लखनऊ: वीरता सम्मान से पुरस्कृत एक बालवीर आज फकीर की जिंदगी जीने को मजबूर हो रहा है. चाय का ठेला लगाकर अपने परिवार का पेट पाल रहा है. साल 2003 में रियाज ने एक मासूम की जिंदगी बचाने की खातिर खुद की जान को जोखिम में डाल दिया और दुखद हादसे में रियाज का एक पैर और दोनों हाथ ट्रेन से कट गए. रियाज का कहना है कि उसे सम्मानित तो बहुत किया गया, लेकिन नौकरी के जो वादे किए गए थे. वह अब तक पूरे नहीं हुए.
डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने वीरता पुरस्कार से था नवाजा
राजधानी लखनऊ में एक ऐसा बालवीर है, जिसने महज 8 साल की उम्र में एक मासूम बच्ची की जिंदगी को बचाया, लेकिन हादसे में उस बालवीर के दोनों हाथ और एक पैर ट्रेन की चपेट में आने से कट गए. हम रियाज की बात कर रहे हैं. जिसने साल 2003 में रेलवे ट्रैक पार कर रही एक मासूम बच्ची की जान को बचाया था. मासूम की जान तो बच गई, लेकिन रियाज हादसे का शिकार हो गया. रियाज की इस बहादुरी को देखते हुए तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम ने उसे वीरता पुरस्कार से नवाजा था. वहीं कई अलग-अलग नेताओं ने रियाज को नौकरी देने का वादा भी किया, लेकिन आज भी रियाज और उसका परिवार किए गए वादों की पोटली का बोझ उठा रहे हैं, उस पोटली के खुलने का इंतजार कर रहा है.
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चाय का ठेला लगाकर कर रहा गुजर बसर
रियाज और उसका परिवार राजधानी लखनऊ के वृंदावन कॉलोनी में रहते हैं. घर से महज थोड़ी ही दूरी पर रियाज चाय का ठेला लगाता है, जिसकी कमाई से वह अपना घर चला रहा है. रियाज ने बताया कि साल 2003 में डालीगंज रेलवे क्रॉसिंग पर एक मासूम बच्ची अपने पिता के साथ रेलवे ट्रैक को पार कर रही थी. रियाज ने बच्ची के पिता से कई बार आवाज लगाकर कहा कि बच्ची को ट्रक से हटा ले ट्रेन आ रही है, लेकिन उसके पिता ने उसकी आवाज नहीं सुनी. ट्रेन को पास आता देखकर रियाज खुद दौड़कर बच्ची को बचाने के लिए पहुंचा. जिस दौरान उसका पैर ट्रेन की पटरी में फंस गया. बच्ची की जान तो बच गई, लेकिन उस हादसे में रियाज का एक पैर और दोनों हाथ कट गए.
नौकरी देने का वादा नहीं किया गया पूरा
रियाज ने बताया कि उसे तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया था. वही अटल बिहारी वाजपेई, सोनिया गांधी, मनमोहन सिंह आदि नेताओं ने उसकी वीरता की खूब सराहना की और उसे बड़ा होने पर नौकरी देने की बात भी कही. रियाज ने बताया कि वह दुनिया के कई देशों में भी जा चुका है. जहां उसे वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. लेकिन जो नौकरी देने का वादा किया था. वह अब तक पूरा नहीं हो पाया है. रियाज का कहना है कि वह किसी तरह अपना घर चला रहा है. उसे बस छोटी-मोटी नौकरी मिल जाए, जिससे वह अपना और परिवार का पेट पाल सकें.
मां को बेटे पर है गर्व
रियाज की मां ने बताया कि उन्हें अपने बेटे पर बहुत गर्व होता है, लेकिन कई साल पहले जो नौकरी देने का वादा किया गया था. वह अब तक पूरा न हो पाने की वजह से घर चलाने में काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. रियाज की अब शादी भी हो गई है और उसका एक मासूम बेटा भी है. रियास की मां ने अपील करते हुए कहा है कि बस उनके बेटे को कोई भी छोटी सी नौकरी दे दी जाए. जिससे वह अपने परिवार का पेट पाल सके.