लखनऊ: समाजवादी पार्टी के संरक्षक पूर्व मुख्यमंत्री व पूर्व केंद्रीय मंत्री मुलायम सिंह यादव को केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने मरणोपरांत पद्म विभूषण से सम्मानित करने का फैसला किया है. केंद्र सरकार ने आज देश की तमाम हस्तियों को पद्म पुरस्कारों सम्मान से सम्मानित किए जाने के लिस्ट जारी की, जिसमें समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव को पद्म विभूषण दिए जाने का ऐलान किया गया. केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले यादव समाज को अपनी और खींचने के उद्देश्य से यह बड़ा मास्टर स्ट्रोक चलने का फैसला किया है. मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद भी बीजेपी ने उन्हें काफी सम्मान दिया, राष्ट्रीय शोक घोषित किये जाने से लेकर तमाम बड़े नेताओं ने उनके निधन पर शोक जताया और अंत्येष्टि में पहुंच कर एक संदेश देने की कोशिश की थी, लेकिन अब उन्हें केंद्र सरकार ने पद्मभूषण से सम्मानित किए जाने का फैसला किया. जो अपने आप मे एक बड़ा सियासी सन्देश माना जा रहा है. मुलायम सिंह यादव का निधन 10 अक्टूबर 2022 को लंबी बीमारी के चलते गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में हो गया था. -
आइए जानते हैं मुलायम सिंह यादव का राजनीतिक सफर कैसा रहा...
मुलायम सिंह यादव का राजनीतिक सफर काफी संघर्ष भरा रहा है. वह मास्टरी छोड़कर राजनीति में आए थे और उत्तर प्रदेश के तीन बार मुख्यमंत्री बनने के साथ ही केंद्रीय राजनीति में भी सक्रिय रहे हैं और केंद्रीय मंत्री भी रहे हैं. आइए जानते हैं मुलायम सिंह यादव के जीवन और उनके राजनीतिक सफर के बारे में. मुलायम सिंह यादव का जन्म 22 नवम्बर 1939 को इटावा जिले के सैफई गाँव में मूर्ति देवी व सुघर सिंह यादव के किसान परिवार में हुआ था. इटावा जिले के सैफई में जन्मे मुलायम सिंह की पढ़ाई-लिखाई इटावा, फतेहाबाद और आगरा में हुई. मुलायम कुछ दिनों तक मैनपुरी के करहल स्थित जैन इंटर कॉलेज में प्राध्यापक भी रहे हैं. मुलायम सिंह अपने पाँच भाई-बहनों में रतनसिंह यादव से छोटे व अभयराम सिंह यादव, शिवपाल सिंह यादव, राजपाल सिंह और कमला देवी से बड़े थे. प्रोफेसर रामगोपाल यादव इनके चचेरे भाई हैं. मुलायम सिंह यादव की दो शादियां हुईं थीं. पहली पत्नी मालती देवी का निधन मई 2003 में हो गया था. पूर्व मुख्यमंत्री व सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव मुलायम की पहली पत्नी मालती देवी के बेटे हैं.
2012 के चुनाव से पहले नेताजी ने अपने बेटे अखिलेश यादव को उत्तर प्रदेश सपा की कमान सौंपी. 2012 के विधानसभा चुनाव में सपा के पक्ष में अप्रत्याशित नतीजे आए. नेताजी ने बेटे अखिलेश को सूबे के सीएम की कुर्सी सौंप दी थी. मुलायम की दूसरी पत्नी साधना गुप्ता थीं. जिनका कुछ समय पहले निधन हो गया है. दूसरी पत्नी के बारे में जानकारी और विवाद तब सामने आया जब फरवरी 2007 में सुप्रीम कोर्ट में मुलायम सिंह यादव ने साधना गुप्ता से अपने रिश्ते स्वीकार किए तो लोगों को नेताजी की दूसरी पत्नी के बारे में जानकारी हुई थी. साधना गुप्ता से मुलायम के बेटे प्रतीक यादव हैं और उनकी पत्नी अपर्णा यादव 2022 के विधानसभा से पहले सपा छोड़कर भाजपा में शामिल हुईं थीं. मुलायम सिंह यादव को उनके पिता सुघर सिंह उन्हें पहलवान बनाना चाहते थे लेकिन उनका मन इसमें नहीं लगता था. पहलवानी में अपने राजनीतिक गुरु चौधरी नत्थू सिंह को मैनपुरी में आयोजित एक कुश्ती-प्रतियोगिता में प्रभावित करने के पश्चात उन्होंने नत्थू सिंह की परम्परागत विधान सभा सीट जसवन्त नगर से अपना राजनीतिक सफर शुरू किया था.
वह पहली बार 1967 में विधानसभा सदस्य निर्वाचित हुए थे और फिर यहीं से उनका राजनीतिक सफर शुरू हुआ.मुलायम सिंह यादव एक साधारण किसान परिवार में जन्म लेने वाले मुलायम सिंह ने अपना राजनीतिक जीवन उत्तर प्रदेश में विधायक के रूप में 1967 में शुरू किया था. बहुत कम समय में ही मुलायम सिंह का प्रभाव पूरे उत्तर प्रदेश में नज़र आने लगा था. मुलायम सिंह ने उत्तर प्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग समाज के सामाजिक स्तर को ऊपर करने में महत्वपूर्ण कार्य किया. कहा जाता है कि समाजवादी मुलायम सिंह यादव समाजवादी विचारधारा से जुड़े रामसेवक यादव के प्रमुख शिष्य थे तथा इन्हीं के आशीर्वाद से मुलायम सिंह 1967 में पहली बार विधान सभा के सदस्य चुने गये थे और यहीं से शुरू हुआ उनका राजनीतिक सफर मुख्यमंत्री की कुर्सी तक उन्हें ले गया. 1992 में उन्होंने समाजवादी पार्टी बनाई. वह तीन बार 5 दिसम्बर 1989 से 24 जनवरी 1991 तक, 5 दिसम्बर 1993 से 3 जून 1996 तक और 29 अगस्त 2003 से 11 मई 2007 तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हैं. इसके अलावा केन्द्र सरकार में रक्षा मंत्री भी रह चुके हैं. उत्तर प्रदेश में यादव समाज के सबसे बड़े नेता के रूप में मुलायम सिंह की पहचान रही है. 2019 के लोकसभा चुनाव में वह मैनपुरी सीट से सांसद बने थे.
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