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'सांस' से होगा निमोनिया पर प्रहार, सरकार ने तैयार किया मास्टर प्लान

देश भर में डायरिया और निमोनिया से मरने वाले बच्चों का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है. हर साल कई बच्चे इसकी चपेट में आ जाते हैं. इस बीमारी से निपटने के लिए सरकार ने काफी कोशिश की. अब सरकार इस बीमारी को जड़ से मिटाने की तैयारी में है. निमोनिया और डायरिया के लिए क्या है सरकार का मास्टर प्लान...

अब हारेगा निमोनिया
अब हारेगा निमोनिया
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Published : Mar 31, 2021, 11:03 PM IST

लखनऊ: यूपी में डायरिया-निमोनिया से हर साल हजारों बच्चे मौत के मुंह में समा जाते हैं. जिसे बचाने के लिए सरकार ने वैक्सीनेशन अभियान शुरू किया. इसके परिणाम भी काफी सार्थक रहे. वहीं सरकार ने अब निमोनिया पर समयगत प्रहार करने का खाका तैयार किया है. इसके लिए गांव-गांव निमोनिया पर डबल प्रहार होगा. राज्य में अप्रैल के आखिरी में 'सांस' अभियान शुरू करने की तैयारी सरकार कर रही है.

निमोनिया पर होगा प्रहार

बच्चों की हो जाती है मौत

नेशनल हेल्थ मिशन के बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के जीएम डॉ. वेद प्रकाश के मुताबिक बच्चों के जीवन पर डायरिया-निमोनिया भारी पड़ रहा है. हर वर्ष यूपी में 57 लाख के करीब बच्चे जन्म लेते हैं. वहीं करीब 70 से 80 हजार बच्चे डायरिया-निमोनिया व अन्य बीमारियों से मौत का शिकार हो जाते हैं. ऐसे में सरकार ने शून्य से पांच वर्ष तक के बच्चों को निमोनिया से बचाने के लिए न्यूमो कोकल वैक्सीनेशन अभियान शुरू किया है. साथ ही बच्चों को डायरिया से बचाव करने के लिए रोटावायरस वैक्सीन की डोज भी दी जा रही है. इसके भी काफी सार्थक परिणाम मिले हैं. सरकार निमोनिया को जड़ से खत्म करने के लिए सोशल अवेयरनेस एंड एक्शन टू न्यूट्रेलाइज निमोनिया सक्सेसफुल (सांस) अभियान शुरू करने की तैयारी में है.

लक्षण होते ही गांव में लगेगी डोज

डॉ. वेद प्रकाश के मुताबिक बच्चे के जन्म के 42 दिन तक आशा-एएनएम सात बार घर का विजिट करेगी. इस दौरान एएनएम-आशा बच्चे का स्वास्थ्य परीक्षण करेंगी. यह हेल्थ वर्कर बच्चे में निमोनिया के लक्षण मिलने पर तत्काल प्राथमिक उपचार करेंगी. इसका प्रोटोकॉल तैयार कर दिया गया है. प्रोटोकॉल में सिरप, इंजेक्शन आदि को शामिल किया गया है. वहीं गंभीर लक्षण होने पर बच्चे को सीएचसी या जिला अस्पताल रेफर कर दिया जाएगा. समय पर इलाज मिलने पर बच्चों की असमय होने वाली मौतों पर कमी आएगी.

जिलों में जल्द होगा प्रशिक्षण

डॉ. वेद प्रकाश के मुताबिक स्टेट लेवल पर स्वास्थ्यकर्मियों का प्रशिक्षण पूरा हो गया है. 200 मास्टर ट्रेनर ट्रेनिंग ले चुके हैं. अब यह जिलों में आशा व एएनएम को प्रशिक्षण देंगे. अप्रैल आखिरी तक सांस अभियान के तहत बच्चों को इलाज मिलने लगेगा.

लखनऊ: यूपी में डायरिया-निमोनिया से हर साल हजारों बच्चे मौत के मुंह में समा जाते हैं. जिसे बचाने के लिए सरकार ने वैक्सीनेशन अभियान शुरू किया. इसके परिणाम भी काफी सार्थक रहे. वहीं सरकार ने अब निमोनिया पर समयगत प्रहार करने का खाका तैयार किया है. इसके लिए गांव-गांव निमोनिया पर डबल प्रहार होगा. राज्य में अप्रैल के आखिरी में 'सांस' अभियान शुरू करने की तैयारी सरकार कर रही है.

निमोनिया पर होगा प्रहार

बच्चों की हो जाती है मौत

नेशनल हेल्थ मिशन के बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के जीएम डॉ. वेद प्रकाश के मुताबिक बच्चों के जीवन पर डायरिया-निमोनिया भारी पड़ रहा है. हर वर्ष यूपी में 57 लाख के करीब बच्चे जन्म लेते हैं. वहीं करीब 70 से 80 हजार बच्चे डायरिया-निमोनिया व अन्य बीमारियों से मौत का शिकार हो जाते हैं. ऐसे में सरकार ने शून्य से पांच वर्ष तक के बच्चों को निमोनिया से बचाने के लिए न्यूमो कोकल वैक्सीनेशन अभियान शुरू किया है. साथ ही बच्चों को डायरिया से बचाव करने के लिए रोटावायरस वैक्सीन की डोज भी दी जा रही है. इसके भी काफी सार्थक परिणाम मिले हैं. सरकार निमोनिया को जड़ से खत्म करने के लिए सोशल अवेयरनेस एंड एक्शन टू न्यूट्रेलाइज निमोनिया सक्सेसफुल (सांस) अभियान शुरू करने की तैयारी में है.

लक्षण होते ही गांव में लगेगी डोज

डॉ. वेद प्रकाश के मुताबिक बच्चे के जन्म के 42 दिन तक आशा-एएनएम सात बार घर का विजिट करेगी. इस दौरान एएनएम-आशा बच्चे का स्वास्थ्य परीक्षण करेंगी. यह हेल्थ वर्कर बच्चे में निमोनिया के लक्षण मिलने पर तत्काल प्राथमिक उपचार करेंगी. इसका प्रोटोकॉल तैयार कर दिया गया है. प्रोटोकॉल में सिरप, इंजेक्शन आदि को शामिल किया गया है. वहीं गंभीर लक्षण होने पर बच्चे को सीएचसी या जिला अस्पताल रेफर कर दिया जाएगा. समय पर इलाज मिलने पर बच्चों की असमय होने वाली मौतों पर कमी आएगी.

जिलों में जल्द होगा प्रशिक्षण

डॉ. वेद प्रकाश के मुताबिक स्टेट लेवल पर स्वास्थ्यकर्मियों का प्रशिक्षण पूरा हो गया है. 200 मास्टर ट्रेनर ट्रेनिंग ले चुके हैं. अब यह जिलों में आशा व एएनएम को प्रशिक्षण देंगे. अप्रैल आखिरी तक सांस अभियान के तहत बच्चों को इलाज मिलने लगेगा.

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