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राष्ट्रपति दौरे के बाद हो सकता है योगी मंत्रिमंडल का विस्तार, नए चेहरे होंगे शामिल

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद यूपी के 4 दिवसीय दौरे पर हैं. आज उनके यूपी दौरे का दूसरा दिन है. भाजपा सूत्रों का दावा है कि राष्ट्रपति का दौरा समाप्त होने के बाद कभी भी योगी सरकार का मंत्रिमंडल विस्तार हो सकता है. इसमें नए चेहरे भी शामिल हो सकते हैं.

योगी मंत्रिमंडल का विस्तार
योगी मंत्रिमंडल का विस्तार
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Published : Aug 27, 2021, 2:29 PM IST

Updated : Aug 27, 2021, 6:48 PM IST

लखनऊ : राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद 29 अगस्त तक प्रदेश के दौरे पर हैं. भाजपा से जुड़े सूत्रों का दावा है कि राष्ट्रपति का दौरा समाप्त होने के बाद कभी भी योगी आदित्यनाथ सरकार का मंत्रिमंडल विस्तार हो सकता है. इस मंत्रिमंडल विस्तार में आधा दर्जन नए चेहरों को मंत्री पद की शपथ दिलाने की तैयारी है. वहीं कुछ राज्य मंत्रियों का प्रमोशन करते हुए उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाए जाने की चर्चा है. बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक चुनाव से पहले होने जा रहे मंत्रिमंडल विस्तार में किसी भी मंत्री को हटाया नहीं जाएगा. पार्टी नेतृत्व चुनाव से पहले किसी को भी हटाकर किसी भी प्रकार की नाराजगी से बचना चाहता है.


विधान परिषद की रिक्त चार सीटों के लिए नामों को लेकर भी पार्टी नेतृत्व मंथन कर चुका है. केंद्रीय नेतृत्व से हरी झंडी मिलते ही राज्यपाल आनंदीबेन पटेल को सभी चार नाम भेज दिए जाएंगे और फिर राज्यपाल के स्तर से इनके मनोनयन किए जाएंगे. मनोनयन के ठीक बाद मंत्रिमंडल विस्तार कभी भी हो सकता है. विधान परिषद की रिक्त चार सीटों पर मनोनयन और मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह की केंद्रीय नेतृत्व से पिछले दिनों बातचीत भी हो चुकी है, लेकिन बीच में पार्टी के वरिष्ठ नेता कल्याण सिंह के निधन के चलते इसमें थोड़ी सी देरी हो गई. अब राष्ट्रपति का दौरा समाप्त होने के बाद ही इस काम को कभी भी किया जा सकता है


विधानसभा चुनाव 2022 को देखते हुए मंत्रिमंडल विस्तार में मुख्य रूप से जातीय समीकरणों को देखते हुए नेताओं की ताजपोशी होनी है. बीजेपी विधानसभा चुनाव 2022 में जातियों के समीकरणों को देखते हुए यह विस्तार चुनाव से ठीक पहले कर रही है. जातीय समीकरण के साथ-साथ क्षेत्रीय समीकरण दुरुस्त करने की कोशिश होगी. सूत्रों का कहना है कि इस मंत्रिमंडल विस्तार में सिर्फ नए मंत्रियों को जिम्मेदारी दी जाएगी, तो किसी भी पुराने मंत्री को हटाने की बात नहीं है. सूत्रों के अनुसार चुनाव से ठीक पहले होने वाले इस मंत्रिमंडल विस्तार में 6 से 7 नए चेहरों को शामिल करने की बात कही जा रही है. इनमें ब्राह्मण, पिछड़ा, दलित व एक महिला को शामिल किए जाने की चर्चा है. जिससे जातीय समीकरण के साथ साथ आधी आबादी का भी प्रतिनिधित्व बेहतर किया जा सके.

भाजपा प्रदेश प्रवक्ता ने दी जानकारी
सूत्रों का कहना है कि चुनाव से पहले ओबीसी वोटरों को लुभाने के लिए दिवंगत पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के पोते संदीप सिंह को भी राज्यमंत्री से कैबिनेट मंत्री बनाए जाने की तैयारी है. इसके अलावा कई अन्य राज्य मंत्रियों को भी कैबिनेट की शपथ दिलाने को लेकर मंथन हो रहा है. कांग्रेस से बीजेपी में शामिल होने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद को भी मंत्रिमंडल में शपथ दिलाने की तैयारी है. इसके अलावा पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉक्टर लक्ष्मीकांत वाजपेई का नाम भी पार्टी के अंदर तेजी से चर्चा में है. देखना दिलचस्प होगा कि इन दोनों ब्राम्हण चेहरों में से पार्टी नेतृत्व किस नाम पर अंतिम मुहर लगाता है.

