लखनऊ : कानपुर यूनिवर्सिटी के वीसी विनय पाठक के खिलाफ सीबीआई ने अपनी जांच तेज कर दी है. पाठक के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाने वाले डेविड एम. डेनिस का सीबीआई बयान लेने के लिए संपर्क कर रही है, हालांकि डेविड से संपर्क नहीं हो पा रहा है.
यूपी एसटीएफ की जांच से संतुष्ट व सीबीआई जांच के खिलाफ डेविड एम. डेनिस सीबीआई के संपर्क में आने से कतरा रहा है. यही वजह है कि उसने अपने मोबाइल ऑफ कर दिए हैं. माना जा रहा है कि डेविड एक बार फिर पाठक के मामले में सीबीआई जांच कराने के खिलाफ कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की तैयारी में है. विनय पाठक के खिलाफ इंदिरा नगर थाने में केस दर्ज करवाने वाले डेविड एम. डेनिस ने सीबीआई जांच के खिलाफ कोर्ट में पहले भी याचिका दायर की थी, लेकिन कोर्ट ने उसे खारिज कर दिया था.
दरअसल, लखनऊ के इंदिरानगर थाने में 26 अक्टूबर को डिजिटेक्स टेक्नोलॉजीज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के एमडी डेविड एम. डेनिस ने FIR दर्ज कराते हुए आरोप लगाया था कि उनकी कंपनी वर्ष 2014 से एग्रीमेंट के तहत आगरा विश्वविद्यालय में प्री और पोस्ट एग्जाम का काम करती रही है. विश्वविद्यालय के एग्जाम पेपर छापना, कॉपी को एग्जाम सेंटर से यूनिवर्सिटी तक पहुंचाने का पूरा काम इसी कंपनी के द्वारा किया जाता रहा है. वर्ष 2019 में एग्रीमेंट खत्म हुआ तो डिजिटेक्स टेक्नोलॉजीज ने यूपीएलसी के जरिए आगरा विश्वविद्यालय का काम किया. इस बीच वर्ष 2020 से 2022 तक कंपनी के द्वारा किए गए काम का करोड़ों रुपये बिल बकाया हो गया था. इसी दौरान जनवरी 2022 में आंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा के कुलपति का चार्ज प्रो. विनय पाठक को मिला तो उन्होंने बिल पास करने के एवज में कमीशन की मांग की. इस मामले में एसटीएफ ने अभी तक तीन आरोपियों अजय मिश्रा, अजय जैन और संतोष सिंह को गिरफ्तार किया है. इसके बाद योगी सरकार ने इस मामले की जांच सीबीआई से करवाने की सिफारिश की और 6 जनवरी को एजेंसी ने दिल्ली में विनय पाठक के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू की.
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