थना पत्र को खारिज कर दिया है.

चंदा कोचर को राहत
कोर्ट ने निचली अदालत के आदेश को सही करार दिया है. निचली अदालत ने इस मामले के वादी राजेश कुमार निगम की अर्जी 22 जुलाई, 2017 को खारिज कर दिया था. वादी ने निचली अदालत में अर्जी दाखिल कर चंदा कोचर के साथ बैंक के अन्य आला अफसरों के खिलाफ धोखाधड़ी और जानमाल की धमकी का मुकदमा दर्ज करने की मांग की थी. जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया है.

क्या है पूरा मामला
वादी का आरोप था कि साल 2006 में उन्होंने लगभग 9 लाख रुपये का हाउस लोन लिया था. उन्हें इसकी 180 किश्तें देनी थी. लेकिन 3 अक्टूबर 2012 को उनका लोन साल 2003 से लेना दिखाया गया. जिससे किश्त बढ़ाकर 421 कर दी गई. अदालत में चंदा कोचर की ओर से वकील प्रांशु अग्रवाल ने पुनरीक्षण प्रार्थना पत्र पर बहस की. उनका कहना था कि जिस कथित धोखाधड़ी का आरोप लगाकर मुकदमा दर्ज करने की मांग की गई थी. वह लिपिकीय त्रुटि थी. उन्होंने कोर्ट को बताया कि इस मामले में लिखित समझौता भी हो गया था. लिहाजा निचली अदालत का आदेश सही है और पुनरीक्षण प्रार्थना पत्र खारिज करने योग्य है.

Last Updated : Jan 18, 2021, 10:48 PM IST
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