बीजेपी के सहयोगी दल निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद को भी मंत्रिमंडल में स्थान दिए जाने को लेकर बातचीत हुई है. संजय निषाद को मंत्री पद की शपथ दिलाने को लेकर दोनों दलों के बीच बातचीत लगभग फाइनल हो चुकी है. इसके अलावा दलित बिरादरी से जिन दो प्रमुख नामों की चर्चा है. उनमें पार्टी के वरिष्ठ नेता पूर्व सांसद व एमएलसी विद्यासागर सोनकर (दलित) को मंत्रिमंडल में स्थान देकर सोनकर बिरादरी को चुनाव से पहले संदेश देने की कोशिश है कि उनकी बिरादरी के बीच से भी सरकार में किसी व्यक्ति को प्रतिनिधित्व दिया गया है. विधायक कृष्णा पासवान (दलित) का भी नाम चर्चा में है. सूत्र बताते हैं कि विधायक पलटू राम (दलित/पासी), तेजपाल नागर (ओबीसी/गुर्जर) व छत्रपाल गंगवार (कुर्मी/ओबीसी ) का नाम भी चर्चा में है. इन सभी नेताओं को जातीय समीकरण के साथ-साथ क्षेत्रीय समीकरण साधने को लेकर बीजेपी नेतृत्व मंथन कर रहा है.


योगी सरकार में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित कुल 53 मंत्री हैं. इनमें 23 कैबिनेट मंत्री नौ राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) व 21 राज्यमंत्री हैं. इस प्रकार सात नए मंत्री बनाकर जातीय समीकरण के साथ क्षेत्रीय समीकरण दुरुस्त करने की कोशिश करेगी.


भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी कहते हैं कि मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर मीडिया में यह चर्चा लगातार होती रही है. मंत्रिमंडल का विस्तार कब, किस रूप में होगा, किन लोगों को शामिल किया जाएगा या विभागों में किसे क्या मिलेगा, यह मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार है. मुख्यमंत्री जब भी उचित समझेंगे निर्णय लेंगे. पार्टी के साथ परामर्श करके मंत्रिमंडल विस्तार करना है या नहीं करना है, इसका निर्णय भी मुख्यमंत्री को ही करना है.

लखनऊ : राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद 29 अगस्त तक प्रदेश के दौरे पर हैं. भाजपा से जुड़े सूत्रों का दावा है कि राष्ट्रपति का दौरा समाप्त होने के बाद कभी भी योगी आदित्यनाथ सरकार का मंत्रिमंडल विस्तार हो सकता है. इस मंत्रिमंडल विस्तार में आधा दर्जन नए चेहरों को मंत्री पद की शपथ दिलाने की तैयारी है. वहीं कुछ राज्य मंत्रियों का प्रमोशन करते हुए उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाए जाने की चर्चा है. बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक चुनाव से पहले होने जा रहे मंत्रिमंडल विस्तार में किसी भी मंत्री को हटाया नहीं जाएगा. पार्टी नेतृत्व चुनाव से पहले किसी को भी हटाकर किसी भी प्रकार की नाराजगी से बचना चाहता है.


विधान परिषद की रिक्त चार सीटों के लिए नामों को लेकर भी पार्टी नेतृत्व मंथन कर चुका है. केंद्रीय नेतृत्व से हरी झंडी मिलते ही राज्यपाल आनंदीबेन पटेल को सभी चार नाम भेज दिए जाएंगे और फिर राज्यपाल के स्तर से इनके मनोनयन किए जाएंगे. मनोनयन के ठीक बाद मंत्रिमंडल विस्तार कभी भी हो सकता है. विधान परिषद की रिक्त चार सीटों पर मनोनयन और मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह की केंद्रीय नेतृत्व से पिछले दिनों बातचीत भी हो चुकी है, लेकिन बीच में पार्टी के वरिष्ठ नेता कल्याण सिंह के निधन के चलते इसमें थोड़ी सी देरी हो गई. अब राष्ट्रपति का दौरा समाप्त होने के बाद ही इस काम को कभी भी किया जा सकता है


