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लखनऊ: बसपा ने नये सिरे से तैयारी की शुरू, 2022 का रखा लक्ष्य - बसपा अध्यक्ष

बसपा अध्यक्ष मायावती को यह समझ में आ गया कि अब समाजवादी पार्टी के साथ रहने का कोई लाभ नहीं होने वाला है. यही वजह है कि वह सपा से अलग होकर अपने संगठन को खड़ा करने में जुट गई हैं. बसपा का सबसे ज्यादा फोकस जमीनी स्तर पर संगठन को खड़ा करना है.

पार्टी अध्यक्ष मायावती प्रेस कांफ्रेस करती हुयी
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Published : Jun 26, 2019, 11:08 PM IST

लखनऊ: बहुजन समाज पार्टी ने विधानसभा चुनाव के लिए तैयारी अभी से शुरू कर दी है. पार्टी अध्यक्ष मायावती ने पिछले दिनों लखनऊ में प्रदेश भर के बसपाइयों के साथ मीटिंग करके साफ कर दिया था कि वह अब अखिलेश यादव के साथ नहीं हैं. वह आने वाले सभी छोटे-बड़े चुनाव अकेले लड़ेंगी. बसपा अध्यक्ष के पास गत लोकसभा चुनाव के दौरान जो रिपोर्ट आई उसमें बताया गया कि कार्यकर्ता सपा के साथ गठबंधन को लेकर बेहद नाराज हैं.

समाजवादी पार्टी के लोगों ने बसपा के प्रत्याशियों को वोट नहीं किया है. पार्टी के कार्यकर्ता इस बात से भी नाराज हैं कि जो समाजवादी पार्टी के खाते में सीटें गईं उस पर बसपा कैडर के कार्यकर्ता को चुनाव लड़ाया जा सकता था. ऐसे में अगर बसपा सपा से अलग होने की बात स्पष्ट नहीं की तो पार्टी कार्यकर्ताओं को एक सूत्र में पिरोना कठिन होगा.

बसपा ने नये सिरे से तैयारी शुरू की
12 विधानसभा सीटों के उपचुनाव की हैअग्नि परीक्षा:मायावती ने कहा है कि कार्यकर्ता प्रत्येक बूथ पर पार्टी को मजबूत करने के लिए जुट जाएं. आगामी 2022 के आम विधानसभा चुनाव विधानसभा से पहले पार्टी को प्रदेश में 12 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव में अग्नि परीक्षा को पास करना है.बसपा यह थाह लगाना चाहती है कि अकेले चुनाव लड़कर उसे कितनी सफलता मिल सकती है. उपचुनाव में पूरी ताकत के साथ जुटने के लिए कहा गया है. जिला कोआर्डिनेटरों को चुनाव की तैयारियों के लिए कहा है.

सोशल इंजीनियरिंग का किया है रुख:
इसी रणनीति के तहत बसपा अध्यक्ष मायावती ने सोशल इंजीनियरिंग की ओर एक बार फिर रुख किया है. पिछले चुनाव परिणामों से उन्हें एहसास हुआ कि केवल जातीय आधार पर चुनाव लड़कर नहीं जीता जा सकता है. प्रदेश में अगर सरकार बनाने के लिए चुनाव लड़ना है तो सभी समाज के लोगों को साथ लाना होगा. यही वजह है पिछले दिनों हुई बैठक में उन्होंने सोशल इंजीनियरिंग के तहत सभी समाज के लोगों को जोड़ने की बात कही है. पार्टी ने रणनीति तैयार की है कि अब प्रत्येक जिले में पार्टी के स्थानीय नेताओं की सक्रियता बढ़ाई जाए


बहुजन समाज पार्टी ने मौके की नजाकत को समझते हुए समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन किया और 10 सीटें हासिल कीं. गठबंधन का लाभ पूरी तरह से बसपा को ही मिला. 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले संगठन को वह पूरी तरह से एक बार फिर नए सिरे से खड़ा करना चाहती हैं ताकि आगामी सभी चुनाव में बीजेपी को कड़ी टक्कर दे सकें.
-मनोज भद्रा,राजनीतिक विश्लेषक

