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उप्र माध्यमिक शिक्षा परिषद का भव्य मनेगा स्थापना दिवस: डाॅ. दिनेश शर्मा - डाॅ. दिनेश शर्मा

उत्तर प्रदेश उप्र माध्यमिक शिक्षा परिषद की स्थापना के 100 वर्ष पूर्ण होने पर शताब्दी समारोह का आयोजन किया जाएगा. इसकी जानकारी डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा ने दी है. उन्होंने बताया कि इस अवसर पर स्मारिका का प्रकाशन किया जाएगा तथा डाक टिकट एवं विशेष सिक्का जारी किए जाने हेतु भारत सरकार से अनुरोध किया जाएगा.

बैठक करते डिप्टी सीएम.
बैठक करते डिप्टी सीएम.
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Published : Dec 19, 2020, 5:47 AM IST

लखनऊ: उप्र माध्यमिक शिक्षा परिषद की स्थापना के 100 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर शताब्दी समारोह मनाए जाने को लेकर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री डाॅ. दिनेश शर्मा ने कहा कि शताब्दी समारोह कार्यक्रम का शुभारम्भ जनपद प्रयागराज में तथा समापन कार्यक्रम लखनऊ में आयोजित किया जाएगा. शताब्दी समारोह में भारत के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, रक्षा मंत्री, शिक्षा मंत्री एवं उप्र माध्यमिक शिक्षा परिषद से उत्तीर्ण भारत सरकार के अन्य माननीयों के अतिरिक्त अन्य राज्यों के राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री को भी आमंत्रित किया जाएगा.

शुक्रवार को 100 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर शताब्दी समारोह मनाए जाने की कार्य योजना का प्रस्तुतिकरण के बाद उप मुख्यमंत्री ने कहा कि समारोह में पुरा छात्र समागम कार्यक्रम, वाद-विवाद प्रतियोगिता, ड्राइंग प्रतियोगिता एवं खेल-कूद तथा निबंध सहित विभिन्न प्रतियोगिताएं आयोजित की जाएंगी. शताब्दी समारोह के अवसर पर सभी विद्यालयों के रंगाई, पुताई एवं सौन्दर्यीकरण करते हुए मुख्य द्वार पर परिषद के शताब्दी वर्ष का लोगों लगाया जाएगा. इस अवसर पर स्मारिका का प्रकाशन किया जाएगा तथा डाक टिकट एवं विशेष सिक्का जारी किए जाने हेतु भारत सरकार से अनुरोध किया जाएगा.

उन्होंने बताया कि शताब्दी समारोह के लिए लोगों एवं शताब्दी गीत के चयन हेतु माह जनवरी, 2021 में प्रतियोगिता आयोजित की जाएगी. चयनित उत्कृष्ट लोगों एवं गीत के लिए विजेताओं को पुरस्कृत किया जाएगा, इसमें प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान पर आने वालो को क्रमशः 21 हजार, 11 हजार एवं 05 हजार का पुरस्कार दिया जाएगा. राज्यमंत्री गुलाब देवी ने बताया कि माध्यमिक शिक्षा परिषद के 100 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में भव्य शताब्दी समारोह आयोजित किया जाएगा, जिसके अंतर्गत विद्यालय, जिला, मंडल एवं राज्य स्तर पर विभिन्न कार्यक्रम अयोजित किए जाएगें. कार्यक्रमों के आयोजन हेतु विभिन्न प्रकार की समितियां भी गठित की जा रही है.

अपर मुख्य सचिव आराधना शुक्ला ने बताया कि शताब्दी समारोह में उप्र माध्यमिक शिक्षा परिषद से उत्तीर्ण हुए एवं वर्तमान में भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में कार्यरत विभूतियों को भी आमंत्रित किया जाएगा. इसके लिए माध्यमिक शिक्षा परिषद के अधिकृत वेबसाइट पर मिशन गौरव-शताब्दी वर्ष पोर्टल की व्यवस्था की गई है. इसके माध्यम से उप्र माध्यमिक शिक्षा परिषद से उत्तीर्ण हुए छात्र-छात्राओ से नाम, क्षेत्र, मोबाइल नम्बर इत्यादि की जानकारी एकत्रित की जा रही है. इस महत्वपूर्ण शताब्दी समारोह के अवसर पर माध्यमिक शिक्षा परिषद से निकली हुयी उन अनेकानेक महान विभूतियों को मिशन गौरव के अंतर्गत सम्मानित किया जाएगा, जिन्होने प्रदेश, राष्ट्र एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तरों पर विभिन्न क्षेत्रों में प्रदेश एवं देश का गौरव बढ़ाया है.

वर्ष 1923 से पूर्व इलाहाबाद विश्वविद्यालय कराता था परीक्षाएं
डॉ. दिनेश शर्मा ने बताया कि वर्ष 1923 के पूर्व प्रदेश में हाई स्कूल और इन्टरमीडिएट की परीक्षाएं इलाहाबाद विश्वविद्यालय द्वारा संचालित की जाती थी. वर्ष 1921में इलाहाबाद विश्वविद्यालय का स्थान लेने के लिये एक परिषद की स्थापना हेतु इन्टरमीडिएट शिक्षा अधिनियम-1921 बनाया गया, जो 1 अप्रैल 1922 का प्रवृत्त हुआ. विधान परिषद से पारित होने के बाद अधिनियम पर प्रदेश के तत्कालीन गवर्नर द्वारा 30 सितम्बर 1921 को स्वीकृति प्रदान की गई. 10 दिसम्बर 1921 को अनुमति गवर्नर जनरल ऑफ इण्डिया द्वारा दी गई. 7 जनवरी 1922 को भारत सरकार द्वारा अधिनियम का प्रकाशन किया गया. अन्ततः 1 अप्रैल 1922 को इन्टरमीडिएट शिक्षा अधिनियम प्रवृत्त हुआ.

