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निजी कॉलेजों के एडमिशन में कमीशन का खेल, जानिए क्या है मामला

उत्तर प्रदेश के इंजीनियरिंग, मैनेजमेंट और फार्मेसी के 750 कॉलेजों में सीटों को भरने के लिए छात्रों की खरीद-फरोख्त का शुरू हो गई है. दलाल निजी कॉलेज के प्रबंधकों से 10 से 30 हजार रुपये लेकर बच्चों का दाखिला करा रहे हैं.

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Published : Jul 9, 2021, 4:49 PM IST

निजी कॉलेजों के एडमिशन में कमीशन का खेल.
निजी कॉलेजों के एडमिशन में कमीशन का खेल.

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के इंजीनियरिंग, मैनेजमेंट और फार्मेसी के 750 कॉलेज हैं, जिनमें दाखिले की प्रक्रिया जारी है. इन कॉलेजों में इंजीनियरिंग, मैनेजमेंट और फार्मेसी कोर्सेज की सीटों की संख्या एक लाख से ज्यादा हैं. ऐसे में अब इन सीटों को भरने के लिए दलाल सक्रिय हो गए हैं. दलाल निजी कॉलेज प्रबंधकों से 10-30 हजार रुपये लेकर विद्यार्थियों का दाखिले करा रहे हैं. हैरानी की बात यह है कि कई बड़ी-बड़ी एजेंसी संगठित रूप से इसमें शामिल हैं. सबसे ज्यादा खेल डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय (Dr. APJ Abdul Kalam Technical University) से जुड़े कॉलेजों में हो रहा है. वहीं, प्रदेश के 1247 निजी पॉलिटेक्निक संस्थानों में भी यह धंधा फैल रहा है. इसका सबसे बड़ा कारण प्रदेश में लगातार निजी कॉलेजों की बढ़ती संख्या और काउंसलिंग के माध्यम से सीटें भरने में असफल होना है.

बता दें कि इंजीनियरिंग, मैनेजमेंट और फार्मेसी कोर्सेज में दाखिले के लिए होने वाली काउंसलिंग में सबसे पहले सरकारी कॉलेजों की सीटें भर्ती हैं. इसके बाद प्राइवेट कॉलेज में काउंसिलिंग के माध्यम से दाखिले होते हैं. ऐसे में काउंसलिंग के माध्यम से 40% सीट भर पाना भी संभव नहीं हो पाता. ऐसे में प्राइवेट कॉलेज की ज्यादातर सीटें खाली रह जाती है. विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से आंकड़ों की तस्वीर सुधारने के लिए पिछले 5 सालों से लगातार सीटों की संख्या कम की जा रही है. बावजूद तस्वीर जस की तस है. दाखिले की इस खराब स्थिति के कारण सीटों को भरने के चक्कर में दलालों का नेटवर्क काम कर रहा.

इसे भी पढ़ें-आईटी कॉलेज में पीजी में दाखिले के लिए 7 जुलाई से करें आवेदन


नाम न छापने की शर्त पर राजधानी के एक निजी स्कूल प्रबंधक ने बताया कि गांव और दूरदराज के इलाकों में रहने बच्चों को दलाल निशाना बना रहे हैं. ओबीसी और SC-ST कैटेगरी के बच्चे सरकार से मिलने वाली छात्रवृत्ति के हकदार होते हैं, इन पर दलालों की पहली नजर होती है. इन बच्चों की फीस का पैसा सरकार देती है. अन्य वर्ग के मुकाबले इनके शुल्क प्रतिपूर्ति की संभावनाएं ज्यादा हैं. ऐसे में निजी कॉलेज प्रबंधन भी इनका दाखिला करने के लिए कीमत देने को तैयार हो जाते हैं. उन्होंने बताया कि हाल में ही एक संस्था की तरफ से बीटेक, बी फार्मा और एमबीए में छात्रवृत्ति के पात्र छात्रों के दाखिले के लिए 30 हजार रुपये और सामान्य वर्ग के छात्रों के लिए 10 हजार रुपये तक का प्रस्ताव रखा गया.