लखनऊ: बहुजन समाज पार्टी ने विधानसभा चुनाव के लिए तैयारी अभी से शुरू कर दी है. पार्टी अध्यक्ष मायावती ने पिछले दिनों लखनऊ में प्रदेश भर के बसपाइयों के साथ मीटिंग करके साफ कर दिया था कि वह अब अखिलेश यादव के साथ नहीं हैं. वह आने वाले सभी छोटे-बड़े चुनाव अकेले लड़ेंगी. बसपा अध्यक्ष के पास गत लोकसभा चुनाव के दौरान जो रिपोर्ट आई उसमें बताया गया कि कार्यकर्ता सपा के साथ गठबंधन को लेकर बेहद नाराज हैं.

समाजवादी पार्टी के लोगों ने बसपा के प्रत्याशियों को वोट नहीं किया है. पार्टी के कार्यकर्ता इस बात से भी नाराज हैं कि जो समाजवादी पार्टी के खाते में सीटें गईं उस पर बसपा कैडर के कार्यकर्ता को चुनाव लड़ाया जा सकता था. ऐसे में अगर बसपा सपा से अलग होने की बात स्पष्ट नहीं की तो पार्टी कार्यकर्ताओं को एक सूत्र में पिरोना कठिन होगा.

बसपा ने नये सिरे से तैयारी शुरू की
12 विधानसभा सीटों के उपचुनाव की हैअग्नि परीक्षा:मायावती ने कहा है कि कार्यकर्ता प्रत्येक बूथ पर पार्टी को मजबूत करने के लिए जुट जाएं. आगामी 2022 के आम विधानसभा चुनाव विधानसभा से पहले पार्टी को प्रदेश में 12 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव में अग्नि परीक्षा को पास करना है.बसपा यह थाह लगाना चाहती है कि अकेले चुनाव लड़कर उसे कितनी सफलता मिल सकती है. उपचुनाव में पूरी ताकत के साथ जुटने के लिए कहा गया है. जिला कोआर्डिनेटरों को चुनाव की तैयारियों के लिए कहा है.

सोशल इंजीनियरिंग का किया है रुख:
इसी रणनीति के तहत बसपा अध्यक्ष मायावती ने सोशल इंजीनियरिंग की ओर एक बार फिर रुख किया है. पिछले चुनाव परिणामों से उन्हें एहसास हुआ कि केवल जातीय आधार पर चुनाव लड़कर नहीं जीता जा सकता है. प्रदेश में अगर सरकार बनाने के लिए चुनाव लड़ना है तो सभी समाज के लोगों को साथ लाना होगा. यही वजह है पिछले दिनों हुई बैठक में उन्होंने सोशल इंजीनियरिंग के तहत सभी समाज के लोगों को जोड़ने की बात कही है. पार्टी ने रणनीति तैयार की है कि अब प्रत्येक जिले में पार्टी के स्थानीय नेताओं की सक्रियता बढ़ाई जाए


बहुजन समाज पार्टी ने मौके की नजाकत को समझते हुए समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन किया और 10 सीटें हासिल कीं. गठबंधन का लाभ पूरी तरह से बसपा को ही मिला. 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले संगठन को वह पूरी तरह से एक बार फिर नए सिरे से खड़ा करना चाहती हैं ताकि आगामी सभी चुनाव में बीजेपी को कड़ी टक्कर दे सकें.
-मनोज भद्रा,राजनीतिक विश्लेषक