विधानसभा चुनाव 2022 को देखते हुए मंत्रिमंडल विस्तार में मुख्य रूप से जातीय समीकरणों को देखते हुए नेताओं की ताजपोशी होनी है. बीजेपी विधानसभा चुनाव 2022 में जातियों के समीकरणों को देखते हुए यह विस्तार चुनाव से ठीक पहले कर रही है. जातीय समीकरण के साथ-साथ क्षेत्रीय समीकरण दुरुस्त करने की कोशिश होगी. सूत्रों का कहना है कि इस मंत्रिमंडल विस्तार में सिर्फ नए मंत्रियों को जिम्मेदारी दी जाएगी, तो किसी भी पुराने मंत्री को हटाने की बात नहीं है. सूत्रों के अनुसार चुनाव से ठीक पहले होने वाले इस मंत्रिमंडल विस्तार में 6 से 7 नए चेहरों को शामिल करने की बात कही जा रही है. इनमें ब्राह्मण, पिछड़ा, दलित व एक महिला को शामिल किए जाने की चर्चा है. जिससे जातीय समीकरण के साथ साथ आधी आबादी का भी प्रतिनिधित्व बेहतर किया जा सके.

भाजपा प्रदेश प्रवक्ता ने दी जानकारी
सूत्रों का कहना है कि चुनाव से पहले ओबीसी वोटरों को लुभाने के लिए दिवंगत पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के पोते संदीप सिंह को भी राज्यमंत्री से कैबिनेट मंत्री बनाए जाने की तैयारी है. इसके अलावा कई अन्य राज्य मंत्रियों को भी कैबिनेट की शपथ दिलाने को लेकर मंथन हो रहा है. कांग्रेस से बीजेपी में शामिल होने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद को भी मंत्रिमंडल में शपथ दिलाने की तैयारी है. इसके अलावा पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉक्टर लक्ष्मीकांत वाजपेई का नाम भी पार्टी के अंदर तेजी से चर्चा में है. देखना दिलचस्प होगा कि इन दोनों ब्राम्हण चेहरों में से पार्टी नेतृत्व किस नाम पर अंतिम मुहर लगाता है.

बीजेपी के सहयोगी दल निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद को भी मंत्रिमंडल में स्थान दिए जाने को लेकर बातचीत हुई है. संजय निषाद को मंत्री पद की शपथ दिलाने को लेकर दोनों दलों के बीच बातचीत लगभग फाइनल हो चुकी है. इसके अलावा दलित बिरादरी से जिन दो प्रमुख नामों की चर्चा है. उनमें पार्टी के वरिष्ठ नेता पूर्व सांसद व एमएलसी विद्यासागर सोनकर (दलित) को मंत्रिमंडल में स्थान देकर सोनकर बिरादरी को चुनाव से पहले संदेश देने की कोशिश है कि उनकी बिरादरी के बीच से भी सरकार में किसी व्यक्ति को प्रतिनिधित्व दिया गया है. विधायक कृष्णा पासवान (दलित) का भी नाम चर्चा में है. सूत्र बताते हैं कि विधायक पलटू राम (दलित/पासी), तेजपाल नागर (ओबीसी/गुर्जर) व छत्रपाल गंगवार (कुर्मी/ओबीसी ) का नाम भी चर्चा में है. इन सभी नेताओं को जातीय समीकरण के साथ-साथ क्षेत्रीय समीकरण साधने को लेकर बीजेपी नेतृत्व मंथन कर रहा है.


योगी सरकार में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित कुल 53 मंत्री हैं. इनमें 23 कैबिनेट मंत्री नौ राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) व 21 राज्यमंत्री हैं. इस प्रकार सात नए मंत्री बनाकर जातीय समीकरण के साथ क्षेत्रीय समीकरण दुरुस्त करने की कोशिश करेगी.


भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी कहते हैं कि मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर मीडिया में यह चर्चा लगातार होती रही है. मंत्रिमंडल का विस्तार कब, किस रूप में होगा, किन लोगों को शामिल किया जाएगा या विभागों में किसे क्या मिलेगा, यह मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार है. मुख्यमंत्री जब भी उचित समझेंगे निर्णय लेंगे. पार्टी के साथ परामर्श करके मंत्रिमंडल विस्तार करना है या नहीं करना है, इसका निर्णय भी मुख्यमंत्री को ही करना है.

Last Updated : Aug 27, 2021, 6:48 PM IST
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