सीतापुर के एक निजी कॉलेज के प्रबंधक ने बताया कि दलालों के माध्यम से होने वाले इन दाखिलों में कमीशन की कोई सीमा नहीं है. यह दलाल और कॉलेज प्रबंधन के बीच की बात होती है. जो जिस रेट पर तय हो जाए. सामान्य वर्ग के छात्र-छात्राओं का दाखिला कराने पर कमीशन 10 हजार रुपये से शुरू होती है. वहीं, SC-ST वर्ग के छात्र छात्राओं के दाखिले पर यह 40 से 50 हजार रुपये तक पहुंच जाती है. कुछ एजेंसी तो बच्चों को कॉलेज तक पहुंचाने का भी शुल्क लेती हैं.

इस पूरे खेल में संबंधित निजी कॉलेज और एजेंसी अपना फायदा उठा रही है. लेकिन, नुकसान छात्रों को होता है. असल में, छात्रों को कॉलेज के बारे में आमतौर पर कोई जानकारी नहीं होती है. कॉलेज की पढ़ाई होती है या नहीं ? कैसी फैकल्टी है? नियमित कक्षाएं होती है या नहीं? प्लेसमेंट के कैसे रिकॉर्ड्स हैं? इन सब चीजों को जाने परखे बगैर यह दाखिले होते हैं. ऐसे में इस छोटी सी भूल का खामियाजा छात्रों को जीवन भर भुगतना पड़ता है.


एकेटीयू में दाखिले का आंकड़ा

  • सत्र 2017-18 में एकेटीयू से जुड़े कॉलेजों में इंजीनियरिंग मैनेजमेंट समेत अन्य पाठ्यक्रमों में दाखिले के लिए करीब 1 लाख 61 हजार सीट उपलब्ध थीं. एसईई काउंसलिंग से कुल 21 हजार दाखिले हुए.
  • सत्र 2018-19 में करीब 17800 सीटें कम कर दी गई. बावजूद, काउंसलिंग में सीटें नहीं भर पाई और कॉलेजों ने अपने स्तर पर दाखिले लिए.
  • सत्र 2019-20 में एसईई की काउंसलिंग से कुल 13.77 सीट भरी गई. कुल 1 लाख 54 हजार 430 में 21 हजार 777 दाखिले हो पाए. बाकी सीटों को भरने का जिम्मा कॉलेजों को दे दिया गया.
  • सत्र 2020-21 में भी काउंसलिंग से होने वाले दाखिलों की तस्वीर अच्छी नहीं रही है. उपलब्ध सीटों के सापेक्ष काउंसलिंग के माध्यम से दाखिला लेने वाले छात्र-छात्राओं की संख्या कम रही.

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के इंजीनियरिंग, मैनेजमेंट और फार्मेसी के 750 कॉलेज हैं, जिनमें दाखिले की प्रक्रिया जारी है. इन कॉलेजों में इंजीनियरिंग, मैनेजमेंट और फार्मेसी कोर्सेज की सीटों की संख्या एक लाख से ज्यादा हैं. ऐसे में अब इन सीटों को भरने के लिए दलाल सक्रिय हो गए हैं. दलाल निजी कॉलेज प्रबंधकों से 10-30 हजार रुपये लेकर विद्यार्थियों का दाखिले करा रहे हैं. हैरानी की बात यह है कि कई बड़ी-बड़ी एजेंसी संगठित रूप से इसमें शामिल हैं. सबसे ज्यादा खेल डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय (Dr. APJ Abdul Kalam Technical University) से जुड़े कॉलेजों में हो रहा है. वहीं, प्रदेश के 1247 निजी पॉलिटेक्निक संस्थानों में भी यह धंधा फैल रहा है. इसका सबसे बड़ा कारण प्रदेश में लगातार निजी कॉलेजों की बढ़ती संख्या और काउंसलिंग के माध्यम से सीटें भरने में असफल होना है.

बता दें कि इंजीनियरिंग, मैनेजमेंट और फार्मेसी कोर्सेज में दाखिले के लिए होने वाली काउंसलिंग में सबसे पहले सरकारी कॉलेजों की सीटें भर्ती हैं. इसके बाद प्राइवेट कॉलेज में काउंसिलिंग के माध्यम से दाखिले होते हैं. ऐसे में काउंसलिंग के माध्यम से 40% सीट भर पाना भी संभव नहीं हो पाता. ऐसे में प्राइवेट कॉलेज की ज्यादातर सीटें खाली रह जाती है. विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से आंकड़ों की तस्वीर सुधारने के लिए पिछले 5 सालों से लगातार सीटों की संख्या कम की जा रही है. बावजूद तस्वीर जस की तस है. दाखिले की इस खराब स्थिति के कारण सीटों को भरने के चक्कर में दलालों का नेटवर्क काम कर रहा.