Intro:लखनऊ। बहुजन समाज पार्टी ने विधानसभा चुनाव के लिए तैयारी अभी से शुरू कर दी है। पार्टी अध्यक्ष मायावती ने पिछले दिनों लखनऊ में प्रदेश भर के बसपाइयों के साथ मीटिंग करके साफ कर दिया कि वह अब अखिलेश यादव के साथ नहीं हैं। आने वाले सभी छोटे-बड़े चुनाव बसपा अकेले लड़ेगी। बसपा अध्यक्ष के पास गत लोकसभा चुनाव के दौरान जो रिपोर्ट आई उसमें बताया गया कि कार्यकर्ता सपा के साथ गठबंधन को लेकर बेहद नाराज हैं। समाजवादी पार्टी के लोगों ने बसपा के प्रत्याशियों को वोट नहीं किया है। पार्टी के कार्यकर्ता इस बात से भी नाराज हैं कि जो समाजवादी पार्टी के खाते में सीटें गईं उस पर बसपा कैडर के कार्यकर्ता को चुनाव लड़ाया जा सकता था। ऐसे में अगर बसपा सपा से अलग होने की बात स्पष्ट नहीं की तो पार्टी कार्यकर्ताओं को एक सूत्र में पिरोना कठिन होगा।


Body:बसपा अध्यक्ष मायावती ने कहा है कि कार्यकर्ता प्रत्येक बूथ पर पार्टी को मजबूत करने के लिए जुट जाएं। आगामी 2022 के आम विधानसभा चुनाव विधानसभा से पहले पार्टी को प्रदेश में 12 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव में अग्नि परीक्षा को पास करना है। बसपा यह थाह लगाना चाहती है कि अकेले चुनाव लड़कर उसे कितनी सफलता मिल सकती है।

इसी रणनीति के तहत बसपा अध्यक्ष मायावती ने सोशल इंजीनियरिंग की ओर एक बार फिर रुख किया है। पिछले चुनाव परिणामों से उन्हें एहसास हुआ कि केवल जातीय आधार पर चुनाव लड़कर नहीं जीता जा सकता है। प्रदेश में अगर सरकार बनाने के लिए चुनाव लड़ना है तो सभी समाज के लोगों को साथ लाना होगा। यही वजह है पिछले दिनों हुई बैठक में उन्होंने सोशल इंजीनियरिंग के तहत सभी समाज के लोगों को जोड़ने की बात कही है।

पार्टी ने रणनीति तैयार की है कि अब प्रत्येक जिले में पार्टी के स्थानीय नेताओं की सक्रियता बढ़ाई जाए। उन्हें सबके साथ सामंजस्य बनाकर चलने को कहा गया है। उपचुनाव में पूरी ताकत के साथ जुटने के लिए कहा गया है। जिला कोआर्डिनेटरों को चुनाव की तैयारियों के लिए कहा है।

बाईट- राजनीतिक विश्लेषक मनोज भद्रा का कहना है कि बहुजन समाज पार्टी ने मौके की नजाकत को समझते हुए समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन किया। 10 सीटें हासिल की। गठबंधन का लाभ पूरी तरह से बसपा को ही मिला। अब बसपा ने ही गठबंधन तोड़ दिया है। बसपा अध्यक्ष मायावती साफ तौर पर देख रही हैं कि विपक्ष में कोई भी दल सक्रिय नहीं है। यही वजह है कि उन्होंने लोकसभा चुनाव के बाद ताबड़तोड़ कई बैठकें की। दिल्ली और लखनऊ में अलग अलग बैठक की। कार्यकर्ताओं को एकजुट करने की कवायद में जुट गई हैं। 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले संगठन को वह पूरी तरह से एक बार फिर नए सिरे से खड़ा करना चाहती हैं। ताकि आगामी सभी चुनाव में बीजेपी को कड़ी टक्कर दे सकें।


Conclusion:बसपा अध्यक्ष मायावती को यह समझ में आ गया कि अब समाजवादी पार्टी के साथ रहने का कोई लाभ नहीं होने वाला है। यही वजह है कि वह सपा से अलग होकर अपने संगठन को खड़ा करने में जुट गई हैं। बसपा का सबसे ज्यादा फोकस जमीनी स्तर पर संगठन को खड़ा करना है। पार्टी ने पूरे संगठन को नए सिरे से खड़ा करने की कवायद शुरू कर दी है। हालांकि उनके समक्ष उपचुनाव जितना बड़ी चुनौती है। इससे निपटने के लिए बसपा अध्यक्ष मायावती जल्द ही लखनऊ में एक ओर बैठक करने जा रही हैं।
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