लखनऊ: उप्र माध्यमिक शिक्षा परिषद की स्थापना के 100 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर शताब्दी समारोह मनाए जाने को लेकर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री डाॅ. दिनेश शर्मा ने कहा कि शताब्दी समारोह कार्यक्रम का शुभारम्भ जनपद प्रयागराज में तथा समापन कार्यक्रम लखनऊ में आयोजित किया जाएगा. शताब्दी समारोह में भारत के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, रक्षा मंत्री, शिक्षा मंत्री एवं उप्र माध्यमिक शिक्षा परिषद से उत्तीर्ण भारत सरकार के अन्य माननीयों के अतिरिक्त अन्य राज्यों के राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री को भी आमंत्रित किया जाएगा.

शुक्रवार को 100 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर शताब्दी समारोह मनाए जाने की कार्य योजना का प्रस्तुतिकरण के बाद उप मुख्यमंत्री ने कहा कि समारोह में पुरा छात्र समागम कार्यक्रम, वाद-विवाद प्रतियोगिता, ड्राइंग प्रतियोगिता एवं खेल-कूद तथा निबंध सहित विभिन्न प्रतियोगिताएं आयोजित की जाएंगी. शताब्दी समारोह के अवसर पर सभी विद्यालयों के रंगाई, पुताई एवं सौन्दर्यीकरण करते हुए मुख्य द्वार पर परिषद के शताब्दी वर्ष का लोगों लगाया जाएगा. इस अवसर पर स्मारिका का प्रकाशन किया जाएगा तथा डाक टिकट एवं विशेष सिक्का जारी किए जाने हेतु भारत सरकार से अनुरोध किया जाएगा.

उन्होंने बताया कि शताब्दी समारोह के लिए लोगों एवं शताब्दी गीत के चयन हेतु माह जनवरी, 2021 में प्रतियोगिता आयोजित की जाएगी. चयनित उत्कृष्ट लोगों एवं गीत के लिए विजेताओं को पुरस्कृत किया जाएगा, इसमें प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान पर आने वालो को क्रमशः 21 हजार, 11 हजार एवं 05 हजार का पुरस्कार दिया जाएगा. राज्यमंत्री गुलाब देवी ने बताया कि माध्यमिक शिक्षा परिषद के 100 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में भव्य शताब्दी समारोह आयोजित किया जाएगा, जिसके अंतर्गत विद्यालय, जिला, मंडल एवं राज्य स्तर पर विभिन्न कार्यक्रम अयोजित किए जाएगें. कार्यक्रमों के आयोजन हेतु विभिन्न प्रकार की समितियां भी गठित की जा रही है.

अपर मुख्य सचिव आराधना शुक्ला ने बताया कि शताब्दी समारोह में उप्र माध्यमिक शिक्षा परिषद से उत्तीर्ण हुए एवं वर्तमान में भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में कार्यरत विभूतियों को भी आमंत्रित किया जाएगा. इसके लिए माध्यमिक शिक्षा परिषद के अधिकृत वेबसाइट पर मिशन गौरव-शताब्दी वर्ष पोर्टल की व्यवस्था की गई है. इसके माध्यम से उप्र माध्यमिक शिक्षा परिषद से उत्तीर्ण हुए छात्र-छात्राओ से नाम, क्षेत्र, मोबाइल नम्बर इत्यादि की जानकारी एकत्रित की जा रही है. इस महत्वपूर्ण शताब्दी समारोह के अवसर पर माध्यमिक शिक्षा परिषद से निकली हुयी उन अनेकानेक महान विभूतियों को मिशन गौरव के अंतर्गत सम्मानित किया जाएगा, जिन्होने प्रदेश, राष्ट्र एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तरों पर विभिन्न क्षेत्रों में प्रदेश एवं देश का गौरव बढ़ाया है.

वर्ष 1923 से पूर्व इलाहाबाद विश्वविद्यालय कराता था परीक्षाएं
डॉ. दिनेश शर्मा ने बताया कि वर्ष 1923 के पूर्व प्रदेश में हाई स्कूल और इन्टरमीडिएट की परीक्षाएं इलाहाबाद विश्वविद्यालय द्वारा संचालित की जाती थी. वर्ष 1921में इलाहाबाद विश्वविद्यालय का स्थान लेने के लिये एक परिषद की स्थापना हेतु इन्टरमीडिएट शिक्षा अधिनियम-1921 बनाया गया, जो 1 अप्रैल 1922 का प्रवृत्त हुआ. विधान परिषद से पारित होने के बाद अधिनियम पर प्रदेश के तत्कालीन गवर्नर द्वारा 30 सितम्बर 1921 को स्वीकृति प्रदान की गई. 10 दिसम्बर 1921 को अनुमति गवर्नर जनरल ऑफ इण्डिया द्वारा दी गई. 7 जनवरी 1922 को भारत सरकार द्वारा अधिनियम का प्रकाशन किया गया. अन्ततः 1 अप्रैल 1922 को इन्टरमीडिएट शिक्षा अधिनियम प्रवृत्त हुआ.

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