लखनऊ : शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) के तहत गरीब बच्चों को निशुल्क एडमिशन देने वाले विद्यालयों का आरटीई पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन अनिवार्य है. जिन विद्यालयों का रजिस्ट्रेशन नहीं होगा उनको फीस भुगतान का बजट नहीं मिलेगा. यह चेतावनी बेसिक शिक्षा अधिकारी की ओर से निजी विद्यालयों के प्रबंधकों को जारी कर दी गई है. बेसिक शिक्षा अधिकारी लखनऊ की तरफ से जारी आदेश में विद्यालयों का आरटीई पोर्टल पर रजिस्टर करना अनिवार्य है. जो विद्यालय आरटीई पोर्टल पर रजिस्टर नहीं होगा वह विद्यालय फीस भुगतान के लिए पात्र नहीं होगा, वहीं जिन विद्यालयों की ओर से अपना रजिस्ट्रेशन करने के साथ-साथ शैक्षिक सत्र 2023-24 में प्रवेशित बच्चों की सूचना आरटीई पोर्टल पर अपलोड की जाएगी. उन्हें हार्ड कापी में एक सूचना जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय में उपलब्ध कराई जाएगी. उन्हीं विद्यालयों को फीस प्रतिपूर्ति की जायेगी जिन विद्यालयों सूचना नहीं अपलोड होगी, उनको बजट नहीं दिया जायेगा.

बेसिक शिक्षा विभाग के आरटीई जिला समन्वयक अखिलेश अवस्थी ने बताया कि 'सितंबर तक यह प्रक्रिया पूरी हो जानी थी. लेकिन, अभी तक सभी स्कूलों ने नवप्रवेशित स्टूडेंट्स का डाटा आरटीई पोर्टल पर अपलोड नहीं किया है. जनपद में कुल 2056 वैद्य स्कूल मौजूद हैं. इनमें से अभी तक 1800 स्कूलों ने अपने छात्रों का डाटा अपलोड किया है, कुल 35 हजार छात्रों का डाटा अपलोड हुआ है. सत्र 2023-24 में तकरीबन 40 हजार स्टूडेंट्स का डाटा अपलोड किया जाना है. इन विद्यालयों को एक और मौका देते हुए अब 25 अक्टूबर तक डेट बढ़ाई गई है. इसके बाद जिन स्टूडेंट्स का डाटा छूट जाएगा अथवा जो स्कूल डाटा अपलोड नहीं करेंगे उन्हें फीस प्रतिपूर्ति का लाभ नहीं मिलेगा.
171 करोड़ का बजट हुआ जारी : प्रदेश में करीब 15 हजार निजी विद्यालयों में आरटीई के तहत बच्चों को प्रवेश मिलता है. इन विद्यालयों की शुल्क प्रतिपूर्ति के लिए शासन ने 171 करोड़ रुपए का बजट आवंटित किया है. ऐसे में अब उन्हीं विद्यालयों को पैसे की प्रतिपूर्ति की जाएगी, जिन्होंने बच्चों का प्रवेश लेने के बाद उसकी जानकारी आरटीआई पोर्टल पर खुद ही अपलोड की हो.
उत्तर प्रदेश अनएडेड स्कूल एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल अग्रवाल ने बताया कि 'कोरोना के बाद से अभी तक प्रदेश के निजी विद्यालयों को शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत प्रवेश पर बच्चों के फीस की पूर्ति विभाग की तरफ से नहीं की गई है. सरकार ने इसके लिए बजट का निर्धारण भी किया है पर अब यह एक नई शर्त लगा दी.'