इसे भी पढ़ें-आईटी कॉलेज में पीजी में दाखिले के लिए 7 जुलाई से करें आवेदन


नाम न छापने की शर्त पर राजधानी के एक निजी स्कूल प्रबंधक ने बताया कि गांव और दूरदराज के इलाकों में रहने बच्चों को दलाल निशाना बना रहे हैं. ओबीसी और SC-ST कैटेगरी के बच्चे सरकार से मिलने वाली छात्रवृत्ति के हकदार होते हैं, इन पर दलालों की पहली नजर होती है. इन बच्चों की फीस का पैसा सरकार देती है. अन्य वर्ग के मुकाबले इनके शुल्क प्रतिपूर्ति की संभावनाएं ज्यादा हैं. ऐसे में निजी कॉलेज प्रबंधन भी इनका दाखिला करने के लिए कीमत देने को तैयार हो जाते हैं. उन्होंने बताया कि हाल में ही एक संस्था की तरफ से बीटेक, बी फार्मा और एमबीए में छात्रवृत्ति के पात्र छात्रों के दाखिले के लिए 30 हजार रुपये और सामान्य वर्ग के छात्रों के लिए 10 हजार रुपये तक का प्रस्ताव रखा गया.

सीतापुर के एक निजी कॉलेज के प्रबंधक ने बताया कि दलालों के माध्यम से होने वाले इन दाखिलों में कमीशन की कोई सीमा नहीं है. यह दलाल और कॉलेज प्रबंधन के बीच की बात होती है. जो जिस रेट पर तय हो जाए. सामान्य वर्ग के छात्र-छात्राओं का दाखिला कराने पर कमीशन 10 हजार रुपये से शुरू होती है. वहीं, SC-ST वर्ग के छात्र छात्राओं के दाखिले पर यह 40 से 50 हजार रुपये तक पहुंच जाती है. कुछ एजेंसी तो बच्चों को कॉलेज तक पहुंचाने का भी शुल्क लेती हैं.

इस पूरे खेल में संबंधित निजी कॉलेज और एजेंसी अपना फायदा उठा रही है. लेकिन, नुकसान छात्रों को होता है. असल में, छात्रों को कॉलेज के बारे में आमतौर पर कोई जानकारी नहीं होती है. कॉलेज की पढ़ाई होती है या नहीं ? कैसी फैकल्टी है? नियमित कक्षाएं होती है या नहीं? प्लेसमेंट के कैसे रिकॉर्ड्स हैं? इन सब चीजों को जाने परखे बगैर यह दाखिले होते हैं. ऐसे में इस छोटी सी भूल का खामियाजा छात्रों को जीवन भर भुगतना पड़ता है.


एकेटीयू में दाखिले का आंकड़ा

  • सत्र 2017-18 में एकेटीयू से जुड़े कॉलेजों में इंजीनियरिंग मैनेजमेंट समेत अन्य पाठ्यक्रमों में दाखिले के लिए करीब 1 लाख 61 हजार सीट उपलब्ध थीं. एसईई काउंसलिंग से कुल 21 हजार दाखिले हुए.
  • सत्र 2018-19 में करीब 17800 सीटें कम कर दी गई. बावजूद, काउंसलिंग में सीटें नहीं भर पाई और कॉलेजों ने अपने स्तर पर दाखिले लिए.
  • सत्र 2019-20 में एसईई की काउंसलिंग से कुल 13.77 सीट भरी गई. कुल 1 लाख 54 हजार 430 में 21 हजार 777 दाखिले हो पाए. बाकी सीटों को भरने का जिम्मा कॉलेजों को दे दिया गया.
  • सत्र 2020-21 में भी काउंसलिंग से होने वाले दाखिलों की तस्वीर अच्छी नहीं रही है. उपलब्ध सीटों के सापेक्ष काउंसलिंग के माध्यम से दाखिला लेने वाले छात्र-छात्राओं की संख्या कम रही.
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